Books - राम का नाम ही नहीं, काम भी
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Language: HINDI
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अपने मन को देखें
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नहीं साहब! हमारी मरजी तो ऐसी है, जैसी रावण की थी। रावण बहुत मालदार बनना चाहता था और अपने बेटे-पोतों के लिए दौलत जमा करना चाहता था। बेटे! मैंने समझ लिया कि आपका रास्ता कौन सा है? अभी आप किसका नाम ले रहे थे? नाम तो हम रामचंद्र जी का ले रहे थे। मेरी समझ में आपने गलती कर दी। आपको रावण का जप करना चाहिए था। क्या करना चाहिए था आपको? फिर आपको हमसे नया मंत्र पूछना चाहिए था। अगर आपका मकसद यह था कि हमको भी रावण के तरीके से मालदार और दौलतमंद होना चाहिए और हमारी सारी की सारी ताकत और सारी की सारी अक्ल जो खरच हो, वह केवल दो आदमियों के लिए होनी चाहिए जिसमें हमारे बेटे और पोते के अलावा तीसरा शामिल नहीं हो सकता। अगर आपकी मरजी यही थी तो फिर आपने राम के नाम को झमेले में क्यों डाला? जिस जगह जाना था, उसका टिकट क्यों नहीं लिया? नहीं साहब! हमको तो हरिद्वार जाना था। तो भाई साहब! आपने ऋषिकेश का टिकट क्यों लिया? कलकत्ता (कोलकाता) जा रहे थे तो फिर आपने बंबई (मुंबई) का टिकट क्यों लिया? आपने गलती कर दी। अब आप स्टेशन बाबू से कहिए कि साहब! हमको कलकत्ता (कोलकाता) का टिकट दीजिए। अगर आपने बंबई (मुंबई) का टिकट खरीद लिया और जाना था कलकत्ता (कोलकाता) तो भी आप गलती करते हैं। इसमें पैसा भी जाएगा और परेशानी भी पैदा होगी।