Books - मन को भगवान के साथ जोड़िए
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Language: HINDI
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सबसे बड़ा योगाभ्यास
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मित्रो! वास्तव में जीवन जीने की विधि भी यही थी। पर हाय रे भगवान! न जाने लोगों ने क्या कर दिया, लोगों ने क्या व्याख्या कर दी? उपासना को, साधना को लोगों ने जादू मान लिया। अध्यात्म को मनोकामना पूरा करने का जादू मान लिया; यह जादू नहीं है, यह जीवन जीने की कला है। जीवन को संशोधित करने की विधि है। आपका जीवन इतना बड़ा जीवन है कि इस पर हम देवताओं को निछावर कर सकते हैं, भगवान को हम इस पर निछावर कर सकते हैं। भगवान से बड़ा है जीवन। वह साक्षात भगवान है; इस जीवन को परिष्कृत करना अपने आप में सबसे बड़ा योगाभ्यास है। उसे साधना कहिए उसे तप कहिए उसे भजन कहिए-इन सबका उद्देश्य भगवान को रिझाना नहीं है, भगवान की खुशामद करना नहीं है, भगवान को फुसलाना नहीं हैं, भगवान को बहकाना नहीं है। भगवान के आगे तरह-तरह के जाल बिछाना नहीं है। भगवान की उपासना का उद्देश्य एक तो यह है कि हम अपने आप को परिशोधित करते चले जाएँ। अपने आपका परिशोधन करते हुए चले जाएँगे, तो फिर देखेंगे कि क्या कमाल होता है? देखें फिर क्या मजा आता है? देखिए आपके पास कैसे सब चमत्कार आते हैं? मैं आपसे यही कहने वाला था कि आप अपनी वाणी को संशोधित कर लीजिए, फिर आप अपनी जुबान से कहिए कि तेरा भला हो जाए, आशीर्वाद हो जाए और तेरा कल्याण हो जाए। फिर देखना क्या होता है और क्या नहीं होता है। कैसी-कैसी चीजें उड़ती हुई चली आती हैं।
आप अपनी आँखों को संशोधित कर लीजिए फिर देखिए कैसे चमत्कार होता है। आँखों को संशोधित कैसे करें? आँखों को संशोधित ऐसे करें जैसे गान्धारी ने की थीं। गान्धारी ने कैसे किया था? गान्धारी ने आँखों को संशोधित करने के लिए अपनी आँखों पर पट्टी बाँध ली थी। पट्टी बाँधने का मतलब यह है कि दूसरों की, व्यक्तियों की, नर और नारियों की जो मान्यताएँ हैं, उससे आप प्रभावित न हों। गान्धारी ने तो अपनी आँखों में पट्टी इसलिए बाँध ली थी कि उसका जो अंधा पति था, उससे उसकी शादी हुई थी, इसलिए उसने अपनी आँखों में पट्टी बाँध ली थी कि मेरा मर्द एक ही है, दूसरा कोई मर्द है ही नहीं। आँखों का संशोधन करने के पश्चात न कोई जप किया, न तप किया और न कोई पूजा की, न कोई अनुष्ठान किया और न कोई ध्यान किया। गान्धारी ने आँखों में जो पट्टी बाँधी थी, उसका मतलब आपको समझ लेना चाहिए। पट्टी बाँधने का मतलब यह नहीं है कि अपने आप से पट्टी बाँधें। क्यों साहब, सूरदास जी ने अपनी आँखें फोड़ ली थीं या फूट गई थीं और हम भी फोड़ लें तो क्या भगवान दिखाई पड़ेंगे? बेटे, यह गलती तो मत कर लेना। आँखें फोड़ने से मतलब है कि हमारी जो कमीनी आँखें, दुष्ट आँखें हैं; जो नारी को, मातृशक्ति को विषय वासना के रूप में देखती हैं, तो उन्हें हम फोड़ दें अर्थात बदल दें। फिर देखना आँखों का चमत्कार कैसे होता है?
