Magazine - Year 2000 - Version 2
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Language: HINDI
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चेतना जगत की एक गुत्थी, जो कभी न सुलझी
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प्रकृति की यह विचित्र व्यवस्था है कि दो समान लगने वाली वस्तुओं में भी न जाने कितनी असमानताएं होती हैं। दो व्यक्ति शक्ल-सूरत से एक जैसे लग सकते हैं, पर उनकी अभिरुचि, इच्छा, पसंद, व्यवहार, चाल-ढाल में जमीन-आसमान जितना अंतर होता है। मतलब यह कि दो वस्तुओं या व्यक्तियों की बाह्य समरूपता भीतरी सदृश्यता को भी प्रकट करे-यह जरूरी नहीं, पर चूँकि इस विश्व-वसुधा के हर क्षेत्र में अपवाद मौजूद हैं, अतः इसके दर्शन यहाँ भी हो जाते हैं। सर्वसाधारण में तो नहीं पर जो जुड़वें बच्चे होते हैं, उनके व्यवहार, विचार, तर्क पसंद जैसे व्यक्तित्व के भीतरी उपादानों में ही नहीं, वरन् जीवन के महत्वपूर्ण घटनाक्रमों में भी आश्चर्यजनक समानता होती है। इसे साधारण नहीं, असाधारण और अद्भुत कहना चाहिए।
जुड़वा बच्चों पर इस प्रकार का अध्ययन सर्वप्रथम सन् 1970 में एक अंग्रेज सामाजिक कार्यकर्त्ता जॉन स्ट्रारइड पर किया गया। अध्येता थे-मिनिसोटा विश्वविद्यालय के मनोवैज्ञानिक टिम बुचर्ड। लंबे काल के अनुसंधान के उपराँत उन्होंने पाया कि जुड़वा लोगों के जीवन में जितनी समानताएं पाई जाती हैं, वे उतनी सरल और सामान्य नहीं होतीं, जितनी समझी जाती हैं। जटिल समानताओं के अंतर्गत उन घटनाक्रमों की व्याख्या करने में उनकी बुद्धि चकराने लगी कि आखिर क्यों किसी एक भाई की टाँग टूटने पर दूर स्थित दूसरे जुड़वें भाई को भी उसी दुखद स्थिति से गुजरना पड़ता है और एक के बीमार पड़ने पर दूसरा भी क्यों अस्वस्थ हो जाता है।
इस अद्भुतता का ज्ञान उन्हें सबसे पहले तब हुआ, जब ‘अमेरिकन ऐसोसिएशन फॉर दि एडवाँसमेंट ऑफ साइंस’ नाम संस्था से प्रकाशित ‘साइंस’ पत्रिका में बारबार हर्बर्ट नामक उनतालीस वर्षीय महिला के संबंध में एक रोचक घटना पढ़ी। बारबरा डोवर, इंग्लैंड की रहने वाली थी। उसकी माँ फिनलैंड निवासी थी। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान उसकी दोनों जुड़वा बेटियों को दो पृथक-पृथक लोगों ने गोद ले लिया था। इसके बाद किसी अज्ञात कारण से उसने आत्महत्या कर ली। बारबरा को अपनी जुड़वाँ बहने के बारे में तब जानकारी मिली, जब वह अपना जन्म प्रमाण पत्र ले रही थी। उसका पता लगाने के लिए पहले माँ का पता लगाना जरूरी था। अतः पहले वह फिनलैंड गई। वहाँ ज्ञात हुआ कि उसकी माँ की मृत्यु हो चुकी है। इसके बाद वह उसाधाय का पता लगाने की कोशिश करने लगी, जिसकी सहायता प्रसव के दौरान ली गई थी। उसी ये यह विदित हुआ कि डफिन गुडशिप नामक उसकी जुड़वा बहन बेकफील्ड, योर्कशायर, इंग्लैंड में रह रही है। बारबरा जब डफिन से मिलने हेतु किंग्सक्रास स्टेशन पहुँची, तब वह मटमैले रंग की पोशाक तथा मखमल की जैकेट पहनी