Magazine - Year 1986 - Version 2
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Language: HINDI
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दुर्गुणों से बचा जा सकता है (कहानी)
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एक व्यक्ति था। उसकी पत्नी कर्कश थी। घर में लड़ती और अवसर मिलते ही पड़ोस में जा पहुँचती और वहाँ भी आए दिन उपद्रव खड़े करती। अलग घर बसा देने पर भी उसका यहाँ-वहाँ पहुँचना और झंझट मोल लेना रुका नहीं।
पति को एक उपाय सूझा। घर से बाहर जाने से लेकर लौटने तक के लिए एक काम सौंप दिया और कहा यदि वह पूरा न हुआ तो बुरी तरह खबर ली जाएगी।
काम था थाली भरकर मिले हुए दाल चावल में से दोनों को बीन कर अलग-अलग करना। उतना काम पूरे आठ घंटे में पूरा हो पाता तब तक पति घर में वापस लौट आता। इस व्यस्तता ने कलह की गुंजाइश ही न छोड़ी। झंझट भी मिटा और स्वभाव भी सुधर गया।
खाली समय को शैतान की दुकान कहा जाता है। यदि व्यस्त रहने की व्यवस्था बन सके तो अनेकानेक दुर्गुणों से बचा जा सकता है।