दिव्यांग बच्चों ने बनाया गायत्री साधना का विश्व कीर्तिमान
गुजरात के कई नगरों की 33 संस्थाओं के 3318 बच्चों ने एक साथ की साधना
दिव्यांग बच्चों के व्यक्तित्व विकास के लिए जीवन समर्पित करने वाली युगऋषि पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी की शिष्या श्रीमती हेमांगिनी देसाई और दिव्यांग बच्चों के बीच भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा का प्रचार विस्तार कर रहे पूरे गुजरात के कार्यकर्त्ताओं के प्रशंसनीय प्रयासों से गुजरात राज्य के दिव्यांग बच्चों ने त्रिविध गायत्री साधना का विश्व रिकॉर्ड स्थापित किया है। इस वर्ष मनाए गए विश्व विकलांग सप्ताह के अंतर्गत दिनांक 5 दिसम्बर को राज्य के कई नगरों की 33 संस्थाओं के विकलांग
3318 बच्चों ने एक दिन एक समय प्रात: 11.30 से 12 बजे के बीच गायत्री मंत्र लेखन, ब्रेल लिपि साइन लेग्वेंज और युगऋषि पं. श्रीराम शर्मा जी की आवाज में गायत्री मंत्रोच्चार की साधनाएँ कीं। यह एक विश्व रिकॉर्ड है, जो विश्व रिकार्ड इंडिया द्वारा दर्ज किया गया।
यह समग्र साधना अभियान गुजरात, विशेषकर सूरत में बच्चों के व्यक्तित्व विकास के लिए समर्पित भारतीय संकृति ज्ञान परीक्षा इकाई की विविध गतिविधियों के अंतर्गत सम्पन्न हुआ। सूरत (1599), अहमदाबाद (426), भावनगर (338), नवसारी (251), नडियाद (200), वलसाड (137), सुरेन्द्रनगर(80), वड़ोदरा (70), मोडासा (62), अमरेली (60), गोधरा (51), पाटन (40) के विकलांग बच्चों ने इस साधना अभियान में भाग लिया। दृष्टि बाधित (627), मूक-बधिर (1039), शारीरिक
विकलांग (271), मंद बुद्धि (1381) बच्चे इस साधना अभियान में शामिल थे।
शान्तिकुञ्ज के आशीष इस अभियान में जुटे गुजरात के कार्यकर्त्ताओं के अद्वितीय समर्पण से मिली इस सफलता के लिए अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुखद्वय श्रद्धेय डॉ. प्रणव पण्ड्या एवं श्रद्धेया शैल जीजी ने हार्दिक शुभकामनाएँ प्रदान कीं। उन्होंने कहा कि गायत्री मंत्र की उपासना आत्मशक्ति का विकास करने की साधना है। यह बच्चों में नई ऊर्जा का संचार करेगी। उन्हें उत्कृष्टता की नई राहें दिखाएगी। इस सफलता में प्रहरसा बेन मेहता, शान्तिकुञ्ज के कीर्तन दुष्यंत भाई देसाई आदि की विशेष भूमिका रही।