Magazine - Year 1971 - Version 2
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Language: HINDI
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जन्म लिया सो मरेगा अवश्य
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जन्म लिया सो मरेगा अवश्य -
एक वृद्धा का इकलौता बेटा दैवेच्छा से मर गया। इसलिये बुढ़िया माथा पटक-पटक रोने लगी। लोग समझाते थे पर धक्का गहरा था। इस कारण वह शान्त नहीं होने पाती थी। अब वह शव से चिपट गयी। लोगों के उसे किसी तरह अलग किया तो मुर्दा ले जाते समय वह पीछे-पीछे दौड़ी।
रास्ते में एक महात्मा मिले । उन्होंने बुढ़िया को इस तरह बिलबिलाती देखा तो का-’तु अपने बेटे को खिलाना ही चाहती है न?’ बुढ़िया ने ‘हाँ ‘ कहा । अब बुढ़िया में जैसे नया जीवन आ गया। वह महात्मा के चरणों पर लोट गयी। महात्मा ने कहा-’तु शहर में जा और किसी ऐसे घर से छटाँक राई ले आ, जहाँ कभी कोई मरा न हो। बस तेरा बेटा जी जायगा।’ अब वह अपनी पड़ोसिन के पास गयी और उससे छटाँक भर राई माँगी तो। बाद में महात्मा की शर्त याद आयी और उसने पड़ोसिन से पूछा-’तुम्हारे घर में कोई मरा तो नहीं है ?’ उसने जबाब दिया मेरी सास हाल ही मरी है’ इस प्रकार वृद्धा कई घर घूमी। कोई कहे कि लड़का मर गया है, कोई कहे कि लड़की मर गई है और कोई कहता है कि मेरा नातेदार मर गया है। इस तरह वह शहर भर के घर-घर से किसी न किसी के मरण का समाचार लेकर थकी हुई लौटी और महात्मा से कहने लगी- ‘सबके घर मरण हुआ है। अब क्या उपाय है ?’
महात्मा ने कहा-’जैसे सबके यहाँ मरण हुआ है वैसे ही तेरे यहाँ भी हुआ है। तब इसके लिये शोक क्या करना । मरण से तू भी नहीं बचेगी, इसलिए ईश्वर की शरण गह। ‘ बस, वृद्धा शान्त हो गयी और कुछ दिन बाद उसका पुत्र शोक दूर हो गया।