• News
  • Blogs
  • Gurukulam
English हिंदी
×

My Notes


  • TOC
    • ललचा मत-आगे बढ़
    • वसन्त प्रेरणा पर्व और उसके बाद
    • संकीर्णता के सीमा बन्धन से छुटकारा पायें
    • क्या मैं शरीर ही हूँ-उससे भिन्न नहीं?
    • हजरत मूसा बीमार पड़े
    • प्रेम में न शिकायत की गुंजाइश है, न असफलता की
    • प्रधानमंत्री सुन शू आओ
    • मानवी काया काँच की नहीं-अष्ट धातु से बनी है।
    • अपना निर्माण अपने द्वारा
    • युग परिवर्तन को असम्भव न माना जाय
    • Quotation
    • पंचशील
    • अनास्था हमें प्रेत-पिशाच बना देगी
    • Quotation
    • दुःखी वे रहते हैं जो अज्ञान ग्रस्त हैं
    • शारीरिक विद्युत और उसका अद्भुत उपयोग
    • हृदय में सेवा और उदारता का भाव
    • हरीतिमा और सूर्य किरणों में जीवन तत्व
    • भूतकालीन प्रतिपादनों के लिए दुराग्रह न करें
    • Quotation
    • Quotation
    • समाज का ऋण चुकाना ही श्रेयस्कर
    • उपकारी के प्रति कृतार्थ होना ही चाहिये
    • मृतात्माओं का संपर्क सान्निध्य-एक तथ्य
    • Quotation
    • श्रवणशक्ति की दिव्य क्षमता और उसका विकास
    • हितोपदेश
    • अपने दोषों को स्वीकारें और सुधारें
    • चुम्बकत्व व्यक्ति और विश्व का आधार
    • परमार्थी कलाकार कृष्णन
    • हम अन्य प्राणियों को भी बौद्धिक उत्कर्ष में सहयोग प्रदान करें
    • श्री रामकृष्ण परमहंस की सारगर्भित शिक्षायें
    • शिक्षा ही नहीं विद्या भी परिष्कृत की जाय
    • अन्दर से अच्छा बनना ही वास्तव में कुछ बनना है
    • साधुवेश की मर्यादा
    • अल्लाह की मर्जी से ऊपर अपनी मर्जी नहीं रखनी चाहिए
    • हवा में महल और आधी रात में सूर्य
    • ईर्ष्या से बहुत बड़ा अनर्थ
    • तितिक्षा ही हमें सुदृढ़ बनाती है।
    • Quotation
    • कुण्डलिनी दो शक्तिशाली ध्रुव केन्द्रों की अधिष्ठात्री
    • अपनों से अपनी बात
    • Quotation
    • उगते सूरज की आवाज
    • उगते सूरज की आवाज (Kavita)
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login
  • TOC
    • ललचा मत-आगे बढ़
    • वसन्त प्रेरणा पर्व और उसके बाद
    • संकीर्णता के सीमा बन्धन से छुटकारा पायें
    • क्या मैं शरीर ही हूँ-उससे भिन्न नहीं?
    • हजरत मूसा बीमार पड़े
    • प्रेम में न शिकायत की गुंजाइश है, न असफलता की
    • प्रधानमंत्री सुन शू आओ
    • मानवी काया काँच की नहीं-अष्ट धातु से बनी है।
    • अपना निर्माण अपने द्वारा
    • युग परिवर्तन को असम्भव न माना जाय
    • Quotation
    • पंचशील
    • अनास्था हमें प्रेत-पिशाच बना देगी
    • Quotation
    • दुःखी वे रहते हैं जो अज्ञान ग्रस्त हैं
    • शारीरिक विद्युत और उसका अद्भुत उपयोग
    • हृदय में सेवा और उदारता का भाव
    • हरीतिमा और सूर्य किरणों में जीवन तत्व
    • भूतकालीन प्रतिपादनों के लिए दुराग्रह न करें
    • Quotation
    • Quotation
    • समाज का ऋण चुकाना ही श्रेयस्कर
    • उपकारी के प्रति कृतार्थ होना ही चाहिये
    • मृतात्माओं का संपर्क सान्निध्य-एक तथ्य
    • Quotation
    • श्रवणशक्ति की दिव्य क्षमता और उसका विकास
    • हितोपदेश
    • अपने दोषों को स्वीकारें और सुधारें
    • चुम्बकत्व व्यक्ति और विश्व का आधार
    • परमार्थी कलाकार कृष्णन
    • हम अन्य प्राणियों को भी बौद्धिक उत्कर्ष में सहयोग प्रदान करें
    • श्री रामकृष्ण परमहंस की सारगर्भित शिक्षायें
    • शिक्षा ही नहीं विद्या भी परिष्कृत की जाय
    • अन्दर से अच्छा बनना ही वास्तव में कुछ बनना है
    • साधुवेश की मर्यादा
    • अल्लाह की मर्जी से ऊपर अपनी मर्जी नहीं रखनी चाहिए
    • हवा में महल और आधी रात में सूर्य
    • ईर्ष्या से बहुत बड़ा अनर्थ
    • तितिक्षा ही हमें सुदृढ़ बनाती है।
    • Quotation
    • कुण्डलिनी दो शक्तिशाली ध्रुव केन्द्रों की अधिष्ठात्री
    • अपनों से अपनी बात
    • Quotation
    • उगते सूरज की आवाज
    • उगते सूरज की आवाज (Kavita)
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login




