Books - चिंतन-चरित्र को ऊँचा बनाएँ
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Language: HINDI
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व्याख्यान देना एक कला
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बेटे! व्याख्यान देना कोई खास बात नहीं है। मुझे फुरसत कम मिलती है, नहीं तो मैं तेरे पीछे पड़ जाऊँगा व्याख्यान देने के लिए तो मैं समझता है कि एक सप्ताह में तुझे बुलवाकर छोड़ूँगा। ये हमारी लड़कियाँ हैं। बाहर भेजा था इनको। बस इनके ऊपर हावी हो गया था, बैठो, बोलो, यह क्या, ऐसे बोल, ऐसे बोल। क्यों नहीं बोलती? ऐसे बोला जाता है। फिर ऐसे बोलने लगीं कि बस गजब को गया। व्याख्यान में भी कुछ होता है क्या? कुछ भी नहीं है। बस तेरा दिमाग अपसेट हो जाता है। तेरी जिन्दगी फैली हुई है, बंदर की तरह मचक-मचक करता है। किसी बात में दिमाग नहीं लगाता, किसी बात पर ध्यान नहीं देता। अपने प्वाइंट बना ले, दिशाधारा निर्धारित कर ले कि ये-ये बोलना है। नहीं साहब! उस वक्त जो मन में आएगा, सो बोलेंगे। नहीं बेटे! अपने प्वाइंट निश्चित कर ले, सामने रख ले और उसी हिसाब से कायदे से बोलता हुआ चला जा। पहले उसे याद कर ले, रिहर्सल कर ले तो फिर बोलना आ जाएगा। गुरुजी मैं अपनी जिंदगी में वक्ता हो जाऊँगा? जरूर हो जाएगा, मैं यह आशीर्वाद देता हूँ।
बेटे! अपने मन को नियंत्रित करना और झिझक हटाना सीख ले। जहाँ ये दो बातें सीखीं, बस वहीं तेरी सारी की सारी बात ठीक हो जाएगी। शरीर का बैलेंस बनाना सीख ले और हिम्मत से साइकिल पर सवारी करना सीख ले। पढ़ा है, बिना पढ़ा है तो भी बोल जाएगा। गँवार है तो भी बोल जाएगा और विद्वान है तो भी बोल जाएगा। बेटे! बोलना एक कला है, विद्या थोड़े ही है। बाजीगरों को यह कला आती है और वे जनता को इकट्ठा कर लेते हैं। ताबीज बेचने वालों को बोलना आता है। गोशाला वालों को, अन्य सैकड़ों आदमियों को बोलना आता है। नहीं साहब, गुरु जी यहाँ से जाऊँ तो आशीर्वाद देना कि मैं बोलता चला जाऊँ। हाँ, मैं दे दूँगा आशीर्वाद, कुछ है नहीं इसमें, यह एक खेल है, तमाशा है, जादू है।
बेटे! अपने मन को नियंत्रित करना और झिझक हटाना सीख ले। जहाँ ये दो बातें सीखीं, बस वहीं तेरी सारी की सारी बात ठीक हो जाएगी। शरीर का बैलेंस बनाना सीख ले और हिम्मत से साइकिल पर सवारी करना सीख ले। पढ़ा है, बिना पढ़ा है तो भी बोल जाएगा। गँवार है तो भी बोल जाएगा और विद्वान है तो भी बोल जाएगा। बेटे! बोलना एक कला है, विद्या थोड़े ही है। बाजीगरों को यह कला आती है और वे जनता को इकट्ठा कर लेते हैं। ताबीज बेचने वालों को बोलना आता है। गोशाला वालों को, अन्य सैकड़ों आदमियों को बोलना आता है। नहीं साहब, गुरु जी यहाँ से जाऊँ तो आशीर्वाद देना कि मैं बोलता चला जाऊँ। हाँ, मैं दे दूँगा आशीर्वाद, कुछ है नहीं इसमें, यह एक खेल है, तमाशा है, जादू है।