Books - चिंतन-चरित्र को ऊँचा बनाएँ
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Language: HINDI
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दर्शन का अर्थ देखना नहीं
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मित्रो! कहाँ गए थे? दर्शन करने गए थे? किसका दर्शन करने गए थे? साहब! बद्रीनाथ का दर्शन करने गए थे। तो कर लिया दर्शन? हाँ साहब! खूब दर्शन हो गए। भीड़ तो बहुत थी ,, पर हम पंद्रह मिनट खड़े रहे और अच्छी तरह से दर्शन हो गए। दर्शन से आपका मतलब क्या है? बेटे! दर्शन का अर्थ यदि देखना भर लगाता है तो देखने का इतना ही फायदा होगा कि उसकी यह व्याख्या कर सकता है कि बदरीनारायण संगमरमर के बने हैं या भूसा के बने हुए है। उनकी नाक लंबी है कि चौड़ी है। बस, इतना ही फायदा होगा। इस दर्शन से तो महाराज जी! इस दर्शन से तो बैकुंठ मिलेगा न? नहीं बेटे! तुझे नहीं मिलेगा, क्योंकि तेरे दर्शन के माने-मतलब का अर्थ जो तुमने समझा है, वह मात्र देखना समझा है। वास्तव में दर्शन का अर्थ देखना नहीं है।
साथियो! दर्शन का मतलब 'दर्शन' ट्रू फिलॉसफी'। दर्शन के पीछे एक दृष्टि काम करती है। आप किसको देखने के लिए गए थे? गाँधी जी को। गाँधी जी की देखने के लिए तो लाखों लोग गए होंगे है तो क्या पुण्य मिला? बेटे! मैं समझता हूँ कि कोई पुण्य नहीं मिला होगा। जो भी आदमी उन्हें देखने के लिए अपना किराया भाड़ा खरच कर गए होंगे तो सिर्फ इतनी जानकारी लेकर के आए होंगे कि एक छोटी कद-काठी का काला व ठिगना आदमी था, जिसकी आँखें छोटी और नाक लंबी थी। बस, इतनी सी जानकारी का जो पुण्य होगा, मिला होगा। नहीं महाराज जी! गाँधी जी के पास जाने से तो बड़ा पुण्य मिलता है। नहीं बेटे! अगर उनके दिमाग में दृष्टि नहीं है, तब कोई पुण्य नहीं मिलता। हाँ, जिनकी आँखों में दर्शन रहा होगा, उनने गाँधी जी को देखा होगा और देख करके उनकी फिलॉसफी को समझा होगा। उनके प्रति जो उनकी निष्ठा-श्रद्धा थी कि गाँधी जी बहुत अच्छे आदमी हैं, उस निष्ठा को ग्रहण किया होगा और ग्रहण करने के बाद उनका नाम विनोबा हो गया।
विनोबा कौन है? दूसरे नंबर के गाँधी है। गाँधी जी ने व्यक्तिगत सत्याग्रह में जब अपना उत्तराधिकारी घोषित किया तो लोग बहुत उम्मीद लगाए बैठे थे कि गाँधी जी के जेल जाने के बाद में दूसरे नंबर पर कौन हो सकता है? दूसरा नंबर जवाहरलाल नेहरू का होना चाहिए, सरदार पटेल का होना चाहिए। सब अख़बार वाले इंतजार कर रहे थे कि गाँधी जी अपना उत्तराधिकारी डिक्लेयर करेंगे। दोनों में से या तो जवाहरलाल नेहरू हो सकते हैं या फिर सरदार पटेल हो सकते हैं। ये दोनों बड़े दबंग थे, लेकिन गाँधी जी ने, सन् १९३६ में जब व्यक्तिगत सत्याग्रह आंदोलन शुरू हुआ था तो उसमें डिक्लेयर किया कि मेरे गिरफ्तार होने के बाद में राष्ट्र की लगाम चलाने वाला और दूसरे नंबर का सत्याग्रही होगा तो विनोबा भावे होगा।
साथियो! दर्शन का मतलब 'दर्शन' ट्रू फिलॉसफी'। दर्शन के पीछे एक दृष्टि काम करती है। आप किसको देखने के लिए गए थे? गाँधी जी को। गाँधी जी की देखने के लिए तो लाखों लोग गए होंगे है तो क्या पुण्य मिला? बेटे! मैं समझता हूँ कि कोई पुण्य नहीं मिला होगा। जो भी आदमी उन्हें देखने के लिए अपना किराया भाड़ा खरच कर गए होंगे तो सिर्फ इतनी जानकारी लेकर के आए होंगे कि एक छोटी कद-काठी का काला व ठिगना आदमी था, जिसकी आँखें छोटी और नाक लंबी थी। बस, इतनी सी जानकारी का जो पुण्य होगा, मिला होगा। नहीं महाराज जी! गाँधी जी के पास जाने से तो बड़ा पुण्य मिलता है। नहीं बेटे! अगर उनके दिमाग में दृष्टि नहीं है, तब कोई पुण्य नहीं मिलता। हाँ, जिनकी आँखों में दर्शन रहा होगा, उनने गाँधी जी को देखा होगा और देख करके उनकी फिलॉसफी को समझा होगा। उनके प्रति जो उनकी निष्ठा-श्रद्धा थी कि गाँधी जी बहुत अच्छे आदमी हैं, उस निष्ठा को ग्रहण किया होगा और ग्रहण करने के बाद उनका नाम विनोबा हो गया।
विनोबा कौन है? दूसरे नंबर के गाँधी है। गाँधी जी ने व्यक्तिगत सत्याग्रह में जब अपना उत्तराधिकारी घोषित किया तो लोग बहुत उम्मीद लगाए बैठे थे कि गाँधी जी के जेल जाने के बाद में दूसरे नंबर पर कौन हो सकता है? दूसरा नंबर जवाहरलाल नेहरू का होना चाहिए, सरदार पटेल का होना चाहिए। सब अख़बार वाले इंतजार कर रहे थे कि गाँधी जी अपना उत्तराधिकारी डिक्लेयर करेंगे। दोनों में से या तो जवाहरलाल नेहरू हो सकते हैं या फिर सरदार पटेल हो सकते हैं। ये दोनों बड़े दबंग थे, लेकिन गाँधी जी ने, सन् १९३६ में जब व्यक्तिगत सत्याग्रह आंदोलन शुरू हुआ था तो उसमें डिक्लेयर किया कि मेरे गिरफ्तार होने के बाद में राष्ट्र की लगाम चलाने वाला और दूसरे नंबर का सत्याग्रही होगा तो विनोबा भावे होगा।