हुई थी । जब वह डफिन से मिली, तो उसके आश्चर्य को ठिकाना न रहा। यह मात्र संयोग नहीं था कि उसने भी हू-ब-हू वैसी ड्रेस पहन रखी थी। इसके अतिरिक्त बातचीत के दौरान कितनी ही और समानताओं का पता चला। दोनों बहनें तथा उनके पति सरकारी कर्मचारी थे। अपने-अपने पतियों से उनकी भेंट एक नृत्य कार्यक्रम के दौरान लगभग 16 वर्ष की आयु में हुई थी, तब मार्च का महीना था। दोनों के तीन संतानें हुई, जिनमें शुरू के दो लड़के और अंत में लड़की हुई । दोनों की प्रथम संतान को गर्भपात हो गया। पंद्रह वर्ष की अवस्था में दोनों के साथ एक ही प्रकार की दुर्घटना घटी। दोनों के सीढ़ियों से गिर पड़ने के कारण घुटने कमजोर हो गए। दोनों ने ही कुछ समय तक गर्लगाइड का काम किया। बालरुम नृत्य में दोनों पारंगत थीं। कुछ समय तक उनका सिलचिस्टर इंग्लैंड में रहना हुआ। दोनों महिलाएं एक विशेष पत्रिका को ही पढ़ती थीं। उनका प्रिय लेखक भी समान था।
आचार लक्षणो धर्म संतष्चारित्र लक्षणाः।
साधूनाँ च यथावृत्तमेतदाचार लक्षणम्॥
धर्म का स्वरूप आचार है। सदाचार रो युक्त पुरुष ही संत हैं । संतों का जो जीवनक्रम हैं, वही आचार है।
ऐसे ही दो अन्य जुड़वें भाई आहियों, अमेरिका में रहते थे। इनमें से एक जिम आहियों लीमा में रहता था। जब वह नौ वर्ष का था, तब उसे ज्ञात हुआ कि उसका एक जुड़वा भाई भी है, जिसे जन्म से किसी ने गोद ले लिया। वह न्यायालय की शरण में गया और अपने भाई की तलाश में सहायता की याचना की । बाद में विदित हुआ कि उसका भाई डेटन, ओहियो में रहता है तथा उसका नाम जिम स्प्रिंगर है। जब दोनों एक दूसरे से मिले और उनमें तथ्यों का आदान-प्रदान हुआ, तो वे अपने बीच अद्भुत समानता से भौंचक्के रह गये। दोनों की पत्नियों का नाम लिंडा था। दोनों ने ही अपनी-अपनी पत्नियों को तलाक दे दिया, तत्पश्चात जिन लड़कियों से शादी की उनमें से दोनों को ही नाम बैट्टी था। उनके एक-एक पुत्र हुआ, उनका नाम संयोगवश दोनों ने ही जम्स एलन रखा। उनको कुत्ते पालने का शौक था। दोनों के कुत्तों का नाम टाँप था। दोनों मैकडोनाल्ड हैमबर्गर शृंखला के लिए काम करते थे। इससे पूर्व वे पेट्रोलपंप में सहायक के रूप में कार्य करते थे। वे एक ही सागरतट-फ्लोरिडा बिच पर अपनी छुट्टियाँ बिताने जाते और प्रायः तीन सौ गज की दूरी पर अपना अवकाश मनाते। उनकी प्रिय गाड़ियाँ शेवरलेट थीं। दोनों के उद्यानों में एक ही प्रकार के वृक्ष लगे थे। इसके अतिरिक्त दोनों बगीचों में एक-एक बेंच बनी थी। बेंचों का रंग दोनों जगह श्वेत था। उनका अपना अपना निजी व्यवसाय था। दोनों फर्नीचर बनाने का धंधा करते थे। दोनों फर्नीचर बनाने का धंधा करते थे। दोनों के कारखाने भूमिगत थे। दोनों ने ही नसबंदी करा रखी थी। उनका बीयर-ब्राँड भी एक ही था तथा सिगरेट भी समान ब्राँड की पीते थे। कार-रेस दोनों को अत्यंत प्रिय थी, पर बेसबॉल को दोनों ही नापसंद करते थे। फुटबाल के प्रति दोनों को ही रुचि थी और यदा-कदा समय मिलने पर उस खेल में हिस्सा लेकर मन बहलाते थे।
