Books - राम का नाम ही नहीं, काम भी
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Language: HINDI
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तालाब में स्नान का दृश्य
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राजा परीक्षित को बहुत खुशी हुई कि हम भी पानी पिएँगे और घोड़े को भी पानी पिलाएँगे। उन्होंने तालाब को गौर से देखा तो रुक गए। क्या देखा? उस तालाब के भीतर सयानी कन्याएँ नहा रही थीं। कपड़े उन्होंने तालाब के बाहर रख दिए थे और नंगी होकर के तालाब में नहा रही थीं। देवताओं की लड़कियाँ थीं। बड़ी उम्र की सयानी लड़कियाँ थीं। राजा परीक्षित ने सोचा कि लड़कियाँ हैं, नंगी हैं, अभी इनको नहा लेने देना चाहिए। इनको शरम लगेगी, इसलिए छिपकर खड़े हो गए और इंतजार करने लगे कि लड़कियों नहाकर जाएँ तब हम पानी पिएँ। चुपचाप तमाशा देखते रहे। उन्होंने देखा लड़कियाँ तालाब में उछल-कूद कर रही थीं। तभी चौबीस साल का एक छोकरा आ गया। वह बिलकुल नंगा। उसके शरीर पर एक लँगोटी भी नहीं थी। वह भी आया और उसी तालाब में पानी पीने लगा। फिर उसका मन आया तो वह भी नहाने लगा। लड़कियों भी नहाती रहीं और लड़का भी नहाता रहा। दोनों वहीं नहाते रहे। नहा-धो लेने के बाद लड़का चला गया। लड़कियों ने उस ओर कोई ध्यान नहीं दिया और वे नहाती-धोती रहीं। आपस में हँसती-खेलती रहीं।
राजा परीक्षित को बड़ा अचंभा हुआ कि ये सयानी लड़कियाँ हैं और वह भी सयाना लड़का है और वह भी नंगा, बिना लँगोट के है। तभी क्या देखते हैं कि थोड़ी देर में वहाँ एक साधु आया और बोला, पानी पी लेते हैं। उसे देखकर लड़कियाँ तालाब से निकलकर बाहर भागीं और अपने-अपने कपड़े उठाकर झाड़ियों में छिप गईं। झाड़ी में छिपी बैठीं लड़कियाँ घूर-घूरकर देखती रहीं कि बुड्ढा बैठा है कि चला गया। जब बुड्ढा वहाँ से चला गया तो बड़ी मुश्किल से लड़कियाँ झाड़ियों से बाहर निकलीं और देखा कि बुड्ढा तो कहीं नहीं है और तब कपड़े पहनकर के अपने घर चलने की तैयारी करने लगीं। राजा परीक्षित फिर से अचंभित हुए कि वह बुड्ढा खाली पानी पी रहा था, नहा भी नहीं रहा था और सारे कपड़े भी पहने हुए था, तो भी लड़कियों को इतनी शरम आई और जवान लड़के से कोई शरम नहीं आई। उनके मन में असमंजस हुआ।
राजा परीक्षित को बड़ा अचंभा हुआ कि ये सयानी लड़कियाँ हैं और वह भी सयाना लड़का है और वह भी नंगा, बिना लँगोट के है। तभी क्या देखते हैं कि थोड़ी देर में वहाँ एक साधु आया और बोला, पानी पी लेते हैं। उसे देखकर लड़कियाँ तालाब से निकलकर बाहर भागीं और अपने-अपने कपड़े उठाकर झाड़ियों में छिप गईं। झाड़ी में छिपी बैठीं लड़कियाँ घूर-घूरकर देखती रहीं कि बुड्ढा बैठा है कि चला गया। जब बुड्ढा वहाँ से चला गया तो बड़ी मुश्किल से लड़कियाँ झाड़ियों से बाहर निकलीं और देखा कि बुड्ढा तो कहीं नहीं है और तब कपड़े पहनकर के अपने घर चलने की तैयारी करने लगीं। राजा परीक्षित फिर से अचंभित हुए कि वह बुड्ढा खाली पानी पी रहा था, नहा भी नहीं रहा था और सारे कपड़े भी पहने हुए था, तो भी लड़कियों को इतनी शरम आई और जवान लड़के से कोई शरम नहीं आई। उनके मन में असमंजस हुआ।