गुरु जी, सिद्धियों का दूसरा तरीका बताइए? क्या तरीका बताएँ? कोई ऐसा मंत्र बताइए कि जिससे काली हमारे काबू में आ जाए, देवी हमारे काबू में आ जाए फलानी हमारे काबू में आ जाए। धूर्त, देवी तेरे काबू में आ जाएगी, तो तेरा कचूमर निकाल देगी। कैसे? वैसे ही जैसे एक बार शुंभ ने अपने दूत से संदेश भेजा, कहा कि देवी तू हमारे काबू में आ जा। काबू से क्या मतलब है? तू हमारी बीबी बन जा। किससे कहने लगा था? चंडी से कि हमारे कहने में चल, हमारे या हमारे भाई निशुंभ की सेवा में आ जा। देवी ने कहा, अच्छा आप हमें बीबी बनाना चाहते हैं? हाँ, आप हम पर हुकुम चलाना चाहते हैं? हाँ, आप हमें गुलाम बनाना चाहते हैं? देवी ने कहा, हम आपकी नौकरानी बन सकती हैं और गुलामी भी कर सकती हैं, पर हमने एक प्रतिज्ञा कर रखी है। आपको हमारी एक शर्त माननी पड़ेगी। बोले-क्या?
यो मां जयति संग्रामे यो मे दर्पं व्यपोहति। यो मे प्रतिबलो लोके स मे भर्ता भविष्यति।।
मैं तुझे अपना पति बनाने को तैयार हूँ और मैं तेरी पत्नी बनने को तैयार हूँ लेकिन शर्त तो पूरी कर। कैसे पूरी करूँ? '' यो मां जयति संग्रामे '' जो मुझको संग्राम में जीतेगा। आ जा मुझसे लड़, इतना पराक्रम, इतना पौरुष, इतना साहस दिखा। जितना साहस मुझ में है, इतना ही पराक्रम-पौरुष दिखा और यह कार्य '' यो मे प्रतिबलो लोके स मे भर्ता भविष्यति '' संसार में जो मेरे समान बलवान होगा, जो मुझे संग्राम में पराजित कर देगा, हरा देगा, वही मेरा स्वामी होगा। में उसी की पत्नी बनूँगी, वरना नहीं बनूँगी। उसने कहा, मैं लड़ने को तैयार नहीं हूँ। तब देवी ने कहा, अब मैं तेरी अक्ल ठीक कर दूँगी।
मित्रो, देवी को आप क्या बनाना चाहते हैं? देवी को औरत बनाना चाहते हैं, आप देवी के पति बनना चाहते हैं न। कौन बनना चाहता है? पति बनना चाहता है या भक्त बनना चाहता है? यह क्या कह रहा है गंदे मुँह से। बेटे, देवी हमारी माँ है। माँ हुकुम देती है और बच्चे को उसका पालन करना पड़ता है। पति का मतलब यह है कि पति हुकुम देता है अपनी बीबी को, खाना बना देना, थोड़ा काम कर हमारे पैर दबा आकर। यही कह रहे थे न कि देवी जी को हमारा हुकुम मानना पड़ेगा, हमारा कहना मानना पड़ेगा। सब पर हुकुम चलाते हैं, गुरुजी को हमारा हुकुम मानना पड़ेगा देवता को, भगवान को हमारा हुकुम मानना पड़ेगा। क्यों? हमने धूपबत्ती जला दी, आपके ऊपर हमने माला पहना दी। आप हुकुम चला रहे थे हमारे ऊपर? हाँ साहब, हम तो हुकुम चलाएँगे आपके ऊपर, हम तो चेला हैं। बड़ा आया चेला।
आप अपनी आँखों को संशोधित कर लीजिए फिर देखिए कैसे चमत्कार होता है। आँखों को संशोधित कैसे करें? आँखों को संशोधित ऐसे करें जैसे गान्धारी ने की थीं। गान्धारी ने कैसे किया था? गान्धारी ने आँखों को संशोधित करने के लिए अपनी आँखों पर पट्टी बाँध ली थी। पट्टी बाँधने का मतलब यह है कि दूसरों की, व्यक्तियों की, नर और नारियों की जो मान्यताएँ हैं, उससे आप प्रभावित न हों। गान्धारी ने तो अपनी आँखों में पट्टी इसलिए बाँध ली थी कि उसका जो अंधा पति था, उससे उसकी शादी हुई थी, इसलिए उसने अपनी आँखों में पट्टी बाँध ली थी कि मेरा मर्द एक ही है, दूसरा कोई मर्द है ही नहीं। आँखों का संशोधन करने के पश्चात न कोई जप किया, न तप किया और न कोई पूजा की, न कोई अनुष्ठान किया और न कोई ध्यान किया। गान्धारी ने आँखों में जो पट्टी बाँधी थी, उसका मतलब आपको समझ लेना चाहिए। पट्टी बाँधने का मतलब यह नहीं है कि अपने आप से पट्टी बाँधें। क्यों साहब, सूरदास जी ने अपनी आँखें फोड़ ली थीं या फूट गई थीं और हम भी फोड़ लें तो क्या भगवान दिखाई पड़ेंगे? बेटे, यह गलती तो मत कर लेना। आँखें फोड़ने से मतलब है कि हमारी जो कमीनी आँखें, दुष्ट आँखें हैं; जो नारी को, मातृशक्ति को विषय वासना के रूप में देखती हैं, तो उन्हें हम फोड़ दें अर्थात बदल दें। फिर देखना आँखों का चमत्कार कैसे होता है?
