छत्तीसगढ़ एवं ओडिशा की कार्यशाला
देसंविवि में आयोजित समापन सत्र में माननीया मंत्री जी को सम्मानित करते श्री गिरि जी, आदरणीय डॉ. चिन्मय जी, शेफाली जीजी, श्री शरद पारधीजी
शिक्षा, संस्कृति और समाज कल्याण में देव संस्कृति विश्वविद्यालय की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। -माननीया श्रीमती लक्ष्मी राजवाड़े, मंत्री, छत्तीसगढ़ सरकार
छत्तीसगढ़-ओडिशा की ज्योति कलश यात्रा कार्यशाला के बीच दिनांक 21 सितम्बर को छत्तीसगढ़ की महिला, बाल विकास एवं समाज कल्याण मंत्री श्रीमती लक्ष्मी राजवाड़े अपने परिवार सहित शान्तिकुञ्ज आइर्ं। वे 22 सितम्बर को देसंविवि के मृत्युंजय सभागार में आयोजित छत्तीसगढ़ओडिशा की ज्योति कलश यात्रा कार्यशाला के समापन सत्र की मुख्य अतिथि थीं। सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि पूज्य आचार्यश्री के विचारों में विकसित राष्ट्र की परिकल्पना विद्यमान है। हमें ज्योति कलश यात्राओं के माध्यम से समाज के प्रत्येक वर्ग तक इन विचारों को पहुँचाना है। जहाँ भी यह विचार पहुँचेंगे, वहाँ सकारात्मक एवं सृजनात्मक वातावरण विनिर्मित करेंगे। समापन सत्र का शुभारंभ माननीया श्रीमती लक्ष्मी राजवाड़े, प्रति कुलपति डॉ. चिन्मय पण्ड्या जी एवं गायत्री विद्यापीठ की व्यवस्था मंडल की प्रमुख श्रीमती शेफाली पण्ड्या जी ने दीप प्रज्वलन कर किया। सभा के अंत में मंत्री महोदया को स्मृति चिह्न, गंगाजली, युग साहित्य आदि भेंटकर सम्मानित किया गया।आरंभ में श्रीमती राजवाड़े के देव संस्कृति श्वविद्यालय पहुँचने पर प्रति कुलपति आदरणीय डॉ. चिन्मय पण्ड्या जी ने उनका स्नेहपूर्ण स्वागत किया। दोनों के बीच शिक्षा, नेतृत्व और समाजसेवा के नए आयामों पर विचार-विमर्श हुआ। विवि. के विभिन्न प्रकल्पों का अध्ययन करने के बाद माननीया मंत्री जी ने विश्वविद्यालय की शिक्षा और सांस्कृतिक धरोहर की प्रशंसा की और समाज कल्याण तथा सतत विकास में इसकी भूमिका को महत्त्वपूर्ण बताया।
छत्तीसगढ़-ओडिशा की कार्यशाला में दोनों प्रान्तों के लगभग 1000 कार्यकर्त्ता भाई-बहिनों की उपस्थिति रही। दोनों प्रान्तों में कुल 7 ज्योति कलश रथ यात्राएँ निकाले जाने का निर्धारण हुआ। श्रद्धेया शैल जीजी ने उन सातों यात्राओं के लिए शक्ति कलशों का पूजन कर उन्हें संबंधित कार्यकर्त्ताओं को हस्तांतरित किया। समापन सत्र के पश्चात् दोनों प्रान्तों के प्रमुख कार्यकर्त्ता बहिनों ने शक्ति कलशों को मस्तक पर धारण कर अत्यंत आकर्षक और उत्साहभरी शोभायात्रा निकाली। यह शोभायात्रा देव संस्कृति विश्वविद्यालय से आरंभ होकर हरिपुर कलाँ गाँव में जनजागरण करती हुई शान्तिकुञ्ज आकर ‘प्रखर प्रज्ञा-सजल श्रद्धा’ पर समाप्त हुई।
छत्तीसगढ़ के महत्त्वपूर्ण संकल्प :-
# प्रदेश में दो ज्योति कलश यात्राएँ निकलेंगी। ये चार-चार उपजोनों में हर गाँव तक पहुँचेंगी।
# इस कार्यशाला में 8 कार्यकर्त्ताओं ने 3 माह का समयदान करने का, 36 ने एक माह के समयदान का तथा 280 कार्यकर्त्ताओं ने 15 दिन का समयदान करने का संकल्प लिया है।
# अखण्ड ज्योति तथा युग निर्माण योजना के पाठकों को बढ़ाने पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
# पाक्षिक प्रज्ञा अभियान हर झोले में रहे, युग निर्माणी कार्यकर्त्ता की पहचान बने, यह अभियान चलाया जाएगा।