जुड़वें भाइयों में ऑस्कर स्टोहर तथा जैक यूफ अध्ययन के दौरान काफी चर्चित जोड़े रहे। उल्लेखनीय है कि दोनों का पालन पोषण बचपन से ही दो भिन्न संस्कृति और विचारधारा वाले देशों में हुआ। इसके बावजूद दोनों की अभिरुचियों और इच्छाओं में जो समानता थी, वह चौंकाने वाली थी। जैक की शिक्षा-दीक्षा अमेरिका के एक कट्टर यहूदी परिवार में हुई, जबकि ऑस्कर बचपन में ही जर्मनी चला गया। सन् 1971 में विछोह के बाद जब वे प्रथम बार न्यूयार्क हवाई अड्डे पर मिले, उनकी कमीजों में वर्गाकार फ्रेम वाले चश्मे पहन रखे थे। दोनों अपनी-अपनी कलाइयों पर रबर बैंड लगाए हुए थे। उनकी बातचीत की शैली एक ही जैसी थी। अंतर था तो बस इतना कि उनमें से एक अंग्रेजी बोलता था, जबकि दूसरा जर्मन । बोलने में दोनों की ही पलकें तेजी से झपकती थीं। दोनों का ही कार-दुर्घटना में बायाँ पाँव टूट गया था, जिसके कारण बाद में भी वे लंगड़ाकर चलते थे। रोचक बात यह थी कि उनमें से कोई एक बीमार पड़ता, तो दूसरा भी साथ-साथ अस्वस्थ हो जाता था, दस वर्ष की आयु में दोनों को निमोनिया हो गया था, जबकि वे दो भिन्न देशों में निवास कर रहे थे। इसके अतिरिक्त उनमें छोटी-बड़ी और भी कितनी ही समानताएं थीं, जिनमें से सभी की सरलतापूर्वक व्याख्या कर पाना संभव नहीं था।
हैरी कौनले एवं मार्ग्रेट रिचर्डसन बचपन में ही एक दूसरे से पृथक हो गए थे। 40 वर्ष की अवस्था में वे जब मिले, तो विदित हुआ कि आश्चर्यजनक ढंग से उन दोनों का विवाह एक ही वर्ष, एक ही दिन एवं एक ही समय में संपन्न हुआ था, जबकि वे एक दूसरे से प्रायः आठ सौ किलोमीटर दूर रह रहे थे। इसे मात्र संयोग कहकर टाला भी जा सकता है, किंतु उनके जीवन में और भी कितने ही ऐसे घटनाक्रम घटित हुए थे, जिनके साथ संयोग की संगति बिलकुल ही नहीं बैठती थी। एक बार जब वे अपनी अपनी कार चला रहे थे, तो दोनों का ही अलग बायाँ पहिया निकल गया और भयंकर दुर्घटना होते होते बची। फिर भी वे अपनी अपनी बायीं आँख गंवा बैठे। दोनों फ्लोरिडा तट पर तैरते हुए एक ही दिन एक घेटे के अंतर से डूबते-डूबते बचे। दोनों की रक्षा मछुआरों ने की। दोनों के दायें हाथ की अनामिका अँगुली चोटग्रस्त हो जाने के कारण पूरी तरह सीधी नहीं हो पाती थी।
जुड़वें भाइयों के इतिहास में इंग्लैंड के इरिक बुकाँक एवं टाँमी मैरियट अपने विलक्षण साम्य के लिए खूब प्रसिद्ध हुए । दोनों ने बकरे जैसी दाढ़ी रख रखी थीं। दोनों बिना एक दूसरे से परामर्श किए अपने बालों का रंग परिवर्तित करा लेते थे। शार्क मछलियों का शिकार करना दोनों को प्रिय था। दोनों को दांया पैर इसमें घायल हो गया था। बिलियर्ड का खेल दोनों को अत्यधिक पसंद था। दोनों की साहित्य के प्रति विशेष रुचि थी । स्कीइंग के दौरान दोनों ने ही अपनी अपनी दायीं टाँग तुड़वा ली थी। विचित्र बात यह थी कि दोनों को भूख और नींद साथ साथ सताती थी, पर ऐसा नहीं देखा गया कि एक के खा या सो लेने से दूसरे को तृप्ति या ताजगी मिलती हो। दोनों बैंककर्मी थे। दोनों ही टेलीविजन में आशंकालिक न्यूज रीडर का कार्य करते थे। उनमें से एक लंदन के केन्द्रीय प्रसारण सेवा में था तथा दूसरा बर्मिघंन के क्षेत्रीय प्रसारण सेवा में। दोनों की यह तीसरी शादी थी। पहली दो पत्नियों से उनका तलाक हो चुका था। दोनों से उनके एक एक संतान थी।
