Books - राम का नाम ही नहीं, काम भी
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Language: HINDI
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उच्चारण मात्र नहीं, राम जीवन में उतरे
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इसके बाद गोस्वामी तुलसीदास जी ने अपना रवैया बदल लिया था। रवैया बदल लेने के बाद में जब राम-नाम लिया तो राम के नाम को अपनी जिंदगी में समावेश कर लिया। दोनों का समन्वय हो गया तो तुलसीदास जी का राम का नाम चमत्कार भी दिखाने लगा। कैसे? 'तुलसीदास चंदन घिसे, तिलक देत रघुवीर।' तुलसीदास जी के पास तिलक देने के लिए रघुवीर स्वयं पहुँचे थे। तो महाराज जी! रामचंद्र जी हमारे पास आएँगे? आपके पास नहीं आएँगे। क्यों नहीं आएँगे? इसलिए नहीं आएँगे कि तुलसीदास जी ने राम के नाम को ग्रहण करने के पश्चात राम की रीति-नीति से जीवनयापन किया था। इसलिए उनके जीवन में चमत्कार आ गया। आप तो केवल शब्दों का उच्चारण करते हैं और अपनी जिंदगी में उन तत्त्वों का समावेश नहीं करना चाहते तो फिर रामचंद्र जी आपका चंदन लगाने के लिए कैसे आ सकते हैं? आप अपनी जिंदगी की बात को क्यों नहीं कहते? नहीं साहब! हम तो शब्दों की बात कहते हैं। शब्द काफी नहीं होते। शब्दों के साथ-साथ में उनका ''बैकग्राउंड'' भी होना चाहिए। नहीं साहब! हम चैक काट देंगे। इतने रुपए का चैक काट देने से बैंक वाला उसे कैश नहीं करेगा और यों कहेगा कि पचास रुपए जमा हैं तो आप पैंतालीस रुपए का चैक काट दीजिए उनचास रुपए का काट दीजिए। इससे ज्यादा का चैक आप नहीं काट सकते।