Books - देखन मे छोटे लगे घाव करे गंभीर भाग-2
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Language: HINDI
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संकट टल गया
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भ्रष्टाचार, शोषण और लूट-खसोट की प्रवृत्तियों को रोकने के लिए तथा राजनैतिक क्षेत्रों में भी इन विकृतियों को दूर करने के लिए अमेरिका के कुछ बुद्धिजीवी और विचारशील नेताओं ने प्रोगेसिव पार्टी का गठन किया था। इस पार्टी का घोषित कार्यक्रम था शोषण और भ्रष्टाचार का उन्मूलन, नागरिक अधिकारों की सुरक्षा, स्वच्छ प्रशासन तथा पददलितों और शोषितों का उद्धार-इन्हीं कार्यक्रमों को लेकर थियोडोर रूजवेल्ट ने सन् 1912 में राष्ट्रपति का चुनाव लड़ा था और अच्छे मतों से विजयी भी हुए थे।
अमेरिका के जागरूक जनमत ने बिना जाने-समझे और देखे-परखे ही इस पार्टी के उम्मीदवारों को अपना समर्थन नहीं दिया था। वहां के मतदाता थियोडोर रूजवेल्ट की निष्ठा, साहस और प्रशासनिक दक्षता से भली-भांति अवगत थे। समय पर रूजवेल्ट ने इस घोषित कार्यक्रम के लिए जिस साहसपूर्ण सक्रियता का परिचय दिया था उनकी एक नहीं—अनेक मिसालें जनमानस की स्मृति में कौंध रही थीं।
इन्हीं साहसपूर्ण कारनामों की एक घटना है। मिलर्वोकी नामक नगर में पार्टी की ओर से एक सभा का आयोजन किया गया था। सभा आयोजन का उद्देश्य था उस क्षेत्र की निम्न वर्गीय जनता के प्रति समर्थ और सम्पन्न व्यक्तियों द्वारा किया जाने वाला अनाचार। रूजवेल्ट को न तो सस्ती सफलता की कामना थी और न कोई स्वार्थ था। राजनीति में तो वे विशुद्ध जनसेवा के उद्देश्य से प्रेरित होकर आए थे।
उस दिन मिलर्वोकी सभा भवन में जाने के लिए वे अपने होटल से उतरे और कार में बैठ ही रहे थे कि एक व्यक्ति अजीब से अंदाज में उनके पास आया। रूजवेल्ट ने अपना एक पैर कार के अंदर रखा था और दूसरा रखने ही जा रहे थे कि उस व्यक्ति ने उसके सीने का निशाना बनाकर गोली दाग दी। गोली ठीक निशाने पर लगी और रूजवेल्ट लड़खड़ाने लगे। वहां उपस्थित व्यक्तियों ने हत्या का प्रयत्न करने वाले इस बदमाश को पकड़ लिया। गोली चलने की आवाज सुनकर कुछ और लोग दौड़े आये और हत्यारे को लातों-घूंसों से मारने लगे। अपने आपको सम्हालते हुए रूजवेल्ट ने लोगों से कहा—‘‘बेचारे इस गरीब को मत मारो। इसे मेरे पास लाओ।’’
उसे पुलिस की हिरासत में देकर उसके प्राण बचाने की हिदायत देते हुए रूजवेल्ट मोटर में जा बैठे और ड्राइवर एक बारगी आश्चर्य में पड़ा। परंतु रूजवेल्ट ने एक रूमाल से अपने सीने को कसकर बांध लिया था और ड्राइवर को पुनः वही आदेश दिया। जब वे सभी भवन पहुंचे तो उससे पूर्व ही उक्त घटना का समाचार पहुंच गया था। लोग चिंतित से रूजवेल्ट को सभा मंच की ओर बढ़ते देख रहे थे।
मंच पर चढ़ कर उन्होंने धीमी आवाज में अपना भाषण शुरू किया और कहा—‘‘मेरे सीने में एक गोली है फिर भी मैं भरसक प्रयत्न करूंगा। लेकिन आप मुझे जोर से न बोल पाने के लिए क्षमा करेंगे।’’
इसके बाद उन्होंने अपना भाषण पूरा किया। घंटे भर बाद जब भाषण समाप्त हुआ तो उन्हें अस्पताल ले जाया जा सका। शल्य क्रिया द्वारा सीने से गोली निकाली गयी। गोली ठीक उनके कलेजे से एक इंच दूर रह गयी थी। डॉक्टरों ने कहा—‘‘आपको तो गोली लगते ही सीधे यहां आ जाना चाहिए था। भाषण करते समय क्या आप अपने प्राणों को खतरे में महसूस नहीं कर रहे थे?’’
