Books - चिंतन-चरित्र को ऊँचा बनाएँ
Media: TEXT
Language: HINDI
Language: HINDI
मात्र झिझक निकलनी चाहिए
Listen online
View page note
Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
मित्रो! झिझक, आत्महीनता का भाव कि हम बड़े कमजोर हैं, लोग हमारी मजाक उड़ाएँगे, हमारी दिल्लगीबाजी हो जाएगी। हमारा भाषण किसी काम का नहीं होगा और हम पढे लिखे नहीं हैं, मूर्ख हैं। इतनी कमजोरियाँ बस जबान पर आकर हावी हो जाती है और आदमी को बोलने में रुकावट पड़ती है। गुरुजी! व्याख्यान करना सीख जाऊँगा? हाँ सीख जाएगा, बस झिझक निकाल दे। यहाँ व्याख्यान देना सीखकर गंगा जी के किनारे चला जाया कर। वहाँ पत्थर रहते हैं। हमारी बात तुमको सुननी पड़ेगी। तुम्हारे पत्थर जैसे दिमाग और पत्थर जैसी अक्ल, पत्थर जैसी जिंदगी को मुलायम बनना चाहिए। हमारे गुरुजी बताते हैं कि आपको हमारी बात सुननी चाहिए। गंगा के किनारे रहकर भी अरे मूर्खों! ऐसे के ऐसे ही रह गए। ये तो तुम्हारी नासमझी है। समझ से काम लो और जरा गीले होने की कोशिश करो। जरा चलने फिरने की कोशिश करो। लुढ़कना शुरू करोगे तो तुम थोड़े दिनों में शालिग्राम बन सकते हो। अभी तो तिकोने पत्थर पड़े हो। समझा न व्याख्यान देना, झिझक खुली, गाड़ी चली तो चली। साइकिल चली तो चली, पहिया घूमा तो घूमा और बात खतम हो गई।