Magazine - Year 1971 - Version 2
Media: TEXT
Language: HINDI
Language: HINDI
पहाड़ से सोना बरसता है, और सोने सोने से शैतान
Listen online
View page note
Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
पाइलिन बीवर के जीवन का वह सबसे अधिक रोमाँचक दिन था जब उसने किसी पहाड़ को सवर्ण जैसी चमकती हुई धातु उगलते देखा । खेमे पहाड़ी से कुछ ही दूर पर थे जहाँ बीवर के अन्य सब सहकर्मी प्रगाढ़ निद्रा में सो रहे थे। बीवर अकेले ही उठकर गया और धातु का एक टुकड़े इकट्ठे किये और पड़ाव की ओर चलने के लिए खड़ा हुआ तभी उसके पैरों के नीचे की जमीन धँसती हुई जान पड़ी । उसने देख खेमे का कहीं पता भी नहीं है वह स्थान जली हुई राख की ढेरी में परिवर्तित श्मशान जैसा लग रहा है।
बीने हुये सोने के ढेर सारे टुकड़े वहीं बिखर गये। भय से शरीर काँप गया बात क्या है यह समझने के लिए उसने फिर दृष्टि पीछे घुमाई तो एक और विलक्षण दृश्य दिखाई दिया । पर्वत की चोटी पर से हजारों छायाएं उतर रही थीं और भयंकर आवाज के साथ उसी की और सेना के सिपाहियों की तरह दौड़ी आ रही थीं । बीवर चिल्लाया और अचेत होकर वहीं ढेर हो गया । चेतना वापस लौटी तब वहाँ कुछ नहीं था । अब उसे भागते ही बना । बीवर ने फिर कभी उधर जाने की हिम्मत नहीं की ।
6 वर्ष बाद ठीक वैसी ही घटना मैक्सिको के युवक पैरेलटा के साथ घटी उसके भी सभी साथी इस अभियान में मारे गये थे वह तो उसका भाग्य था जो किसी तरह वह स्वयं शैतानी शिकंजे से बचकर निकल सका ।
पाइलीन बीवर और डान पैरेलटा दोनों ने अपने.अपने संस्मरण छपाये तब लोगों को सोना बरसाने वाले इस अद्भुत पहाड़ का पता चला । जिसके बारे में यह कहा जाता है कि आज तक वहाँ सोने के लालच में जो भी गया जीवित नहीं लौट पाया जो जिन्दा लौटा भी वह सोने का एक कण भी नहीं ला पाया है हाँ वह भय अवश्य लाया जिससे बाद में फिर उसने उधर जाने की कभी भी हिम्मत नहीं की । यह पहाड़ अमेरिका के एरिजेना प्राँत में पाया जाता है।
और आज तक वह प्रकृति के एक विलक्षण आश्चर्य के रूप में विद्यमान है। एरिजोना रुस के साइबेरिया प्राँत जैसा क्षेत्र है जिस तरह साइबेरिया अत्यन्त विकिरण वाला क्षेत्र है वैसे ही यह भी विचित्र आश्रयों से परिपूर्ण है । एक मीटर लम्बा और 600 फीट गहराई वाला बहुत बड़ा क्रेटर जो किसी उल्का पिंड के आघात से बना बताया जाता है यहीं पर है । इससे बड़ा 6 मील लम्बा और 700 फीट वाला क्रेटर केवल कनाडा में है और कहीं इतना बड़ा क्रेटर केवल कनाडा में है और कहीं इतना बड़ा क्रेटर नहीं है।
डान पैरेलटा की यात्रा के 2 वर्ष बाद सोने के लालच में दुनिया के सैकड़ों लोगों ने एरिजोना की यात्रा की इनमें अमेरिका के ही युवक सबसे अधिक संख्या में गये।
एकबार अमरीका के प्रसिद्ध डाक्टर लवरेन रोअली भी उधर पहुँच गये।लालच चाहे जिसे पागल कर सकता है। लवरेन किसी प्रकार पहाड़ी के पास तक पहुँचने में सफल हो गये पर घूर्णन जैसी एक भयंकर आवाज और सैंकड़ों मायाविनी छायाओं ने उन्हें घेर लिया । थोड़ी देर में उनका शरीर मृत होकर पड़ा था । उस मृत्यु, ने अमेरिका में खलबली मचादी । डाक्टरी जाँच से पता चला कि रोअली का रक्त चूस लिया गया है पर कैसे यह पता किसी भी तरह नहीं चल पाया । तब से इस पहाड़ का एक नाम खूनी पहाड़ भी पड़ गया ।
इस पहाड़ के बारे में विचित्रतायें हैं वह यह कि वह निश्चित समय पर ही सोना बरसाता है उसी प्रकार वहाँ पर जितनी भी हत्यायें अब तक हुई वह दिन के ठीक 4 बजे हुई। 4 बजे ही इस चोटी की परछाई पृथ्वी को छूती है। मरने वालों के शरीरों की एफ॰ बी॰ आई॰ द्वारा जाँच की गई उससे पता चलता है कि यहाँ आकर जिस किसी की भी हत्या हुई उसकी मृत्यु रक्त चूस लेने के कारण हुई जबकि किसी भी शव में घाव या चोट का कोई निशान नहीं मिलता। आस्ट्रेलिया के युवक फैंज हेरर
