Books - चिंतन-चरित्र को ऊँचा बनाएँ
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Language: HINDI
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ऐसी भावना लेकर जप निरर्थक
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क्या करते है साहब? गायत्री माता का जप करते हैं। यह तो बहुत अच्छी बात है। किस काम के लिए करते है? साहब! हमारे पड़ोसी के ऊपर जो मुकदमा चल रहा है, वे जीत जाएँ। और किसके लिए करते? हमारे बेटियाँ न हो, बेटा हो जाए। बेटे-बेटियाँ तो बहुत अच्छी होती है। बेटा होने से यया कायदा है? नहीं महाराज जी! बेटा हो जाए, इसलिए हम गायत्री माता का जप करते है। तेरी दृष्टि बहुत छोटी है, ओछी दृष्टि है, घटिया दृष्टि है, कमीनी दृष्टि है, जानवरों जैसी दृष्टि है। ऐसी दृष्टि को लेकर के तू गायत्री माता का जप कर रहा होगा तो मैं नहीं जानता कि इससे तेरी जीवात्मा को कोई लाभ मिल सकता है कि नहीं। तेरी जीवात्मा में कोई प्रकाश आ सकता है कि नहीं। भगवान की कृपा और अन्य शक्तियाँ मिलेंगी कि नहीं। नहीं साहब! मैं तो ८१ हजार जप करूँगा। चाहे ८१ हजार जप कर ले, चाहे ५१ हजार, अगर दृष्टि तेरे पास नहीं है तो उस क्रियाकृत्य का क्या परिणाम निकलेगा, मैं नहीं जानता। मेरा विश्वास है कि दृष्टि को ऊँचा किए विना अध्यात्म और धर्म जो कि हमारा कार्यक्षेत्र है, उसमें कोई महत्त्वपूर्ण लाभ नहीं मिल सकता। इसलिए हमको दृष्टि का परिष्कार करने वाली बात सोचकर चलना चाहिए।