Magazine - Year 1940 - Version 2
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Language: HINDI
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तंत्र विज्ञान की अद्भुत शक्ति!
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अपने कष्ट मिटाने में हमारी सेवा स्वीकार कीजिए!!
जागृत अवस्था में अद्भुत और आलौकिक चमत्कार देखिए!!!
योग महाविद्या की शक्ति अनंत और अपार है। वह मनुष्य को ईश्वर तुल्य बना सकती है। प्राचीन काल में असंख्य योगियों को अनेक सिद्धियाँ प्राप्त थीं, हमारे ऋषि मुनि त्रिकालदर्शी थे और वे अपनी दिव्य दृष्टि से संसार भर की बातें अपने स्थान पर बैठे बैठे ही जान लेते थे। मोक्ष प्राप्त करना क्या है ? आत्म शक्ति की उन्नति करते करते उसे ईश्वर तुल्य बना देना है। उसी योग महाविद्या का एक छोटा सा भौतिक अंग तन्त्र शास्त्र है। इस तन्त्र विज्ञान की साधना अष्टाँग योग जितनी कठिन नहीं है किन्तु उससे लाभ भी सीमित ही होता है। मनोनिग्रह के बाद यह दूसरी मंजिल है। इससे आत्मशक्ति बढ़ाई जाती है और उसके द्वारा दूसरों को हानि लाभ पहुँचाया जा सकता है।
प्राचीन काल में गोरखनाथ, मछीन्द्रनाथ, नागार्जुन आदि उनके आचार्य इस विज्ञान के हो चुके हैं। महाप्रभु ईशा ने आत्मशक्ति के बल से असंख्य रोगियों को स्पर्श करके और दृष्टिपात करके अच्छा कर दिया था। महातान्त्रिक-उट्ठोश-भगवान शंकर के कोप से जब आत्मशक्ति का तीसरा नेत्र खोला तो कामदेव सरीखा बलशाली योद्धा क्षण भर में जलकर भस्म हो गया। अन्य ऋषियों के शाप वरदान से हजारों लोगों का हित अनहित होना पुराण इतिहासों से सिद्ध है। आज उस लुप्त प्रायः महाविद्या का पूर्ण अंश प्राप्त नहीं होता। पर जितना कुछ भी प्राप्त होता है, वही इन सब के लिये बड़ी मूल्यवान् वस्तु है और उसी से बहुत कुछ लाभ उठाया जा सकता है।
‘आनन्द प्रतिष्ठान’ तन्त्र विद्या की उपासना का एक केन्द्र है। इसके साधक तन्त्र विज्ञान की दुरूह क्रियाएं करके जो शक्ति प्राप्त करते हैं, उसे जन हित में बाँट देते हैं। अब यह निश्चित हो चुका है कि योरोप के डॉक्टर मैस्मरेजम हिप्नोटिज्म, मैगनेटिज्म, मनोविज्ञान आदि के द्वारा लोगों पर जितना असर डालते हैं तन्त्र विज्ञान द्वारा उन सब से कई गुना असर लोगों पर डाला जा सकता है क्योंकि मैस्मरेजम आदि के जो सिद्धाँत हैं वह सब तो तन्त्र विद्या के भीतर हैं ही, वरन् उसमें भी बहुत अधिक बातें उसमें हैं।
मैस्मरेजम आदि की शक्ति स्थूल होने के कारण केवल इतनी ही होती है कि सामने बैठे हुए आदमी पर तात्कालिक असर डाला जा सके। तंत्र-विद्या इससे कहीं सूक्ष्म है। इसकी गूढ़ क्रियाओं द्वारा उत्पन्न किये सूक्ष्म कम्पन इतने शक्तिशाली होते हैं कि हजारों मील बैठे हुए आदमी पर भी उतना ही असर डालते हैं जितना पास बैठे हुए पर। उन मंत्रों का प्रभाव क्षण भर खेल दिखाकर ही समाप्त नहीं हो जाता वरन् जिसके ऊपर उपचार किया जाता है उसके गुप्त मन में इतना गहरा उतर जाता है कि साधक में शारीरिक तथा मानसिक विचित्र परिवर्तन हो जाते हैं।
‘आनन्द प्रतिष्ठान’ ने अपना एक ऐसा कार्यक्रम बना रखा है कि कठिन साधना द्वारा प्राप्त शक्ति को पीड़ितों की सेवा में लगाया जाय और इसके बदले किसी गरीब अमीर से पाई पैसा का कोई ठहराव न किया जाय। अर्थात् लोगों के कष्टों को दूर करने का उपचार बिल्कुल मुफ्त किया जाय। लाभ होने पर बिना माँगें कोई कुछ दे दे तो संतोषपूर्वक उसी से साधक जीवन निर्वाह करें।
