Magazine - Year 1972 - Version 2
Media: TEXT
Language: HINDI
Language: HINDI
मृतात्माओं का संपर्क सान्निध्य-एक तथ्य
Listen online
View page note
Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
इंग्लैण्ड के राज परिवार में अशरीरी प्रेतात्माओं के अस्तित्व का चिरकाल तक अनुभव किया जाता रहा। इस संबंध में डॉ0 लीज की लिखी तीन पुस्तकें न केवल मरणोत्तर जीवन पर प्रकाश डालती हैं-वरन् राज परिवार को इस प्रकार की क्या अनुभूतियाँ होती रहीं, इसकी भी चर्चा करती हैं।
उन दिनों राज्य सिंहासन पर पंचम जार्ज अवस्थित थे। उनकी बहिन राजकुमारी ‘लुईस’ सुहाग के बहुत थोड़े दिन देख पाई और विधवा हो गई। लुईस को अपने पति ‘ड्यूक ऑफ फिफ’ के प्रति गहरी अनुरक्ति थी वह उनके दिवंगत हो जाने के उपरान्त भी बनी रही और यह संबंध सूत्र बनाये रखना दिवंगत आत्मा ने भी स्वीकार कर दिया वे प्रेम रूप में लुईस के पास बराबर आते रहे और उससे संपर्क बनाये रहे। लुईस भी बहुत दिन जीवित नहीं रही। उसकी मृत्यु के उपरान्त राजकुमारी की सचिव एलिजाबेथ गोर्डन ने विस्तारपूर्वक प्रकट किया-जिससे उस घटनाक्रम पर प्रकाश पड़ता है जिसके अनुसार लुईस और उनके स्वर्गीय पति का मिलन-संभाषण, सान्निध्य का क्रम कितनी घनिष्ठता पूर्वक चलता रहा मानो शरीर न रहने पर भी ड्यूक का अस्तित्व यथावत बना रहा हो।
इससे पूर्व की एक और घटना है जो प्रेतात्माओं के अस्तित्व को और भी अच्छी तरह प्रमाणित करती है। सम्राट एडवर्ड सप्तम की पत्नी महारानी एलेग्जेण्ड्रा प्रेम विद्या पर विश्वास करती थी और जब तब मृतात्माओं के आह्वान का प्रयोग किया करती थी। एक बार ऐसे ही प्रयोग-सेयाँस से इन्हें ऐसा सन्देश मिला, जिसे एक तरह का विस्फोट ही कहना चाहिए। उन्हें प्रेत द्वारा सूचना दी गई कि - ‘सम्राट एडवर्ड अब कुछ ही दिन जीवित रह सकेंगे उनकी उसी कोवे में मृत्यु होगी जिसमें कि वे जन्मे थे।’
महारानी उन दिनों ‘विंडसर प्रासाद में थीं। उन्हें समाचार मिला कि सम्राट कुछ साधारण से अस्वस्थ हैं पर चिन्ता जैसी कोई बात जरा भी नहीं है। तो भी महारानी का समाधान न हुआ। वे दौड़ती हुई पहुँची और देखा कि एडवर्ड बेहोश पड़े हैं। रानी को देखने के लिए उन्होंने आँखें खोली और प्राण त्याग दिये।
एडवर्ड की आत्मा का अस्तित्व मृत्यु के बाद भी अनुभव किया जाता रहा। उनकी एक अन्तरंग मित्र थी-लेडी वारविक। कुछ दिन प्रेत विद्या विशारद ‘एटाराइट’ के माध्यम से वे लेडी वारविक पर अपना अस्तित्व प्रकट करते रहे। इसके बाद उनने सीधा संपर्क स्थापित कर लिया। वे अक्सर अपनी प्रेयसी के पास आते और जर्मन भाषा में वारविक के साथ अपनी अतृप्त प्रणय आकाँक्षायें व्यक्त करते।
‘स्प्रिच्युअललिस्ट एलायन्स’ में अभी भी एक ऐसी घड़ी ऐतिहासिक सुरक्षा के साथ रखी हुई है जो मरणोत्तर जीवन के अस्तित्व की मान्यता पर राज्य परिवार की स्वीकृति का प्रमाण देती है। यह घड़ी महारानी विक्टोरिया ने इस चक्र की सदस्या कुमारी जार्जियाना ईगल को-उनके प्रेत आह्वान की यथार्थता अनुभव करके भेंट में दी गई थी। कुमारी ईगल ने महारानी विक्टोरिया के सम्मुख प्रेतों के अस्तित्व और आह्वान की प्रामाणिकता के ऐसे अनेक सबूत पेश किये थे जिनके कारण विक्टोरिया को इस तथ्य पर पूरी तरह विश्वास जम गया था। सन् 1901 में महारानी विक्टोरिया की भी मृत्यु हो गई। प्रेत आह्वान संस्थान ने उनके साथ भी संपर्क बनाया। संस्थान की सञ्चालिका ऐटा राइट ने एक दिन स्वर्गीय महारानी की आवाज प्रत्यक्ष सुनवाई तो सभी सुनने वाले अवाक् रह गये।
