हिंदू आध्यात्मिक एवं सेवा मेला में शान्तिकुञ्ज का संदेश
डॉ. चिन्मय पण्ड्या जी, श्री श्याम शरण देवाचार्य जी, माननीय श्री धनखड़ जी, साध्वी ऋतंभरा जी, मुनि चिदानन्द जी दीप प्रज्वलन करते हुए
जनमानस में भावनात्मक परिवर्तन के लिए हमें संगठित होकर प्रयास करने होंगे। - शान्तिकुञ्ज प्रतिनिधि
मेले में सैकड़ों धार्मिक पुस्तकों और ग्रंथों की स्टॉल लगाई गई थीं।
जयपुर के दशहरा मैदान में हिंदू आध्यात्मिक एवं सेवा मेले का आयोजन हुआ। उप राष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने इसका उद्घाटन किया। पाँच दिवसीय मेले के उद्घाटन सत्र को निंबार्क पीठाधीश्वर जगतगुरू श्री श्याम शरण देवाचार्य जी, राष्ट्रवादी विचारक पूज्य दीदी माँ साध्वी ऋतंभरा जी, परमार्थ निकेतन आश्रम के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती जी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सदस्य श्री गुणवंत सिंह कोठारी आदि महान संतों ने संबोधित किया। युगऋषि पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी के शिष्य और शान्तिकुञ्ज प्रतिनिधि के रूप में इस संत समागम में करोड़ों लोगों के युवा आदर्श आदरणीय डॉ. चिन्मय पण्ड्या जी उपस्थित थे। हिंदू आध्यात्मिक एवं सेवा मेले ने समाज को हिंदू धर्म और सनातन संस्कृति की शिक्षाएँ तथा धर्म-संस्कृति की रक्षा के लिए एकजुटता का संदेश दिया। आदरणीय डॉ. चिन्मय पण्ड्या जी ने संस्कृति की रक्षा एवं समाज की एकजुटता के लिए जनमानस का भावनात्मक परिवर्तन करने तथा इसके लिए संगठित होकर प्रयास करने की आवश्यकता बताई। उन्होंने गायत्री और यज्ञ की व्याख्या सनातन संस्कृति के माता-पिता के रूप में की तथा परम पूज्य गुरूदेव के क्रान्तिकारी विचारों का परिचय देते हुए कहा कि यह विचार युग परिवर्तन का सशक्त आधार बनेंगे। उपराष्ट्रपति माननीय श्री जगदीप धनखड़ ने राजस्थान को राष्ट्रवाद की सुगंध से भरी हुई भूमि बताते हुए इस वीर भूमि का वंदन किया। उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति हमारे खून में और स्वभाव में बसी हुई है, जो हर प्रकार की चुनौतियों का सामना करने में सक्षम है। समय आ गया है कि हम अपने सनातन मूल्यों को जीवन में उतारते हुए अपनी एकता को बनाए रखें।