Magazine - Year 1981 - Version 2
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Language: HINDI
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सर्वसमर्थ शक्ति के अवतरण का उद्घोष
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‘‘सन् 1991 तक संसार में भयंकर उथल-पुथल होगी। आबादी का एक बड़ा भाग आन्तरिक युद्धों से विनष्ट हो जायेगा। प्रकृति भी इन्हीं दिनों सर्वाधिक विक्षुब्ध होगी। मानवी दुष्कृत्यों के फलस्वरूप उत्पन्न अनेकों, संकटों एवं प्रकृति विक्षोभों की दोहरी मार से उत्पन्न हृदय विदारक, दृश्यों की कल्पना मात्र से मेरा हृदय काँप उठता है।’’
“ब्रिटेन के प्रसिद्ध लोक-कथाओं के लेखक ‘एडिक मेयल’ ने ‘माँ शिप्टन’ की भविष्यवाणियों का उल्लेख किया है जिसका प्रकाशन 16 मई 1970 दैनिक विश्व मित्र कलकत्ता में हुआ था। ‘माँ शिप्टन’ की गुफा इंग्लैण्ड के याकसायर में प्रख्यात है। गुफा में एक कब्र है जिसके निकट अंग्रेजी में पंक्तियां खुदी हुई हैं उसका भावार्थ इस प्रकार है। ‘‘उस पवित्र स्थान पर वह महिला सोई हुई है जिसने अपने जीवन में कभी झूठ नहीं बोला। जिसकी अद्भुत अतीन्द्रिय सामर्थ्य की परीक्षा अनेकों बार की गई किन्तु हर बार सत्य सिद्ध हुई।’’
‘मदर शिप्टन’ की कब्र सोलहवीं शताब्दी की है। आज से चार सौ वर्ष पूर्व उसने भविष्य के विषय में जो कुछ भी कहा था, वह सब गुफा के ऊपर अंकित है। उपरोक्त भविष्यवाणी उनकी अन्तिम है जिसका अन्तिम अंश इस प्रकार है ‘और तब आकाश से एक शक्ति का पुंज अवतरित होगा जो दुनिया को तबाही से बचायेगा। जब उसका तेजस्वी स्वरूप संसार के समक्ष प्रकट होगा तो लोग उसके पीछे चलने लगेंगे। बीसवीं सदी के अन्तिम बीस वर्षों में संसार के लिए उसकी भूमिका अत्यन्त महत्वपूर्ण होगी। भारत के किसी उत्तरी पहाड़ी क्षेत्र से वह अपनी सशक्त विचारधारा से समस्त विश्व को प्रभावित करेगा।’
संकलनकर्ता ‘‘एडिक मेयल’’ का कहना है कि ‘मदर शिप्टन’ की सभी भविष्यवाणियाँ अपने समय पर अक्षरशः सही निकली हैं। उस अद्भुत महिला का जन्म सन् 1488 में हुआ था। वह एक अवैध सन्तान थी। लोक लज्जा के कारण उसकी माँ बचपन में ही उसे छोड़ कर कहीं अन्यत्र चली गई। पालन-पोषण एक किसान ने किया था, उसकी अतीन्द्रिय क्षमताएँ बचपन में ही प्रकट होने लगी थीं। जब वह विद्यालय जाने लगी तो अध्यापकों को यह देखकर भारी अचरज हुआ कि वह पढ़ना लिखना पहले से ही जानती है। कठिन से कठिन प्रश्नों का उत्तर बिना पढ़े लिखे ही दे दिया करती थी। कई बार तो अध्यापकों के घर पर घटी घटनाओं का वर्णन उनके समक्ष इस प्रकार करती थी जैसे सारी बातें उसके सामने ही घटित हुई हों। अपनी बदसूरती एवं चमत्कारी व्यक्तित्व के कारण वह कुछ ही दिनों में प्रख्यात हो गई। चौबीस वर्ष की अवस्था में शिप्टन का विवाह एवं बढ़ई से हुआ।
‘मेयल’ का कहना है कि मदर शिप्टन का सम्बन्ध सूक्ष्म जगत से था। चार सौ वर्ष पूर्व की गई भविष्यवाणियाँ शत-प्रतिशत सही निकली हैं, इसकी पुष्टि इतिहास की घटनाओं से मिलती है। मदर शिप्टन के अंकित भविष्य कथनों में सन् 1666 का लन्दन का प्रसिद्ध अग्निकाण्ड तथा भयंकर प्लेग द्वारा हजारों व्यक्तियों की मृत्यु होना, ‘रायमेरी’ की हत्या और ‘ओलिवर क्रामवेल’ द्वारा ब्रितानी ग्रह युद्ध का सूत्रपात अपने समय पर सही सिद्ध हो चुके हैं। कुछ भविष्यवाणियाँ अलंकारिक ढंग से की गई थीं जो इस प्रकार थीं।
‘‘याक नगर की ट्रिनिटी चर्च की मीनार पर एक औरत गाड़ी में बैठ कर जायेगी।’’ यह अटपटी बात उन दिनों समझ में न आ सकी। किन्तु एक समय इंग्लैण्ड में भयंकर बाढ़ आयी जिसके कारण चर्च की मीनार और निकटवर्ती एक पुल ध्वस्त हो गये। पुल के निर्माण में मीनार में लगी डण्टे प्रयुक्त हुई। पुल बन जाने के बाद उसके उद्घाटन के लिये गाड़ी में बैठकर एक प्रख्यात महिला आयी उसके बाद उस पर से नित्य हजारों व्यक्ति गुजरने लगे।
