Books - शिक्षा व्यवस्था कैसी हो?
Media: TEXT
Language: HINDI
Language: HINDI
प्राइमरी के बाद शिक्षा व्यवस्था कैसी हो?
Listen online
View page note
Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
पाँचवें दरजे के बाद बेसिक शिक्षा का निर्धारण हो जाना चाहिए। दुकानदार के बच्चों को किस चीज की जरूरत है। हिसाब-किताब से लेकर के और व्यापारिक ज्ञान तक उनको पढ़ाया जाना चाहिए। जिस आदमी को सरकारी नौकरी करनी है, उसे देखा जाए कि उसको नौकरी की आवश्यकता भी है कि नहीं। उसके लिए सरकार को या दूसरी संस्था को पहले से ही माँग घोषित करनी चाहिए कि हमारे यहाँ प्रतिवर्ष इतने नौकरों की जरूरत पड़ेगी। उन नौकरों की माँग के अनुरूप और अनुपात से, इस तरीके से व्यक्ति विकसित किए जाने चाहिए कि उन नौकरियों में फिट हो सकें और लगभग उतने ही पढ़ें। हर साल नए इंजीनियरों की भरती जिसमें बूढ़े लोगों का रिटायर हो जाना शामिल है, और नयों की वृद्धि शामिल है, मान लीजिए एक हजार इंजीनियरों की आवश्यकता है, तो हमारे इंजीनियरिंग कॉलेजों में भरती करने के साथ पहले ही देख लेना चाहिए कि एक हजार की जगह पर सवा हजार इंजीनियर को पैदा करने का इंतजाम किया जाए। ऐसा नहीं होना चाहिए कि एक हजार इंजीनियरों की जरूरत है और दस हजार इंजीनियर पैदा किए जाएँ और नौ हजार इंजीनियर जिन्होंने पढ़ाई' लिखाई की है, बहुत सारा वक्त खरच किया है और पैसा खरच किया है, उनका क्या होगा?
इस तरीके से जो नौकरी की बात है उसको पहले राष्ट्रीय आवश्यकता को ध्यान में रखा जाए कारखानों की आवश्यकता को ध्यान में रखा जाएँ और मोटा अनुपात लगाया जाए कि इतने लोगों के लिए नौकरी का स्थान होगा, उतने ही लोगों को शिक्षित किया जाए खासतौर से सरकारी नौकरियों के बारे में। प्राइवेट नौकरियों की तो बात अलग है, वहाँ उसकी व्यवस्था का अंदाज लगाना मुश्किल है, सरकारी नौकरों का अंदाज लग सकता है और उस तरह की नौकरी के स्कूल, सरकारी सेवा और प्रशासनिक ढाँचे के बारे में प्राथमिक शिक्षा से ही जानकार बनें, ताकि वो उस मशीनरी में ठीक से फिट हो सकें। इस तरीके से खासतौर से सरकारी नौकरियों के बारे में इस अनुपात से ही शिक्षण दिया जाना चाहिए और अनावश्यक लोगों की भरती पहले से ही बंद कर देनी चाहिए ताकि किसी तरह की समस्या खड़ी न हो बेकारी की समस्या न हो, बेरोजगारी की समस्या न हो।
इस तरीके से जो नौकरी की बात है उसको पहले राष्ट्रीय आवश्यकता को ध्यान में रखा जाए कारखानों की आवश्यकता को ध्यान में रखा जाएँ और मोटा अनुपात लगाया जाए कि इतने लोगों के लिए नौकरी का स्थान होगा, उतने ही लोगों को शिक्षित किया जाए खासतौर से सरकारी नौकरियों के बारे में। प्राइवेट नौकरियों की तो बात अलग है, वहाँ उसकी व्यवस्था का अंदाज लगाना मुश्किल है, सरकारी नौकरों का अंदाज लग सकता है और उस तरह की नौकरी के स्कूल, सरकारी सेवा और प्रशासनिक ढाँचे के बारे में प्राथमिक शिक्षा से ही जानकार बनें, ताकि वो उस मशीनरी में ठीक से फिट हो सकें। इस तरीके से खासतौर से सरकारी नौकरियों के बारे में इस अनुपात से ही शिक्षण दिया जाना चाहिए और अनावश्यक लोगों की भरती पहले से ही बंद कर देनी चाहिए ताकि किसी तरह की समस्या खड़ी न हो बेकारी की समस्या न हो, बेरोजगारी की समस्या न हो।