Books - विचार-क्रांति ही एकमात्र उपचार
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Language: HINDI
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हर काम-ऊँचे दृष्टिकोण से
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साथियो! यह सारे का सारा जो कुछ भी हमारा दार्शनिक ढाँचा खड़ा हुआ है, इसी आधार पर खड़ा हुआ है। अगर यह स्तर मनुष्य का बना रहा तो जो कुछ भी आदमी काम करेगा, उसमें शान उत्पन्न हो जाएगी, उसी में सुख और सुविधा उत्पन्न हो जाएगी। ईमानदार आदमी अगर तिजारत करेगा तो उस तिजारत से सारी जनता को बहुत लाभ होगा और आदमी का वक्त बच जाएगा तथा जरा सी चीजें खरीदने वालों को बहुत संतोष होगा और जो भी अच्छी चीजें उसे चाहिए थीं, खरीदनी थीं, मिल जाएँगी। बस, उसको एक−दूसरे के प्रति प्रेम और विश्वास देना पड़ेगा। व्यापार हो तो क्या, अध्यापन हो तो क्या, मजदूरी हो तो क्या-कोई भी काम क्यों न हो, अगर मनुष्य ऊँचे दृष्टिकोण से करे तो वह छोटा सा काम भी समाज के लिए बहुत उपयोगी हो सकता है और व्यक्ति की शान और गुणों को ऊँचा उठा सकता है। फिर हर आदमी यही कोशिश करेगा कि मेरा काम अच्छे किस्म का हो और मेरी इज्जत अच्छे काम के साथ जुड़ी हो। पैसा कम लेता हो या ज्यादा, लोग इस बात की सराहना करें कि किसी आदमी ने इसको बड़े मनोयोग, बड़ी दिलचस्पी और बड़ी मेहनत के साथ किया है। फिर उसकी इज्जत और आबरू लोगों की आँखों में भी बढ़ेगी और अपनी आँखों में भी। अपने आप को यह मालूम पड़े कि हम ईमानदार, शरीफ नेक, कर्तव्यपरायण और वचन के पाबंद हैं। आदमी की ऊँचाई इसी बात पर टिकी हुई है।