जुड़वें बच्चे और उनके जीवन से संबंधित घटनाक्रम अब वैज्ञानिक के लिए आश्चर्य का विषय बने हुए हैं। वे यह तो स्वीकारते हैं कि दो जुड़वें भाई बहनों में आहार, विचार, व्यवहार और बीमारी संबंधी सभ्यता हो सकती है। कारण कि वे ‘मोनोजाइगोटिक’ होते हैं अर्थात् उनका निमार्ण एक ही डिंब के दो में विभाजित हो जाने के कारण होता है। अध्ययन के दौरान इंग्लैंड के दो जुड़वें भाइयों जैनेट हैमिल्टन और ईरानी रीड में देखा गया कि वे दोनों क्लस्ट्राँफोबिया रोग से ग्रस्त थे और उन्हें पानी से अरुचि थी । वे समुद्र तट पर सागर की ओर पीठ करके बैठते थे तथा सरदी के मौसम में दोनों के पाँव में एक ही स्थान पर दर्द होता था। विज्ञानवेत्ताओं के अनुसार यह बिलकुल सामान्य बात है , किंतु उनके जीवन के घटनाक्रमों में सदृश्यता आश्चर्यजनक है।
डा. डानहा जोहर अपनी पुस्तक ‘थ्रू दि टाइम बैरियर’ में लिखती है कि दो जुड़वाँ संतानें, जो जन्म के समय ही अलग कर दी गईं और जिनमें से एक को न्यूयार्क और दूसरे को लंदन भेजा दिया गया हो, यदि उनका तुलनात्मक अध्ययन किया जाए तो उनके जीवन की घटनाओं में अद्भुत साम्यता मिलेगी । वे कहती हैं कि यह तो अनुसंधान से ही जाना जा सकता है कि उनमें से एक को यदि लंदन में सीढ़ियों पर धक्का दे दिया जाए, तो क्या न्यूयार्क में रहने वाला बालक भी जीने पर से गिर पड़ेगा? विज्ञानवेत्ता इसका उत्तर -हाँ में देते हुए कहते हैं कि ऐसा इसलिए संभव है, क्योंकि जुड़वें बच्चों के इलेक्ट्रोन्स के मध्य एक अदृश्य स्तर का संबंध होता है।
सन् 1974 में स्टुअर्ट फ्रीडम एवं जॉन क्लौसर द्वारा तथा सन 1970 में पेरिस विश्वविद्यालय के मूर्द्धन्य विज्ञानवेत्ता एलिन आस्पैक्ट द्वारा किए गये प्रयोगों से यह स्पष्ट हो गया है कि एक ही पदार्थ के दो कण दूर संवेदी होते हैं अर्थात् दोनों के बीच की भौतिक दूरी चाहे जितनी भी हो, उनमें से किसी एक पर आरोपित गति, दिशा एवं अन्य प्रकार के परिवर्तन दूसरे दूरस्थ कण पर भी स्वतः आरोपित हो जाते हैं। यह विज्ञानी बेल का ‘असमानता का सिद्धांत कहलाता है।
इस प्रकार अब यह असमंजस करने की तनिक भी गुंजाइश नहीं है कि दो जुड़वें बच्चों के मध्य घटनाक्रमों में इतनी अद्भुत एकरूपता क्यों होती है ? जिस प्रकार समानधर्मी विचारधारा एक दूसरे को प्रभावित आकर्षित करती और एक ही प्रकार के कर्म करने के लिए प्रेरित करती हैं, वहीं बात जुड़वीं संतानों के साथ भी है। उनमें प्रवाहित होने वाली प्राणचेतना एक ही प्रकार की होती है। अस्तु, उनके जीवन में घटने वाली घटनाएँ भी एक समान होती है। ऐसा चेतना विज्ञान के आचार्यों का मत है।