Magazine - Year 1956 - Version 2
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Language: HINDI
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थके पथिक से (Kavita)
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अभी से रोको नहीं चरण!
अभी दूर हो सका कहाँ है, इस जगती से शोक,
अभी कहाँ फैला सर्वोदय का पवित्र आलोक,
चिरंतन ज्योतित ज्ञान किरण!
अभी से रोको नहीं चरण!!
अगति नाश है, प्रगति चेतना और कर्म उल्लास,
डग अक्षर बन कर लिखते हैं मानव का इतिहास,
यहाँ पर यति का नाम करण!
अभी से रोको नहीं चरण!!
कुँभकार अपने हाथों से नव-निर्माण करो,
पौरुष के प्रसाद से जीवन जय का कोष भरो,
मनुजता का नवीन प्रकरण!
अभी से रोको नहीं चरण!!