होमर तथा होनोलुलु के कई व्यापारियों की हत्यायें इसी पहाड़ के किन्हीं तान्त्रिक रहस्यों द्वारा ही हुई। सबसे रोमाँचक प्रसंग जर्मनी के इंजीनियर वाल्ज इस पहाड़ के रहस्यों का पता भले ही न ला पाया हो पर उसकी खोज में संघर्ष का तथा सोना प्राप्ति का सबसे अधिक आनन्द उसी पाया ।
वाल्ज इंजीनियर बनकर एरिजोना की खानों में काम कर रहा था तभी उसके मन में सोना बरसाने वाले उस पहाड़ के रहस्य जानने की तीव्र जिज्ञासा जागृत हुई। वाल्ज का अनुमान था कि पहाड़ी का रहस्य अपैची कबीले के प्रमुख तान्त्रिकों के हाथ में ही हो सकता है क्योंकि वही लोग उसके आस.पास बसे हैं। अपैची बड़े खूंख्वार होते हैं। श्वेतों से उन्हें बड़ी घृणा होती है। कई बार अमेरिकियों ने उनका विधिवत संहार किया है जिससे उनके मन में गोरों के प्रति और भी तीव्र घृणा के भाव हैं। 1872 का अपैची लीप विश्व प्रसिद्ध है जिसमें जानबाकर ने अपेचियों को बुरी तरह काटा था। इसके बाद अपैचियों के सरदार गैरोनियों ने गोरों पर गोरिल्ला धावे किये उसे नष्ट करने के लिये 1886 में जनरल नेल्सन ने युद्ध किया था और उन्हें पीछे धकेल दिया था तब से यह तान्त्रिक इसी पहाड़ पर शरण लिये हुये है जो भी आज तक वहाँ गया जीवित वापस नहीं लौट सका।
वाल्प ने चतुराई से काम लिया । उसने एक अपैची चुवती केन॰टी॰से प्रेम कर लिया और उसी से शादी भी करली । आदिवासियों का सद्भाव प्राप्त करने के लिये यह एक बड़ी बात थी जिससे वाल्ज को पहाड़ तक आने जाने का रास्ता खुल गया। इसने केन॰टी॰ से भी रहस्य जानने के प्रयास किये पर उसे शीघ्र ही मालूम हो गया कि केन॰टी॰ क्या तमाम आदिवासियों में कुछ ही तान्त्रिक ऐसे हैं जो इस रहस्य को जानते हैं तब नहीं।
इसने पहले तो केन॰टी॰ के सहयोग से काफी सोना इकट्ठा किया फिर जैकब विजनर नामक युवक से मित्रता करके इस पहाड़ के अन्तरंग रहस्यों का पता लगाने का काम शुरू किया वह कई बार सामने से पहाड़ की ओर गया पर हर बार उसकी भयावनी छायाएं उसकी और झपटी हर बार
उसे जान बचाकर भागना पड़ा इन्हीं प्रयत्नों में केन॰टी॰ का अपहरण कर लिया गया और अपैचियों ने उसकी जीभ काट ली जिससे उसकी मृत्यु हो गई। अंततः निराश वाल्ज ने रास्ता बदला और लम्बा रेगिस्तान पार कर वह पीछे से पहाड़ी के पास पहुँचने में सफल हो गया।
रेगिस्तानी मैदानी में तम्बू गाढ़कर वाल्ज जैकब के साथ बाहर निकला अभी वह कुछ ही दूर जा पाया था कि उसे आग की सी चिनगारियाँ अपनी ओर बढ़ती दिखाई दीं। रात थी. पर देखते. देखते दिन का सा प्रकाश फैल गया उस प्रकाश में विचित्र भयंकरता थी। दोनों वहाँ से भागे तभी कुछ पत्थर उसके आस.पास गिरें। वाल्ज ने भागते. भागते एक पत्थर को छुआ तो देखा वह बिलकुल ठंडा था वह रुक गया पीछे मुड़कर देखा अब बरसने वाली लपटें भी शान्त हो चली थीं इसलिये वह फिर पहाड़ की ओर लौट पड़ा। उसे केन॰टी॰ से इतना मालूम हो गया था कि पहाड़ के अन्दर जाने के लिए एक सुरंग जाती है वाल्ज कुछ ही देर के परिश्रम से सुरंग जाती है वाल्ज कुछ ही देर के परिश्रम से सुरंग का दरवाजा पा गया। सहमता हुआ वह भीतर घुसा। वहाँ उसे कुछ कमरे और हजारों की संख्या में नर-कंकाल बिछे मिले देखने से लगता था वह कंकाल हजारों वर्षों से पूर्व तक के हैं। आगे बढ़ने पर उसे वह खड्ड भी दिख गया जहाँ सोने का लावा निकलता था पर सोने के वास्तविक स्रोत का उसे पता नहीं चल सका न ही आगे का रास्ता मिल सका। वहाँ की भीषण गर्मी के कारण आगे बढ़ना कठिन हो गया। दलदल के पास उन्हें देख लिया। जैकब तो वहीं मार दिया गया वाल्प किसी तरह बच निकला 1861 में उसकी मृत्यु, हो गई। उसकी डायरी के सहारे पीछे बरेनी आदि ने भी यात्रायें की पर सोना बरसाने वाले इस पहाड़ के मूल स्रोत का कोई पता न लगा सका। 1656 में फर्नेण्ड तथा फरेश ने पुनः इस पहाड़ के रहस्यों का पता लगाने का प्रयत्न किया जिसमें फरेश तो मारा गया और स्टेनले फिर निराश लौट आया इस तरह आज तक सोना बरसाने वाले इस पहाड़ की वास्तविकता पर पर्दा ही पड़ा हुआ है न कोई मृत्यु के कारणों को जानता है न सोने के मूल स्रोत को।