वनवासियों के हितचिंतक
श्री महेन्द्र मोहन भट्ट, इंदौर। म.प्रदेश
युग निर्माण आन्दोलन के लिए जीवन अर्पित कर देने वाले प्रखर, प्राणवान कार्यकर्त्ता श्री महेन्द्र मोहन भट्ट अपने 61वें जन्मदिन के दिन ही दिनांक 27 सितम्बर 2024 को पावन गुरूसत्ता की सूक्ष्म चेतना के साथ एकाकार हो गए। उल्लेखनीय है कि वे विगत 40 वर्षों से गुरूपूर्णिमा एवं अन्य प्रमुख पर्व गुरूधाम शान्तिकुञ्ज में ही मनाते थे। शान्तिकुञ्ज में ही उन्होंने अपने जीवन की अंतिम साँस ली। श्री महेन्द्र मोहन जी पेटलावद, झाबुआ, म.प्र. के मूल निवासी थे। बैंगलोर से एम.एससी. एग्रीकल्चर की शिक्षा प्राप्त की और उद्यानिकी विभाग में सेवाएँ भी दीं। वे वनवासियों के उत्थान के लिए विशेष रूप से सक्रिय रहे। बड़वानी जिले के सालीटांडा में प्रतिवर्ष ऋषि पंचमी पर होने वाले विशाल समारोह के आयोजन में उनकी प्रमुख भूमिका होती थी। मिशन के कार्यों के लिए वे पक्कधुनी थे, जिस कार्य में जुट जाते, उसे पूरा करके ही छोड़ते थे। वे अपने पीछे पत्नी और दो पुत्र छोड़ गए हैं।