Books - राम का नाम ही नहीं, काम भी
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Language: HINDI
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राजन की जिज्ञासा
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असमंजस होने के पश्चात में राजा परीक्षित ने अपना घोड़ा आगे बढ़ाया और कहा कि बच्चियो! तुम जा रही हो तो एक बात बताती जाओ? आप कौन हैं? हम राजा परीक्षित हैं। अच्छा पूछिए हम आपकी बात का उत्तर अवश्य देंगे। परीक्षित ने कहा कि वह जवान नंग-धड़ंग लड़का तुम्हारे साथ में नहाता रहा तो तुम्हें शरम नहीं आई और जब वह बुड्ढा पानी पी रहा था, तब तुमको शरम आ गई। तुमने उसके सामने नहाना बंद कर दिया और झाड़ियों में जा छिपी। क्या कारण है? उन्होंने कहा कि राजा परीक्षित! आप नहीं जानते कि ये कौन थे? आपको नहीं मालूम है, परंतु हमें मालूम है कि ये कौन थे? यह लड़का जो अभी-अभी नहाकर गया है, उसका नाम था शुकदेव। शुकदेव को इस बात का ज्ञान नहीं है कि मर्द कौन होता है और औरत क्या होती है? इन्हें दोनों में फरक का ज्ञान नहीं था। ये परमहंस थे। उनकी दृष्टि में कोई अंतर नहीं था। हमने उनकी दृष्टि को देखा और पहचान लिया कि ये परमहंस हैं। इनको मर्द और औरत में कोई भेद मालूम नहीं पड़ता, इसलिए इनके साथ नहाने में हमको कोई एतराज नहीं है, इसलिए हम नहाए, लेकिन यह जो बुड्ढे स्वामी जी आए थे, इनके पिता थे। इन स्वामी जी का तो किस्सा आपको मालूम नहीं है, हमें मालूम है। क्या है, बताइए?
उन्होंने कहा कि इनके खानदान वालों को इस बात की जरूरत हुई कि हमारा वंश डूब जाएगा तो कोई ऐसा खानदान का आदमी होना चाहिए जो अपने खानदान वालों के साथ में रहे और बाल-बच्चे पैदा हो जाएँ। किसकी तलाश करें? इन्हीं स्वामी जी से कहा था कि बाल-बच्चों के बिना जीवन तो बेकार है। स्वामी जी ने कहा कि ठीक है। स्वामी जी, व्यास जी चले गए। व्यास जी की वजह से रानियों को तीन संतानें हुईं। एक का नाम था पांडु, एक का नाम था धृतराष्ट्र और एक का नाम था विदुर। ये तीनों भाई इन्हीं से पैदा हुए थे। तीनों रानियों से बच्चा पैदा करने के बाद में वे भाग आए। ऐसे थे ये स्वामी जी, इन नंग-धड़ंग शुकदेव के पिता।
उन्होंने कहा कि इनके खानदान वालों को इस बात की जरूरत हुई कि हमारा वंश डूब जाएगा तो कोई ऐसा खानदान का आदमी होना चाहिए जो अपने खानदान वालों के साथ में रहे और बाल-बच्चे पैदा हो जाएँ। किसकी तलाश करें? इन्हीं स्वामी जी से कहा था कि बाल-बच्चों के बिना जीवन तो बेकार है। स्वामी जी ने कहा कि ठीक है। स्वामी जी, व्यास जी चले गए। व्यास जी की वजह से रानियों को तीन संतानें हुईं। एक का नाम था पांडु, एक का नाम था धृतराष्ट्र और एक का नाम था विदुर। ये तीनों भाई इन्हीं से पैदा हुए थे। तीनों रानियों से बच्चा पैदा करने के बाद में वे भाग आए। ऐसे थे ये स्वामी जी, इन नंग-धड़ंग शुकदेव के पिता।