Magazine - Year 1972 - Version 2

Media: TEXT
Language: HINDI
SCAN TEXT


वसन्त प्रेरणा पर्व और उसके बाद

Listen online

View page note

Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
×

Add Note


2 Last
वसन्त पर्व जिस उत्साह से इस बार मनाया गया उसे सराहनीय और सन्तोषजनक ही कहा जा सकता है। आयोजन के साथ मिली प्रेरणा को शिथिल न हो जाने दिया जाय, वरन् उसे अधिक श्रद्धा और तत्परता के साथ विकसित किया जाय।

वसन्त अपना नया वर्ष है। पिछले कार्य का लेखा-जोखा लेने और आगामी कार्य पद्धति निर्धारित करने के रूप में ही इस पर्व का गुरुदेव ने अवलम्बन लिया था। और अब वही परम्परा हम लोगों की है।

हमें आगे के लिये अपने परिवार को अधिक विस्तृत, अधिक संगठित एवं अधिक प्रशंसित करने का उत्तरदायित्व अपने कंधों पर उठाना चाहिये। क्योंकि उस समर्थ संघ शक्ति के आधार पर ही नव-निर्माण के, मनुष्य में देवत्व के उदय और धरती पर स्वर्ग के अवतरण के लक्ष्य को पूरा कर सकना सम्भव होगा।

युग निर्माण परिवार के सक्रिय सदस्य वे हैं जो एक घंटा समय और दस पैसा ज्ञान यज्ञ के लिए नियमित रूप से देते रहने का व्रत लेते हैं, यह क्रम अनवरत रूप से चलता रहे, इसलिये इस प्रयोजन के लिए ज्ञान घटों की स्थापना उनके लिए अनिवार्य कर दी गई है। ऐसे सदस्य जहाँ दो चार होते हैं वहाँ भी शाखा तो बना दी जाती है पर उसे पौधा ही माना जाता है। कुछ कहने लायक काम होने की आशा तो उन्हीं से की जा सकती है, जहाँ कम से कम 10 सक्रिय सदस्य हों। 24 सदस्य होने पर समर्थ शाखा मानी जाती है। यह संगठन अगले वर्ष हमें पूरे उत्साह से आगे बढ़ाना है और अगला वसन्त आने तक परिवार का कम से कम दूना कर देने के प्रयास में उत्साहपूर्वक लग जाना चाहिए। अगले वर्ष की यह प्रमुख योजना है।

बिहार प्रान्त में एक किसान था-हजारी। उसने अपने खेतों में आम्र वृक्ष लगाये। दूसरों को प्रोत्साहन तथा सहयोग देकर गाँव-गाँव बाग लगवाये। उस क्षेत्र में दस वर्ष के भीतर एक हजार बाग लग गये। इन वृक्षों की लकड़ी, छाया, प्राणवायु, हरीतिमा, पल्लव, पुष्प एवं फूलों से असंख्य मनुष्यों, पशु-पक्षियों, कीट-पतंगों ने भारी लाभ उठाया। हजारों किसानों की प्रेरणा से लगे हजार बागों की सर्वत्र सराहना हुई और उस इलाके को ‘हजारी बाग‘ नाम दिया गया। उस किसान का यह ऐसा स्मारक है जिस पर हजार ताज महल निछावर किये जा सकते हैं।

हम में से प्रत्येक को हजारी का अनुकरण करना चाहिए और युग-निर्माण परिवार के सक्रिय सदस्यों रूपी कल्पवृक्ष लगाने चाहिए। आम्र वृक्ष केवल भौतिक शरीरों को ही सुख पहुँचाते हैं पर युग-निर्माण विचारणा से प्रभावित परिजन तो असंख्य मनुष्यों का भावनात्मक कायाकल्प करके उन्हें नर-रत्न बनाते हैं। स्वयं अपने प्रकाश से दूर-दूर तक का क्षेत्र प्रकाशित करते हैं। स्वयं तरते हैं और दूसरों को तारते हैं। इन्हें कल्प-वृक्ष ही कहना तनिक भी अत्युक्ति नहीं है।

