Books - चिंतन-चरित्र को ऊँचा बनाएँ
Media: TEXT
Language: HINDI
Language: HINDI
अनुगमन जरूरी
Listen online
View page note
Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
बेटे! हम यहाँ जो प्रशिक्षण करते हैं। जो क्रियाकृत्य कराना चाहते हैं, उसमें अनुशासन जरूरी है। अच्छा तो गुरु जी! हवन करने की विधि सिखा दीजिए। हाँ बेटे! हवन करने की विधि भी सिखा देंगे ,, इसमें कोई खास बात नहीं है। थोड़े दिन, महीना-पंद्रह दिन तू मेहनत कर ले। श्लोक बोलने को शैली सीख ले। क्रियाकृत्य में किसके बाद क्या करना चाहिए यह देख ले। अनुशासन किस तरह से सभा में रखा जाता है यहीं नेता बनाने के लिए सिखाते है। पच्चीस आदमी हवन करने के लिए बैठे हों तो क्या करना चाहिए? डिसिप्लिन कायम रखना चाहिए और देखना चाहिए कि एक तरीके से सबकी क्रियाएँ हो रही हों। इतने आदमियों पर हावी रहो कि कोई आदमी गलत काम न कर रहा को। बोलने में सबकी आवाजें साथ-साथ आ रहीं हों। नहीं साहब! बकरों को तरह से में-में, में-में। कोई तो प्रचोदयात् बोल रहा है, कोई तत्सवितुर्वरेण्यं बोल रहा है, लगा गाल में एक चाँटा। हम यहाँ बोलते हैं कि हमारे साथ−साथ बोलिए। कोई पीछे बोल रहा है, कोई इधर, कोई उधर बोल रहा है। ये बेटे! डिसिप्लिन का उल्लंघन है।
मित्रो! हम डिसिप्लिन, अनुशासन सिखाते है। हर आदमी को अनुशासित होना चाहिए, डिसिप्लिन में रहना चाहिए। नहीं साहब! हमारी मरजी है, हम तो जोर से चिल्लाएँगे। नहीं, जोर से नहीं चिल्लाने देंगे, जबान बंद रखो। या तो हमारे साथ-साथ बोलो या चुप बैठो। नहीं साहब! आप प्रचोदयात् बोलिए हम धीमहि बोलेंगे। एक ऊँचा चिल्ला रहा है, एक नीचा चिल्ला रहा है, ऐसे नहीं बोलने देंगे। साथ-साथ गले से गला मिलाकर बोलो। हम यह अनुगमन सिखाते हैं, ताकि आप में से हर आदमी हवन कराने में डिसिप्लिन रखना सीख जाए और अपने पड़ोस को एक कायदे-कानून में चलाना सीख जाए। यदि आप अनुशासन में रहना सीख लेते हैं तो मैं आपका ब्रह्मा नाम, आचार्य नाम रख दूँगा। नहीं साहब! हमको श्लोक आते हैं और झपकी लेते रहते हैं तथा श्लोक बोलते रहते हैं। हमें तो अपने माइक से और किताब से काम है। कोई सुने, चाहे न सुने, बोले या न बोले। हम तो बकवास करते चले जाते हैं। बेटे! थोड़ी सी बातें है, जो तुझे वहाँ यज्ञ में करनी चाहिए। बोलना और यज्ञ करना, ये बिलकुल मामूली बातें है। महीने भर में नहीं सीखेगा तो दो महीने में सीख जाएगा।
मित्रो! हम डिसिप्लिन, अनुशासन सिखाते है। हर आदमी को अनुशासित होना चाहिए, डिसिप्लिन में रहना चाहिए। नहीं साहब! हमारी मरजी है, हम तो जोर से चिल्लाएँगे। नहीं, जोर से नहीं चिल्लाने देंगे, जबान बंद रखो। या तो हमारे साथ-साथ बोलो या चुप बैठो। नहीं साहब! आप प्रचोदयात् बोलिए हम धीमहि बोलेंगे। एक ऊँचा चिल्ला रहा है, एक नीचा चिल्ला रहा है, ऐसे नहीं बोलने देंगे। साथ-साथ गले से गला मिलाकर बोलो। हम यह अनुगमन सिखाते हैं, ताकि आप में से हर आदमी हवन कराने में डिसिप्लिन रखना सीख जाए और अपने पड़ोस को एक कायदे-कानून में चलाना सीख जाए। यदि आप अनुशासन में रहना सीख लेते हैं तो मैं आपका ब्रह्मा नाम, आचार्य नाम रख दूँगा। नहीं साहब! हमको श्लोक आते हैं और झपकी लेते रहते हैं तथा श्लोक बोलते रहते हैं। हमें तो अपने माइक से और किताब से काम है। कोई सुने, चाहे न सुने, बोले या न बोले। हम तो बकवास करते चले जाते हैं। बेटे! थोड़ी सी बातें है, जो तुझे वहाँ यज्ञ में करनी चाहिए। बोलना और यज्ञ करना, ये बिलकुल मामूली बातें है। महीने भर में नहीं सीखेगा तो दो महीने में सीख जाएगा।