विराट दीपयज्ञ - देव संस्कृति के आलोक से पूरे विश्व को आलोकित करने का संकल्प
'कृण्वन्तो विश्वमार्यम्' अर्थात पूरा विश्व आर्य (श्रेष्ठ) बने, आर्यसमाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती का यह उद्घोष परम पूज्य गुरुदेव का उद्घोष – ‘इक्कीसवीं सदी उज्ज्वल भविष्य’,’घर घर अलख जगाएंगे हम, बदलेंगे जमाना’ आज साकार होता दिखा। आज मुंबई अश्वमेध महायज्ञ के चौथे दिन के भव्य, विराट, दिव्यता से ओतप्रोत सायं काल होने वाले दीप महायज्ञ में परम पूज्य गुरुदेव की भविष्यवाणी एक धर्म, एक जाति, एक देश, एक भाषा का स्वरूप साकार होता हुआ दिखा। कॉर्पोरेट ग्राउन्ड में मानों सम्पूर्ण ब्रह्मांड के साकार दर्शन हो रहे हों। धर्म, जाति, प्रांत, देश, भाषा, आदि के बंधन से ऊपर उठकर सतयुग के सपने को साकार करने के लिए केवल युग सैनिक ही नहीं, मानों सम्पूर्ण धरा के श्रेष्ठ लोग हाथ में दीप लेकर संकल्पित हो रहा हो।विदेशी मूल के सैंकड़ों श्रद्धालु भक्तों ने दीपयज्ञ में दीपक जलाकर अपने हाथ को ऊपर उठाकर इस बात के लिए संकल्पित हुए की सम्पूर्ण विश्व ही देवसंस्कृति के आलोक से आलोकित हो। दीपयज्ञ के कुछ के कुछ मनोरम, दिव्य, अलौकिक दृश्य।