गुरु जी, सिद्धियों का दूसरा तरीका बताइए? क्या तरीका बताएँ? कोई ऐसा मंत्र बताइए कि जिससे काली हमारे काबू में आ जाए, देवी हमारे काबू में आ जाए फलानी हमारे काबू में आ जाए। धूर्त, देवी तेरे काबू में आ जाएगी, तो तेरा कचूमर निकाल देगी। कैसे? वैसे ही जैसे एक बार शुंभ ने अपने दूत से संदेश भेजा, कहा कि देवी तू हमारे काबू में आ जा। काबू से क्या मतलब है? तू हमारी बीबी बन जा। किससे कहने लगा था? चंडी से कि हमारे कहने में चल, हमारे या हमारे भाई निशुंभ की सेवा में आ जा। देवी ने कहा, अच्छा आप हमें बीबी बनाना चाहते हैं? हाँ, आप हम पर हुकुम चलाना चाहते हैं? हाँ, आप हमें गुलाम बनाना चाहते हैं? देवी ने कहा, हम आपकी नौकरानी बन सकती हैं और गुलामी भी कर सकती हैं, पर हमने एक प्रतिज्ञा कर रखी है। आपको हमारी एक शर्त माननी पड़ेगी। बोले-क्या?
यो मां जयति संग्रामे यो मे दर्पं व्यपोहति। यो मे प्रतिबलो लोके स मे भर्ता भविष्यति।।
मैं तुझे अपना पति बनाने को तैयार हूँ और मैं तेरी पत्नी बनने को तैयार हूँ लेकिन शर्त तो पूरी कर। कैसे पूरी करूँ? '' यो मां जयति संग्रामे '' जो मुझको संग्राम में जीतेगा। आ जा मुझसे लड़, इतना पराक्रम, इतना पौरुष, इतना साहस दिखा। जितना साहस मुझ में है, इतना ही पराक्रम-पौरुष दिखा और यह कार्य '' यो मे प्रतिबलो लोके स मे भर्ता भविष्यति '' संसार में जो मेरे समान बलवान होगा, जो मुझे संग्राम में पराजित कर देगा, हरा देगा, वही मेरा स्वामी होगा। में उसी की पत्नी बनूँगी, वरना नहीं बनूँगी। उसने कहा, मैं लड़ने को तैयार नहीं हूँ। तब देवी ने कहा, अब मैं तेरी अक्ल ठीक कर दूँगी।
मित्रो, देवी को आप क्या बनाना चाहते हैं? देवी को औरत बनाना चाहते हैं, आप देवी के पति बनना चाहते हैं न। कौन बनना चाहता है? पति बनना चाहता है या भक्त बनना चाहता है? यह क्या कह रहा है गंदे मुँह से। बेटे, देवी हमारी माँ है। माँ हुकुम देती है और बच्चे को उसका पालन करना पड़ता है। पति का मतलब यह है कि पति हुकुम देता है अपनी बीबी को, खाना बना देना, थोड़ा काम कर हमारे पैर दबा आकर। यही कह रहे थे न कि देवी जी को हमारा हुकुम मानना पड़ेगा, हमारा कहना मानना पड़ेगा। सब पर हुकुम चलाते हैं, गुरुजी को हमारा हुकुम मानना पड़ेगा देवता को, भगवान को हमारा हुकुम मानना पड़ेगा। क्यों? हमने धूपबत्ती जला दी, आपके ऊपर हमने माला पहना दी। आप हुकुम चला रहे थे हमारे ऊपर? हाँ साहब, हम तो हुकुम चलाएँगे आपके ऊपर, हम तो चेला हैं। बड़ा आया चेला।