Books - शिक्षा व्यवस्था कैसी हो?
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Language: HINDI
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महिलाओं के लिए प्रौढ़ पाठशाला
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महिलाओं को रात को बहुत काम करना पड़ता है। उनके पास फुरसत का वक्त तीसरे पहर का है। दोपहर को रोटी-पानी बना-खा करके बच्चों को भेज करके उनके पास अक्सर तीसरा पहर अर्थात दो से पाँच अथवा तीन से पाँच या और आगे-पीछे इस समय दो घण्टे का समय आसानी से बच सकता है। प्रत्येक महिला को अक्सर यह वक्त फुरसत का मिलता है। यह फुरसत का वक्त इस काम के लिए लगाया जाना चाहिए। मोहल्ले-मोहल्ले में, गली-गली में और गाँव-गाँव में ऐसी पाठशाला लगाई जाएँ जिनमें प्रौढ़ महिलाएँ पढ़ने के लिए आएँ। उनको साक्षरता की दृष्टि से इस लायक बनाया जा सके कि वो अपनी आवश्यक जीवनोपयोगी बातों को सुन सकें, समझ सकें और जान सकें। इस तरह की शिक्षा महिलाओं के लिए तीसरे पहर और पुरुषों के लिए सायंकाल को होनी चाहिए। इस तरीके से शिक्षा की व्यवस्था की जाए जो अपने लिए बहुत ही उपयोगी और बहुत ही महत्त्वपूर्ण सिद्ध होगी। थोड़े दिनों में सारा देश साक्षर हो जाएगा। लोगों के अंदर सेवा करने की वृत्ति विकसित होगी। हर आदमी, हर शिक्षक ये अनुभव करेगा कि शिक्षा ऋण को चुकाया जाना चाहिए।
शिक्षा की व्यवस्था अत्यधिक आवश्यक है और उसको पूरा करने के लिए हर आदमी को और हर व्यक्ति को किसी न किसी रूप में भाग लेना चाहिए। जो लोग बाहर वालों की सेवा नहीं कर सकते, कम से कम उनको इतना तो करना ही चाहिए कि अपने घर के लोग हैं, बच्चे हैं, बुड्ढे हैं जो घर की अशिक्षित स्त्रियाँ हैं या अशिक्षित व्यक्ति हैं, उनको पढ़ाने के लिए समय दिया करें। उनको आगे बढ़ाने के लिए इस तरह की पाठशालाओं की आवश्यकता है। मान लीजिए किसी ने मिडिल पास किया है। उसकी इच्छा मेट्रिक पास करने की है। उनको ऐसी सुविधाएँ होनी चाहिए उनके लिए ऐसे ट्यूटोरियल स्कूल होने चाहिए जिसमें कि उस फुरसत के वक्त में, रात के वक्त में पढ़ सकें। महिलाएँ जो थोड़ी पढ़ी हुई हैं और आगे पढ़ना चाहती हैं, उनके लिए ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए कि जो सायंकाल के वक्त जो फुरसत का वक्त है उसमें वो पढ़ें और पढ़ लिखकर अपनी योग्यता बढ़ाएँ परीक्षा दें और शिक्षा प्राप्त करें और उच्च शिक्षा को प्राप्त करने की अधिकारी हो जाएँ। ऐसी व्यवस्था का जमाना एक बड़ी भारी सामाजिक आवश्यकता है। उसको पूरा किया ही जाना चाहिए।
शिक्षा की व्यवस्था अत्यधिक आवश्यक है और उसको पूरा करने के लिए हर आदमी को और हर व्यक्ति को किसी न किसी रूप में भाग लेना चाहिए। जो लोग बाहर वालों की सेवा नहीं कर सकते, कम से कम उनको इतना तो करना ही चाहिए कि अपने घर के लोग हैं, बच्चे हैं, बुड्ढे हैं जो घर की अशिक्षित स्त्रियाँ हैं या अशिक्षित व्यक्ति हैं, उनको पढ़ाने के लिए समय दिया करें। उनको आगे बढ़ाने के लिए इस तरह की पाठशालाओं की आवश्यकता है। मान लीजिए किसी ने मिडिल पास किया है। उसकी इच्छा मेट्रिक पास करने की है। उनको ऐसी सुविधाएँ होनी चाहिए उनके लिए ऐसे ट्यूटोरियल स्कूल होने चाहिए जिसमें कि उस फुरसत के वक्त में, रात के वक्त में पढ़ सकें। महिलाएँ जो थोड़ी पढ़ी हुई हैं और आगे पढ़ना चाहती हैं, उनके लिए ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए कि जो सायंकाल के वक्त जो फुरसत का वक्त है उसमें वो पढ़ें और पढ़ लिखकर अपनी योग्यता बढ़ाएँ परीक्षा दें और शिक्षा प्राप्त करें और उच्च शिक्षा को प्राप्त करने की अधिकारी हो जाएँ। ऐसी व्यवस्था का जमाना एक बड़ी भारी सामाजिक आवश्यकता है। उसको पूरा किया ही जाना चाहिए।