Books - मन को भगवान के साथ जोड़िए
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Language: HINDI
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सर्वप्रथम, जीवन का परिष्कार
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गायत्री के पंचकोश जागरण करने की प्रक्रिया में गुरुजी आपने तो ब्रह्मचर्य की बात कही थी। बेटे, हम बताते हैं कि ब्रह्मचर्य तेरे लिए यहीं से शुरू होता है। औरों के लिए बड़ों के लिए हम कुंडलिनी बता देंगे, पर तेरे लिए कुंडलिनी जगाना बेकार है। तेरे लिए तो यहीं से शुरू होता है। तु यह बता कि तूने अपने जीवन का परिष्कार कर लिया कि नहीं, तभी बेटे बात बनेगी अन्यथा नहीं? हमारे गुरु ने हमें बार-बार बुलाया है। बार-बार बुलाने की शृंखला उन्होंने उस समय से प्रारंभ की जिस समय कि हमारे चौबीस लक्ष के चौबीस गायत्री महापुरश्चरण पूरे हो गए। जब उन्होंने यह देख लिया कि इसने अपना मन, अपना शरीर और अपनी जिह्वा का संशोधन करके इस लायक बना लिया कि हमारी गोदी में आ सकता है, तब उन्होंने अपनी लंबी वाली भुजाएँ फैलाई और कहा, अब तो तुझको मेरे पास आना चाहिए। मैंने कहा पहले क्यों नहीं बुलाया था आपने? मुझे चौबीस साल हो गए जब तो मैं जवान ही था। उन्होंने कहा, तब तक तू संशोधित नहीं हो सका था। मैंने देखा था कि तेरी सफाई में कमी थी, तेरी शुद्धता में कमी थी। तेरी शारीरिक और मानसिक शुद्धता का जो स्तर होना चाहिए उसमें मैंने कमी पाई, इसलिए मैंने सोचा कि अभी और निखार लूँ अभी और तेरे कपड़ों की धुलाई कर लूँ। अब तेरी चड्ढी भी धुल गई, तेरा मन भी धुल गया, तेरा सब धुल गया, अब मेरा मन आता है कि तुझे गोदी में लूँ। अपने पिता से मैं लिपटता हुआ चला गया, उनका दूध पीता हुआ चला गया, उनकी शक्ति-सामर्थ्य को प्राप्त करता हुआ चला गया।
मित्रो! संशोधन का यह काम आवश्यक है, उपासना से भी ज्यादा, भजन से भी ज्यादा। कर्मकाण्ड से भी ज्यादा आवश्यक है। अति आवश्यक है कि आप भी अपना आत्मसंशोधन कर लें, तो बात बने। लोहा जब तक कच्चा रहता है, तब तक उसकी कोई चीज नहीं बन सकती। हमने भिलाई और टाटानगर में कच्चा लोहा देखा। कच्चा लोहा वैगन में भरकर आता था। कच्चा लोहा कहाँ से आता है? साहब! यह जमीन में से खोद खोदकर आता है। साहब! जरा लोहा दिखाना। यह ऐसा लोहा जैसे मिट्टी मिला हो। यह लोहा है। यह कैसा लोहा है? साहब! यही लोहा है। अरे बाबा! यह कैसा लोहा है, यह तो कुछ और ही है। नहीं बाबा! यही लोहा है मिट्टी मिला कच्चा लोहा। बेटे, कैसा लोहा था-मिट्टी थी, भारी भारी पत्थर थे। तो अब इससे लोहा कैसे निकलेगा? देखिए अब तमाशा दिखाते हैं कि इसमें क्या-क्या होता है? कच्चा लोहा लिया और तुरंत लेने के बाद उसको भट्ठी में डाल दिया, गरम किया, पकाया। पकाने के बाद में मिट्टी अलग होती चली गई और लोहा अलग होता चला गया। एक बार सफाई हो गई। दोबारा लोहे को फिर से भट्ठी में डाल दिया, उसमें जो कचाई थी कमजोरी थी, फिर उसमें से साफ हो गई। आगे भी फिर यही प्रक्रिया दोहराई गई। ऐसा होते-होते आखिर में सफाई की प्रक्रिया जब चलती चली जाती है, तो स्टेनलेस स्टील बनती जाती है। स्टेनलेस स्टील कैसी होती है? बेटे, ऐसी होती है, चाँदी जैसी। लोहे में और चाँदी में फर्क नहीं होता है? नहीं साहब! लोहा काला रहता है। नहीं साहब! काला नहीं होता सफेद होता है। लोहा मैला होता है, जंग लग जाती है। नहीं साहब! लोहे को जंग नहीं लगती। स्टेनलेस स्टील को देखिए इसको जंग नहीं लगती है। तो क्या कच्चा लोहा स्टेनलेस लोहा हो सकता है? हाँ हो सकता है। कब, जब लोहे को परिशोधित करते हुए संशोधित करते हुए चले जाएँ।
मित्रो! संशोधन का यह काम आवश्यक है, उपासना से भी ज्यादा, भजन से भी ज्यादा। कर्मकाण्ड से भी ज्यादा आवश्यक है। अति आवश्यक है कि आप भी अपना आत्मसंशोधन कर लें, तो बात बने। लोहा जब तक कच्चा रहता है, तब तक उसकी कोई चीज नहीं बन सकती। हमने भिलाई और टाटानगर में कच्चा लोहा देखा। कच्चा लोहा वैगन में भरकर आता था। कच्चा लोहा कहाँ से आता है? साहब! यह जमीन में से खोद खोदकर आता है। साहब! जरा लोहा दिखाना। यह ऐसा लोहा जैसे मिट्टी मिला हो। यह लोहा है। यह कैसा लोहा है? साहब! यही लोहा है। अरे बाबा! यह कैसा लोहा है, यह तो कुछ और ही है। नहीं बाबा! यही लोहा है मिट्टी मिला कच्चा लोहा। बेटे, कैसा लोहा था-मिट्टी थी, भारी भारी पत्थर थे। तो अब इससे लोहा कैसे निकलेगा? देखिए अब तमाशा दिखाते हैं कि इसमें क्या-क्या होता है? कच्चा लोहा लिया और तुरंत लेने के बाद उसको भट्ठी में डाल दिया, गरम किया, पकाया। पकाने के बाद में मिट्टी अलग होती चली गई और लोहा अलग होता चला गया। एक बार सफाई हो गई। दोबारा लोहे को फिर से भट्ठी में डाल दिया, उसमें जो कचाई थी कमजोरी थी, फिर उसमें से साफ हो गई। आगे भी फिर यही प्रक्रिया दोहराई गई। ऐसा होते-होते आखिर में सफाई की प्रक्रिया जब चलती चली जाती है, तो स्टेनलेस स्टील बनती जाती है। स्टेनलेस स्टील कैसी होती है? बेटे, ऐसी होती है, चाँदी जैसी। लोहे में और चाँदी में फर्क नहीं होता है? नहीं साहब! लोहा काला रहता है। नहीं साहब! काला नहीं होता सफेद होता है। लोहा मैला होता है, जंग लग जाती है। नहीं साहब! लोहे को जंग नहीं लगती। स्टेनलेस स्टील को देखिए इसको जंग नहीं लगती है। तो क्या कच्चा लोहा स्टेनलेस लोहा हो सकता है? हाँ हो सकता है। कब, जब लोहे को परिशोधित करते हुए संशोधित करते हुए चले जाएँ।