Books - विचार-क्रांति ही एकमात्र उपचार
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Language: HINDI
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विचार-क्रांति ही एकमात्र उपचार
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गायत्री मंत्र हमारे साथ-साथ—
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।
देवियो, भाइयो! मनुष्य के शरीर में दो चीजें हैं-एक उसकी रचना अर्थात काया और दूसरी चेतना। काया का संबंध खाने-पीने से है, सोने-उठने से है और इंद्रिय भोगों से है। पशु का छोटा सा जीवन जिस तरीके से काया के ऊपर टिका रहता है, उसी तरीके से यदि मनुष्य का जीवन भी टिका रहे तो यह मानना चाहिए कि मनुष्य के जीवन का कोई महत्त्व न बन सका और उसके जीवन का कोई उद्देश्य पूरा न हो सका। खाने-पीने और बच्चे पैदा करने के जंजाल में वह फँस गया। यह भी कोई जीवन है क्या? नहीं, यह कोई जीवन नहीं है। यह बहुत ही घटिया और पशुओं जैसा नारकीय जीवन है।
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।
देवियो, भाइयो! मनुष्य के शरीर में दो चीजें हैं-एक उसकी रचना अर्थात काया और दूसरी चेतना। काया का संबंध खाने-पीने से है, सोने-उठने से है और इंद्रिय भोगों से है। पशु का छोटा सा जीवन जिस तरीके से काया के ऊपर टिका रहता है, उसी तरीके से यदि मनुष्य का जीवन भी टिका रहे तो यह मानना चाहिए कि मनुष्य के जीवन का कोई महत्त्व न बन सका और उसके जीवन का कोई उद्देश्य पूरा न हो सका। खाने-पीने और बच्चे पैदा करने के जंजाल में वह फँस गया। यह भी कोई जीवन है क्या? नहीं, यह कोई जीवन नहीं है। यह बहुत ही घटिया और पशुओं जैसा नारकीय जीवन है।