तन्त्र विद्या द्वारा कठिन से कठिन शारीरिक रोग, मानसिक रोग, बुरी आदतें, संतान सम्बन्धी चिन्ता, गृह कलह, बुरे दिन, अनिष्ट की आशंका, भूत बाधा, अशान्ति आदि का आसानी से उपचार हो सकता है। जिन लोगों को कोई ऐसा रोग है जिससे जिन्दगी को खतरा है उनका हम उपचार करते हैं (छोटे-छोटे खाँसी, जुकाम आदि रोगों के लिये हमें नहीं लिखना चाहिए) स्मरण शक्ति की कमी, सिर में भारीपन, उद्विग्नता, चिन्ता, उदासी, निराशा, निरुत्साह, भवहीनता की भावना, बुरे कामों की ओर प्रवृत्ति, क्रोध, बुरी आदतें, चिड़चिड़ापन, नींद की कमी आदि मानसिक रोगों के लिए तंत्रोपचार रामबाण हैं। कुटुम्ब, मित्र या पत्नी से झगड़ा रहता हैं, संतान नहीं होती, होकर मर जाती हैं या लड़कियाँ ही लड़कियाँ होती हैं, किसी शत्रु द्वारा अपना अनिष्ट होने के आशंका हैं, भूत प्रेतादि के उपद्रव होते हैं तो भी इस विद्या द्वारा आश्चर्यजनक लाभ उठाया जा सकता है। एक बात हम स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि हम मारण, मोइन, उद्घाटन, वशीकरण, स्तंभन आदि पाप पूर्ण क्रियाएं किसी के पंच विपक्ष में किसी दशा में नहीं करते इसके लिए कोई सज्जन लिखा पढ़ी न करें। वह भी ध्यान रखना चाहिए कि तेजी मन्दी का भाव, दड़ा, सट्टा, फ्यूचर, गढ़ा धन, चोरी का माल, भविष्य, हस्तरेखा, जन्म पत्र, आदि भी हम नहीं बताते इसलिए इन कामों के लिए भी कोई महानुभाव पूछने ताछने का कष्ट न उठावें।
एक और बात भी समझ रखनी चाहिये कि हमारा उद्देश्य शारीरिक, मानसिक तथा बाहरी कष्टों से अपने भाई बहिनों को बचाने का प्रयत्न करने मात्र का है और इसके लिए मनोविज्ञान के डाक्टरों के मत से विशुद्ध वैज्ञानिक आध्यात्मिक क्रियाओं का ही उपयोग करते हैं। किसी अंध विश्वास, ढोंग, भ्रमजाल के फैलाने का हमारा कोई मन्तव्य नहीं है। स्पष्ट है कि जब हम किसी से कोई ठहराव नहीं करते, फीस नहीं माँगते, रुपये नहीं ऐंठते तो क्यों किसी को धोखे में डालेंगे? और क्यों ढोंग फैलावेंगे?
जिन्हें इस विज्ञान पर विश्वास हो, या कम से कम जितने दिनों इस विज्ञान से लाभ उठावें उतने ही दिन तक परीक्षा के तौर पर जो विश्वास रख सकें वे निःसंकोच बन्द लिफाफे में अपना पूरा विवरण लिख भेजें, हम तुरंत ही उपचार सामग्री भेजेंगे। इसके बदले में किसी प्रकार की कीमत नहीं लेंगे। उपचार आरंभ करते समय हमें रोगी की चार चीजों की जरूरत पड़ती है। (1) रोग का कारण, वर्तमान स्थिति और रोगी का वर्तमान समय का पूरा परिचय (2) रोगी का फोटो (यह पाँच वर्ष से अधिक पुराना न हो) (3) रोगी के शिखा स्थान (चोटी) के 11 बाल (4) सफेद स्याही सेख (ब्लाटिंग पेपर) पर टपकाया हुआ रोगी के बाएं अंगूठे में से एक बूँद खून। यह चारों चीजें पास होने पर पूरी तरह उपचार आरंभ हो जाता है, फोटो तैयार न हो तो भी उपचार आरंभ हो जाता है, वह पीछे भेजा जा सकता है। यदि रोगी छोटा बालक हो या बहुत उपरोक्त हो तो खून से भी छुट्टी दी जा सकती है। पर सफलता में जरा देर लग जाती है।
उपचार सामग्री जो हम भेजते हैं उसमें शक्ति आकर्षण का एक ऐसा विधान है जिससे रोगी में कुछ समय के लिए अतिरिक्त शक्ति भर जाती है, उस समय उसका दम फूलने लगता है, और कंपकंपी सी आ जाती हैं, उस समय की हिफाजत के लिए कोई साथी होना जरूरी है उपचार के कुछ समय बाद ही रोगी को आश्चर्यजनक चमत्कारिक दृश्य स्वप्न और जाग्रत अवस्था में दिखने लगते हैं वह सब बातें गुप्त रखने की हैं। उसे पहले से ही निश्चय कर लेना चाहिए कि उन बातों को हर किसी से न कहूँगा। जिन लोगों को कोई कष्ट नहीं है वह आत्मोन्नति के लिए हमारी सेवा से लाभ उठा सकते हैं।
यह पहले ही कहा जा चुका है कि किसी भी रोग के उपचार के लिए न तो कुछ फीस माँगी जाती हैं और न ठहराई जाती है न पीछे कोई झगड़ा किया जाता है कुछ देने न देने में रोगी बिल्कुल स्वतन्त्र है। बहु मूल्य-प्रेम बाण दवाएं, रसायनें जड़ी बूटियाँ, साधनायंत्र, विधि, कवच, विधान आदि सब चीजें अपने पैसे से बिल्कुल मुफ्त भेजते हैं। हाँ, डाकखर्च का भी भार उठाने में हम अभी असमर्थ हैं। इसके लिए तो रोगी को ही व्यवस्था करनी पड़ेगी। पत्र के साथ एक आने का टिकट जरूर भेजना चाहिए अन्यथा उत्तर न दिया जा सकेगा।
विज्ञान सम्मत तन्त्र विद्या के अपूर्व लाभों को उठाने से आप वंचित न रहिये। हमसे अपनी कुछ सेवा लीजिए तो सही, शायद ईश्वर इसी बहाने आपका कुछ भला कर ने की सोच रहा हो।
पत्र व्यवहार का पता-
‘आनन्द प्रतिष्ठान’ फ्रीगंज, आगरा।