हम टोलियाँ बनाकर निकलें। वसन्त पर्व पर जिनने भी उत्साह दिखाया हो उनसे मिले। नया जन-संपर्क बढ़ायें। मिशन का उद्देश्य और स्वरूप समझायें। जहाँ युग-निर्माण परिवार का संगठन नहीं है वहाँ बनायें। जहाँ कम सदस्य हैं वहाँ दस पूरे करें। जहाँ अधिक है वहाँ 24 सदस्यों की समर्थ शाखा बनायें। दस सदस्यों वाली शाखा उपवन (बगीची) चौबीस सदस्यों वाली शाखा उद्यान (बाग) मानी जायगी। ‘हजारी’ की तरह हम जुट पड़ें तो कुछ ही दिनों में कल्पवृक्ष के पौधे, उपवन और उद्यान लगाकर दिखाये जा सकते हैं। वसन्त पर्व के बाद अब इसी के लिए हमारी भावना, श्रद्धा एवं तत्परता नियोजित होनी चाहिए।

2 Last


Other Version of this book



Version 1
Type: SCAN
Language: HINDI
...

Version 2
Type: TEXT
Language: HINDI
...


Releted Books


Articles of Books

  • ललचा मत-आगे बढ़
  • वसन्त प्रेरणा पर्व और उसके बाद
  • संकीर्णता के सीमा बन्धन से छुटकारा पायें
  • क्या मैं शरीर ही हूँ-उससे भिन्न नहीं?
  • हजरत मूसा बीमार पड़े
  • प्रेम में न शिकायत की गुंजाइश है, न असफलता की
  • प्रधानमंत्री सुन शू आओ
  • मानवी काया काँच की नहीं-अष्ट धातु से बनी है।
  • अपना निर्माण अपने द्वारा
  • युग परिवर्तन को असम्भव न माना जाय
  • Quotation
  • पंचशील
  • अनास्था हमें प्रेत-पिशाच बना देगी
  • Quotation
  • दुःखी वे रहते हैं जो अज्ञान ग्रस्त हैं
  • शारीरिक विद्युत और उसका अद्भुत उपयोग
  • हृदय में सेवा और उदारता का भाव
  • हरीतिमा और सूर्य किरणों में जीवन तत्व
  • भूतकालीन प्रतिपादनों के लिए दुराग्रह न करें
  • Quotation
  • Quotation
  • समाज का ऋण चुकाना ही श्रेयस्कर
  • उपकारी के प्रति कृतार्थ होना ही चाहिये
  • मृतात्माओं का संपर्क सान्निध्य-एक तथ्य
  • Quotation
  • श्रवणशक्ति की दिव्य क्षमता और उसका विकास
  • हितोपदेश
  • अपने दोषों को स्वीकारें और सुधारें
  • चुम्बकत्व व्यक्ति और विश्व का आधार
  • परमार्थी कलाकार कृष्णन
  • हम अन्य प्राणियों को भी बौद्धिक उत्कर्ष में सहयोग प्रदान करें
  • श्री रामकृष्ण परमहंस की सारगर्भित शिक्षायें
  • शिक्षा ही नहीं विद्या भी परिष्कृत की जाय
  • अन्दर से अच्छा बनना ही वास्तव में कुछ बनना है
  • साधुवेश की मर्यादा
  • अल्लाह की मर्जी से ऊपर अपनी मर्जी नहीं रखनी चाहिए
  • हवा में महल और आधी रात में सूर्य
  • ईर्ष्या से बहुत बड़ा अनर्थ
  • तितिक्षा ही हमें सुदृढ़ बनाती है।
  • Quotation
  • कुण्डलिनी दो शक्तिशाली ध्रुव केन्द्रों की अधिष्ठात्री
  • अपनों से अपनी बात
  • Quotation
  • उगते सूरज की आवाज
  • उगते सूरज की आवाज (Kavita)
Your browser does not support the video tag.
About Shantikunj

Shantikunj has emerged over the years as a unique center and fountain-head of a global movement of Yug Nirman Yojna (Movement for the Reconstruction of the Era) for moral-spiritual regeneration in the light of hoary Indian heritage.

Navigation Links
  • Home
  • Literature
  • News and Activities
  • Quotes and Thoughts
  • Videos and more
  • Audio
  • Join Us
  • Contact
Write to us

Click below and write to us your commenct and input.

Go

Copyright © SRI VEDMATA GAYATRI TRUST (TMD). All rights reserved. | Design by IT Cell Shantikunj