Books - विचार-क्रांति ही एकमात्र उपचार
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Language: HINDI
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समझदारी का शिक्षण
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मित्रो! आज आदमी के पास कोई लक्ष्य, कोई दिशा नहीं है। हमारे पास विद्या है तो हम इसका क्या करें? पैसा है तो इसका क्या करें? समाज के सामने ढेर लगी समस्याओं का हल किस तरीके से करें, कुछ समझ में नहीं आता। बेअकली की इस अव्यवस्था को दूर करने के लिए यह आवश्यकता अनुभव की गई कि लोगों को समझदारी सिखाई जाए। समझदारी केवल ज्योमेट्री, इतिहास, भूगोल को नहीं कहते। समझदारी उसे कहते हैं, जिसके द्वारा सही चिंतन करने के बाद में आदमी व्यक्तिगत जीवन की समस्याओं, समाज की समस्याओं और अपने युग की समस्याओं का समाधान कर सके। ऐसा जानकारियाँ का नाम ज्ञान है। आज सबसे बड़ी आवश्यकता इस बात की समझी गई है कि हजार वर्ष की गुलामी के बाद आदमी के विचार करने का ढंग भ्रष्ट हो गया है, उसका कण-कण दूषित और विकृत हो गया है। इसको उखाड़कर फेंक दिया जाए और सोचने के नए तरीके लोगों के दिमागों में स्थापित किए जाएँ। विवेकशीलता के आधार पर क्या बात सोची जानी चाहिए और क्या नहीं सोची जानी चाहिए? क्या किया जाना चाहिए और क्या नहीं किया जाना चाहिए कौन सी दिशा गलत है और कौन सही है? इसका शिक्षण किया जाए। यह शिक्षण करना मानव जाति की, समाज की सबसे बड़ी सेवा है।
साथियो! अपने युग निर्माण योजना के युग-परिवर्तन के कार्यक्रम में पहला स्थान इसी को दिया गया है। हमने ये कोशिश की है कि इस तरह के विचारों की एक धारा और उसकी पद्धति की संहिता का निर्माण किया जाए जो मनुष्यों के गलत सोचने के स्थान पर सही सोचने का मार्गदर्शन कर सके। मैंने ढेरों पुस्तकें पढ़ी हैं, लेकिन ऐसा साहित्य कहीं नहीं है, जो आदमी को और उलझन में डालने की बजाय उसको सही सोचने का तरीका सिखाए। सही सोचने का तरीका सिखाने के लिए युग निर्माण योजना ने ऐसा साहित्य, ऐसी विज्ञप्तियों ऐसे ट्रैक्ट कम से कम मूल्य पर छापे हैं, जिसको पढ़ने के बाद आदमी को स्वतंत्र चिंतन की दिशा मिले। आदमी को यह प्रकाश मिले कि हमारे सोचने का सही तरीका क्या है, समाज की समस्याओं का वास्तविक स्वरूप क्या है, व्यक्ति की उलझनों का वास्तविक कारण क्या है, उनका समाधान किस तरीके से किया जा सकता है? अगर यह राह मिल जाए तो बीमारियों का निदान हो जाएगा कि समाज में फैली हुई विकृतियों का एकमात्र कारण मनुष्य का गलत सोचना है। अगर गलत सोचने की बात को आदमी जान ले और सही सोचना शुरू कर दे तो मजा आ जाए।
साथियो! अपने युग निर्माण योजना के युग-परिवर्तन के कार्यक्रम में पहला स्थान इसी को दिया गया है। हमने ये कोशिश की है कि इस तरह के विचारों की एक धारा और उसकी पद्धति की संहिता का निर्माण किया जाए जो मनुष्यों के गलत सोचने के स्थान पर सही सोचने का मार्गदर्शन कर सके। मैंने ढेरों पुस्तकें पढ़ी हैं, लेकिन ऐसा साहित्य कहीं नहीं है, जो आदमी को और उलझन में डालने की बजाय उसको सही सोचने का तरीका सिखाए। सही सोचने का तरीका सिखाने के लिए युग निर्माण योजना ने ऐसा साहित्य, ऐसी विज्ञप्तियों ऐसे ट्रैक्ट कम से कम मूल्य पर छापे हैं, जिसको पढ़ने के बाद आदमी को स्वतंत्र चिंतन की दिशा मिले। आदमी को यह प्रकाश मिले कि हमारे सोचने का सही तरीका क्या है, समाज की समस्याओं का वास्तविक स्वरूप क्या है, व्यक्ति की उलझनों का वास्तविक कारण क्या है, उनका समाधान किस तरीके से किया जा सकता है? अगर यह राह मिल जाए तो बीमारियों का निदान हो जाएगा कि समाज में फैली हुई विकृतियों का एकमात्र कारण मनुष्य का गलत सोचना है। अगर गलत सोचने की बात को आदमी जान ले और सही सोचना शुरू कर दे तो मजा आ जाए।