‘‘बिना घोड़े की गाड़ियां दौड़ेगीं और दुर्घटनाएँ संसार को कराहों से भर देगीं।’’ सर्वविदित है कि पंद्रहवीं सदी तक गाड़ियों को खींचने के लिए एक मात्र साधन छोड़े थे। उस समय तक बिना घोड़े के चलने वाले वाहन प्रकाश में नहीं आये थे। शिप्टन का भविष्य उद्घोष पेट्रोल, तेल, डीजल आदि से चलने वाले वाहनों के आविष्कार की ओर संकेत था। मोटर, कार, स्कूटर, रेल जैसे वाहनों की उन दिनों कल्पना भी नहीं थी।
इसी तरह की अन्य रोचक किन्तु विचित्र भविष्यवाणियाँ मदर शिप्टन ने की थीं। ‘‘हवा में मनुष्य दिखाई देंगे, सफेद में, काले में और हरे में।’’ यह हवाई जहाज, हैलीकाप्टर, राकेट के आविष्कार की कल्पना थी जो अब साकार हो चुकी है।
‘‘पलक झपकने जितने समय में संसार भर में विचार एक छोर से दूसरे छोर तक तैरेंगे।’’ वायरलैस, रेडियो, टेलीविजन आदि के निर्माण की यह भविष्यवाणी थी जो इन दिनों सारी दुनिया पर छापे हुये हैं। इन माध्यमों से सेकेंडों में एक देश के विचार दूसरे देश तक पहुँच जाते हैं। ‘‘मनुष्य पानी के अन्दर चलेंगे सवारी करेंगे तथा उसमें विश्राम करेंगे।’’ उन दिनों यह कल्पना भी नहीं थी कि पनडुब्बी जैसे सशक्त जलवाहन बन सकेंगे।
विश्व की वर्तमान परिस्थितियों पर दृष्टि दौड़ाने पर मदर शिप्टन की अन्तिम भविष्यवाणी भी साकार होते दिखाई पड़ रही है। अन्तर्राष्ट्रीय क्षेत्र में स्वार्थों की आपा-धापी के लिए जो दुष्चक्र चल रहे हैं, उनसे लगता है कि- ‘‘किसी भी क्षण विश्व युद्ध का सूत्रपात हो सकता है। पिछले युद्धों का दुष्प्रभाव सीमित रहा है। परमाणु रूपी दैत्य के पकड़ में आ जाने से अगले दिनों यदि युद्ध छिड़ता है तो व्यापक और चिरस्थायी प्रभाव छोड़ेगा। छोटे-मोटे युद्धों का सिलसिला तो जारी है। ईराक और ईरान के बीच युद्ध पूरे विश्व को प्रभावित कर रहा है। वह मात्र दो देशों का आपसी मामला नहीं रहा। अन्तर्राष्ट्रीय क्षेत्र में दिन-प्रतिदिन तनाव बढ़ता जा रहा है जो कभी भी विश्व युद्ध का रूप धारण कर सकता है। इस नव दशक को मनुष्य जाति के जीवन-मरण का वर्ष समझा जा सकता है।
प्रकृति विक्षोभ भी इन्हीं दिनों अधिक दिखाई पड़ रहे हैं। दृष्टि, अतिवृष्टि, भूकम्प, तूफानों से जितनी तबाही हो रही है उतनी पहले नहीं होती थी। औद्योगीकरण की अन्धी और अदूरदर्शी नीति से वातावरण में विष घुलता जा रहा है। प्रकृति प्रकोपों में प्रकारान्तर से मानवी दुष्कृत्य ही कार्य करते हैं।
ऐसी ही विषम परिस्थितियों में किसी सर्व समर्थ शक्ति के अवतरण की भविष्यवाणी मदर शिप्टन ने की है। चार सौ वर्ष पूर्व इनके भविष्य कथन अपने समय पर शत-प्रतिशत सही सिद्ध हुये हैं। अन्तिम का भी समय आ चुका है तथा उसका छुट-पुट परिचय सूक्ष्म जगत में मिलने लगा है। अपनी तथाकथित प्रगति के अन्धी दौड़ से प्रगतिशील कहे जाने वाले विचारशील वर्ग ने ऊब कर एक बार नये सिरे से सोचना आरम्भ किया है। अब सर्वत्र यह सोचा जा रहा है कि विगत भौतिक प्रगति की ओर एकाँगी दौड़ खतरनाक थी। ‘विश्व मानस’ यह सोचने को बाध्य हुआ है। मानवी गरिमा एवं विशेषताओं की अवहेलना करके विश्व शान्ति को सुरक्षित नहीं रखा जा सकता। यदि कुछ ठोस कदम नहीं उठाये गये, विगत ढर्रे एवं भौतिकवादी चिन्तन को नहीं बदला गया तो मनुष्य की अपनी ही दुर्बुद्धि उसे मार डालेगी।
यह तो विश्व के मूर्धन्य विचारशीलों का चिन्तन है जो इन दिनों पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से प्रकाशन में आ रहे हैं। कारण के बिना कोई क्रिया नहीं होती। सूक्ष्मदर्शी जानते हैं कि कोई समर्थ शक्ति विश्व मनीषा को झकझोर रही तथा उनके चिन्तन में अभीष्ट हेर-फेर के लिए हलचल मचा रही है। इन सूक्ष्म प्रेरणाओं को ही किसी सर्वे समर्थ शक्ति के प्राकट्य का संकेत समझा जा सकता है जिसका उल्लेख मदर शिप्टन ने अपनी भविष्यवाणियों में किया है।