Books - राम का नाम ही नहीं, काम भी
Media: TEXT
Language: HINDI
Language: HINDI
शुकदेव जी ही क्यों?
Listen online
View page note
Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
तो फिर किसी और विद्वान को बुलाइए। लोगों ने औरों के नाम बताए पर राजा परीक्षित मना करते रहे। जब लोगों ने कहा कि आप ही बताइए? तब उन्होंने कहा कि मेरा सुझाव है कि आप शुकदेव जी को बुला लें। शुकदेव जी कौन हैं? शुकदेव जी व्यास जी के बालक हैं, जिनकी उमर चौबीस-पच्चीस साल है। चौबीस साल के बच्चे को बुला लें और नब्बे साल के बुड्ढे को, जिसने कितना सारा तप किया है, कितना सारा भजन किया है और कितना बड़ा विद्वान व ऋषि है, उसे रहने दें। क्यों साहब आप उनसे क्यों नहीं सुनना चाहते? उन्होंने कहा कि अगर शुकदेव जी कथा कहेंगे तो हमारी आत्मा का उद्धार हो जाएगा। उनके शब्द हमारे जीवन का उद्धार करने में समर्थ हो सकेंगे, व्यास जी से यह नहीं हो सकेगा। बात आगे बढ़ी। लोगों को बहुत अचंभा हुआ। उन्होंने कहा कि साहब! आप शुकदेव जैसे बच्चे के ऊपर जोर क्यों दे रहे हैं और बुड्ढे को क्यों मना कर रहे हैं? राजा परीक्षित ने कहा कि ठीक है, अगर आप लोग नहीं मानते तो आपको व्यास जी का और शुकदेव जी का हम एक किस्सा सुनाते हैं। इससे आप समझ जाएँगे कि हमारे जिद करने का मतलब क्या है? कारण क्या है?
शुकदेव जी के पक्ष में और व्यास जी के खिलाफ एक राय थी, वह उन्होंने बताई। क्या कहा उन्होंने? राजा परीक्षित ने कहा कि इसका कारण एक है। एक बार हम शिकार खेलने गए और रास्ता भूल गए। हमारे बाकी सारे के सारे साथी तो कहीं और चले गए और हम कहीं और चले गए। शिकार का पीछा करते-करते हम रास्ता भूल गए। रास्ता भूलने के पश्चात घोड़े को भी प्यास लगी और हमको भी प्यास लगी। अब हम कहाँ जाएँ? खाने को भी नहीं था और पीने को भी नहीं था। झाड़ियाँ भरी पड़ी थीं। कहाँ आफत में आ गए? विचार करने लगे कि अब किधर चलें? खाना न मिले तो कोई हर्ज नहीं, पर पानी तो मिलना ही चाहिए। पानी की तलाश करते-करते एक ऐसी जगह पहुँच गए जहाँ बहुत ही सुंदर एक तालाब था। उसमें निर्मल पानी भरा हुआ था। मालूम पड़ता था कि यहाँ कोई देवता रहते हैं।
शुकदेव जी के पक्ष में और व्यास जी के खिलाफ एक राय थी, वह उन्होंने बताई। क्या कहा उन्होंने? राजा परीक्षित ने कहा कि इसका कारण एक है। एक बार हम शिकार खेलने गए और रास्ता भूल गए। हमारे बाकी सारे के सारे साथी तो कहीं और चले गए और हम कहीं और चले गए। शिकार का पीछा करते-करते हम रास्ता भूल गए। रास्ता भूलने के पश्चात घोड़े को भी प्यास लगी और हमको भी प्यास लगी। अब हम कहाँ जाएँ? खाने को भी नहीं था और पीने को भी नहीं था। झाड़ियाँ भरी पड़ी थीं। कहाँ आफत में आ गए? विचार करने लगे कि अब किधर चलें? खाना न मिले तो कोई हर्ज नहीं, पर पानी तो मिलना ही चाहिए। पानी की तलाश करते-करते एक ऐसी जगह पहुँच गए जहाँ बहुत ही सुंदर एक तालाब था। उसमें निर्मल पानी भरा हुआ था। मालूम पड़ता था कि यहाँ कोई देवता रहते हैं।