महारानी विक्टोरिया का मरणोत्तर जीवन पर प्रगाढ़ विश्वास प्रख्यात है। वे 1819 में जन्मीं। 18 वर्ष की आयु में सन् 1837 में राजगद्दी पर बैठीं। तीन वर्ष बाद 1840 में उनका विवाह हुआ और कुछ वर्ष बाद ही वे विधवा हो गईं। महारानी ने अपने स्वर्गीय पति प्रिंस अलबर्ट से संबंध स्थापित करने में सफलता प्राप्त कर ली। इस कार्य में उन्हें आर0डी0 लीज और जान ब्राउन नामक दो प्रेत विद्या विशारदों से बड़ी सहायता मिली। स्वर्गीय अलबर्ट जीवन काल की तरह मरने के उपरान्त भी महारानी को प्रत्येक कार्य में परामर्श और सहयोग प्रदान करते रहे। विधवा रहते हुए भी उन्हें सर्वथा एकाकीपन अनुभव न होने देने के लिए स्वर्गीय आत्मा उनके साथ घनिष्ठ संबंध बनाये रही।
अलबर्ट अपनी सूक्ष्म सत्ता को स्थूल रूप से प्रकट करने के लिए डी0 ब्राउन के शरीर का सहारा लेते थे। जो कहना होता वे उन्हीं के शरीर में प्रवेश करके कहते। महारानी मि0 लीज के प्रति बहुत कृतज्ञ थीं। जिनने ब्राउन के रूप में एक अधिकारी माध्यम लाकर उन्हें दिया था। प्रेतात्माएं हर शरीर के माध्यम से अपना अस्तित्व प्रकट नहीं कर सकती। उसके लिए उन्हें अधिकारी व्यक्ति चाहिए। इसके लिए मि0 ब्राउन सर्वथा उपयुक्त प्रमाणित हुए। लीज द्वारा उपयुक्त माध्यम की व्यवस्था की थी। सो इस सहायता के बदले में उच्च राज्य पद देने का प्रस्ताव कई बार किया पर लीज ने उसे सदा यह कह कर अस्वीकार कर दिया कि-”आत्मिक जिम्मेदारियों का बोझ इतना अधिक होता है कि उसे वहन करते हुए लौकिक कार्यों को ठीक प्रकार नहीं किया जा सकता है। दोनों में से एक कार्य ही प्रमुख रह सकता है।” राज्य पद न लेने के इस तर्क को महारानी ने उचित समझा और उनसे इसी स्तर का सहयोग लेती रहीं।
महारानी विक्टोरिया को अपने स्वर्गीय पति का सहयोग हर कार्य में अभीष्ट प्रतीत होता था, उनके परामर्श की उन्हें निरन्तर आवश्यकता अनुभव होने लगी। परोक्ष सन्देशों के अधूरेपन और सन्देश की आशंका रहती थी। अस्तु ब्राउन के शरीर माध्यम से प्रत्यक्ष सन्देशों के आदान-प्रदान की आवश्यकता अनुभव की गई। इसके लिए ब्राउन के शरीर और अलबर्ट की आत्मा का समन्वय ऐसा उपयुक्त सिद्ध हुआ कि महारानी के दुखी जीवन में उपयुक्त सहारा मिल गया और वे इतने से भी बहुत हद तक अपने भार में हलकापन अनुभव करने लगी।
ईश्वर की इच्छा प्रबल ठहरी ब्राउन का भी स्वर्गवास हो गया। महारानी विक्टोरिया को इससे बड़ा आघात लगा मानो उनका दाहिना हाथ ही टूट गया हो। जान ब्राउन की सुन्दर सी कब्र पर महारानी विक्टोरिया के यह उद्गार लिखे हुए हैं-
‘मुझ वियोगिनी और व्यथिता के लिए-वरदान स्वरूप एक विलक्षण व्यक्ति की स्मृति।’ महारानी ने उनके प्रति अपने कथित भावनाएं व्यक्त करते हुए ‘स्वामिभक्त साथी और विश्वस्त मित्र के रूप में सम्बोधित करते हुए सम्वेदना व्यक्त की।’
ब्राउन के स्वर्गवास से महारानी को आघात लगा। उसे व्यक्त करते हुए उनके निजी सचिव सर हैनरी पौन सोनवी का एक वक्तव्य ‘टाइम्स’ पत्र में प्रकाशित हुआ। उन्होंने कहा-स्वर्गीय ब्राउन की सहायता महारानी को