विश्वमंच पर भारत को एक नई पहचान देने के संकल्प के साथ अश्वमेध महायज्ञ की पूर्णाहुति
मुंबई महानगर के खारघर कार्पोरेट पार्क ग्राउण्ड में 21 फरवरी 2024 से शुरु हुए अश्वमेध महायज्ञ के अंतिम दिन 25 फरवरी 2024 को नारी सशक्तिकरण और नशा मुक्त भारत बनाने का संकल्प लिया गया।यज्ञदेव से समस्त संसार के भाव को उज्ज्वल करने,वसुधैव कुटुंबकम के भाव भरने की कामना करते हुए यज्ञशाला की परिक्रमा की गई।सत्य को धारण करने की शक्ति प्रदान करने हेतु यज्ञाश्व से प्रार्थना की गयी। शांतिकुंज के ब्रह्मवादिनी बहिनों, विद्वान आचार्यों एवं उदगाता बंधुओं दृवारा संचालित इस महायज्ञ में सामूहिक कर्मकांड एवं वेदपाठ और ध्यान साधना से लाखों साधक भक्ति के रंग से सतरंगी हो गए। देश के विभिन्न क्षेत्र के अग्रणी लोगों ने भी आहुतियां डालकर इस ऐतिहासिक महायज्ञ में सहभागिता कर राष्ट्र निर्माण की शपथ ली।स्वयं देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी इस महायज्ञ से जुड़े और अश्वमेध महायज्ञ से राष्ट्र को सशक्त बनाने के बारे में युग निर्माण मिशन के संस्थापक स्वतंत्रता सेनानी युगऋषि वेदमूर्ति तपोनिष्ठ पंडित श्री राम शर्मा आचार्य के योगदान से पूरे भारत को अवगत कराया। परम पूज्य गुरुदेव परम वंदनिया माताजी के सूक्ष्म संरक्षण एवं गायत्री परिवार के प्रमुख श्रद्धेय डॉ प्रणव पण्ड्या एवं श्रद्धेया शैलदीदी के मार्गदर्शन में सम्पन्न हुए इस अश्वमेध महायज्ञ राष्ट्र के सबल एवं समर्थ बनाने का खाका दिखाया गया। नारी शक्ति का जागरण, नशा मुक्त भारत एवं युवा शक्ति का राष्ट्र हित नियोजन से सम्पूर्ण भारत को सबसे समर्थ राष्ट्र बनाने का आवाहन हमारे आदर्श परम आदरणीय डॉ चिन्मय पंड्या जी द्वारा किया गया। पूरा परिसर व्यसन मुक्त तो था ही, साथ ही श्रद्धा, भक्ति और युवाशक्ति के महासंगम का अलौकिक दृश्य इस यज्ञ के माध्यम से देखने को मिला। इस यज्ञ में लाखों लोगों ने इदं राष्ट्राय इदं न मम के भाव से राष्ट्र को जीवंत और जागृत करने के संकल्प आहुतियाँ समर्पित करके लिए। संस्कार परंपरा को पुनः घर घर में स्थापित कर नए युग में नवल राष्ट्र के निर्माण के लिए सभ्य सुशिक्षित संस्कारवान पीढ़ी समर्पित करने के संकल्प लिए गए।सबल, समर्थ, शिक्षित, विकसित भारत की संकल्पना को पूर्ण करने की संकल्प पूर्णाहुति की गई। देव संस्कृति,सनातन संस्कृति को विश्वव्यापी बनाने और अध्यात्म जागरण से मानस परिवर्तन के ताने बाने बुने गए ताकि हर मनुष्य में देवत्व का जागरण हो सके और धरती पर स्वर्ग अवतरण की परिकल्पना को साकार किया जा सके।