Books - विचार-क्रांति ही एकमात्र उपचार
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Language: HINDI
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चलता-फिरता पुस्तकालय
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मित्रो! आज सबसे बड़ा प्रश्न यही है कि लोकरुचि ज्ञान की ओर से जो अस्त-व्यस्त हो गई है, उसको इस तरीके से जगाएँ-इसके लिए झोला पुस्तकालय चलाने की बात कही गई है। एक रुपया और एक घंटा समय देने की बात कही गई है। आप कहीं भी जाएँ-अपने ऑफिस में जाएँ रेलगाड़ी में जाएँ सफर में जाएँ? रिश्तेदारी में जाएँ एक छोटा सा बैग अपने पास रखें। उसमें ५-२५ किताबें, जो बड़ी उपयोगी हैं और बौद्धिक क्रांति के लिए मार्गदर्शन करती हैं, उनको अपने साथ लेकर जाएँ और जिस किसी आदमी से हमारी बात-चीत हो, बात-चीत का सिलसिला शुरू हो अपने मिशन की बात करके थोड़ी सी रुचि जाग्रत करके और उसका लाभ एवं माहात्म्य बता करके एक पुस्तक चुपके से उसकी ओर खिसका दी जाए और पढ़ने के लिए कहा जाए। उसके पास किताब पढ़ने लायक समय न हो तो जो विज्ञप्तियों हैं, उनको पढ़ने के लिए कहा जाए और उसको वापस लिया जाए।
अधिकांश लोग तो बिना पढ़े ही हैं। बिना पढ़े लोगों को जहाँ भी मौका मिल जाए वहाँ इकट्ठा कर लें। चाहे जहाँ इकट्ठा बैठे हों, उनसे प्रार्थना करनी चाहिए कि आपके पास दो चार मिनट का समय हो तो एक बात आपको सुना दूँ क्या? अगर वे कहें कि सुनाइए तो एक विज्ञप्ति सुना दीजिए। दस मिनट में यह खत्म हो जाती हैं। ये विज्ञप्तियों बड़ी मजेदार हैं। वहाँ सुना दीजिए यहाँ सुना दीजिए घर में सुना दीजिए रेलगाड़ी में सुना दीजिए मोटर-बस में सुना दीजिए। इस तरीके से बिना पढ़ों को ये पुस्तकें सुनाई जा सकती हैं, पढ़ों को पढ़ाई जा सकती हैं। इस विचारधारा को हममें से हर आदमी को मिशनरी स्पिरिट के द्वारा फैलाने की कोशिश करनी चाहिए। ज्ञानयज्ञ हमारा विश्व-कल्याण का यज्ञ है। उसको केवल भौतिक दृष्टि से हजार गुना, लाख गुना बड़ा माना जाना चाहिए और हर विचारशील को ज्ञानयज्ञ के लिए अपने हिस्से का कर्तव्यपालन करने के लिए कटिबद्ध हो जाना चाहिए।
आज की बात समाप्त।
॥ॐ शान्ति:॥
अधिकांश लोग तो बिना पढ़े ही हैं। बिना पढ़े लोगों को जहाँ भी मौका मिल जाए वहाँ इकट्ठा कर लें। चाहे जहाँ इकट्ठा बैठे हों, उनसे प्रार्थना करनी चाहिए कि आपके पास दो चार मिनट का समय हो तो एक बात आपको सुना दूँ क्या? अगर वे कहें कि सुनाइए तो एक विज्ञप्ति सुना दीजिए। दस मिनट में यह खत्म हो जाती हैं। ये विज्ञप्तियों बड़ी मजेदार हैं। वहाँ सुना दीजिए यहाँ सुना दीजिए घर में सुना दीजिए रेलगाड़ी में सुना दीजिए मोटर-बस में सुना दीजिए। इस तरीके से बिना पढ़ों को ये पुस्तकें सुनाई जा सकती हैं, पढ़ों को पढ़ाई जा सकती हैं। इस विचारधारा को हममें से हर आदमी को मिशनरी स्पिरिट के द्वारा फैलाने की कोशिश करनी चाहिए। ज्ञानयज्ञ हमारा विश्व-कल्याण का यज्ञ है। उसको केवल भौतिक दृष्टि से हजार गुना, लाख गुना बड़ा माना जाना चाहिए और हर विचारशील को ज्ञानयज्ञ के लिए अपने हिस्से का कर्तव्यपालन करने के लिए कटिबद्ध हो जाना चाहिए।
आज की बात समाप्त।
॥ॐ शान्ति:॥