‘‘जब मेरा दिमाग एक लक्ष्य के पीछे लगा हो तो मैं अपने प्राणों के बारे में कैसे सोच सकता था?’’—रूजवेल्ट ने कहा। वस्तुतः एक तो उनका शरीर इतना पुष्ट और बलिष्ट, दूसरे मानसिक एकाग्रता के अभ्यास ने उनका ध्यान उस ओर जाने ही नहीं दिया परिणामस्वरूप उनके प्राणों का संकट टल गया।
अमेरिका के जागरूक जनमत ने बिना जाने-समझे और देखे-परखे ही इस पार्टी के उम्मीदवारों को अपना समर्थन नहीं दिया था। वहां के मतदाता थियोडोर रूजवेल्ट की निष्ठा, साहस और प्रशासनिक दक्षता से भली-भांति अवगत थे। समय पर रूजवेल्ट ने इस घोषित कार्यक्रम के लिए जिस साहसपूर्ण सक्रियता का परिचय दिया था उनकी एक नहीं—अनेक मिसालें जनमानस की स्मृति में कौंध रही थीं।
इन्हीं साहसपूर्ण कारनामों की एक घटना है। मिलर्वोकी नामक नगर में पार्टी की ओर से एक सभा का आयोजन किया गया था। सभा आयोजन का उद्देश्य था उस क्षेत्र की निम्न वर्गीय जनता के प्रति समर्थ और सम्पन्न व्यक्तियों द्वारा किया जाने वाला अनाचार। रूजवेल्ट को न तो सस्ती सफलता की कामना थी और न कोई स्वार्थ था। राजनीति में तो वे विशुद्ध जनसेवा के उद्देश्य से प्रेरित होकर आए थे।
उस दिन मिलर्वोकी सभा भवन में जाने के लिए वे अपने होटल से उतरे और कार में बैठ ही रहे थे कि एक व्यक्ति अजीब से अंदाज में उनके पास आया। रूजवेल्ट ने अपना एक पैर कार के अंदर रखा था और दूसरा रखने ही जा रहे थे कि उस व्यक्ति ने उसके सीने का निशाना बनाकर गोली दाग दी। गोली ठीक निशाने पर लगी और रूजवेल्ट लड़खड़ाने लगे। वहां उपस्थित व्यक्तियों ने हत्या का प्रयत्न करने वाले इस बदमाश को पकड़ लिया। गोली चलने की आवाज सुनकर कुछ और लोग दौड़े आये और हत्यारे को लातों-घूंसों से मारने लगे। अपने आपको सम्हालते हुए रूजवेल्ट ने लोगों से कहा—‘‘बेचारे इस गरीब को मत मारो। इसे मेरे पास लाओ।’’
उसे पुलिस की हिरासत में देकर उसके प्राण बचाने की हिदायत देते हुए रूजवेल्ट मोटर में जा बैठे और ड्राइवर एक बारगी आश्चर्य में पड़ा। परंतु रूजवेल्ट ने एक रूमाल से अपने सीने को कसकर बांध लिया था और ड्राइवर को पुनः वही आदेश दिया। जब वे सभी भवन पहुंचे तो उससे पूर्व ही उक्त घटना का समाचार पहुंच गया था। लोग चिंतित से रूजवेल्ट को सभा मंच की ओर बढ़ते देख रहे थे।
मंच पर चढ़ कर उन्होंने धीमी आवाज में अपना भाषण शुरू किया और कहा—‘‘मेरे सीने में एक गोली है फिर भी मैं भरसक प्रयत्न करूंगा। लेकिन आप मुझे जोर से न बोल पाने के लिए क्षमा करेंगे।’’
इसके बाद उन्होंने अपना भाषण पूरा किया। घंटे भर बाद जब भाषण समाप्त हुआ तो उन्हें अस्पताल ले जाया जा सका। शल्य क्रिया द्वारा सीने से गोली निकाली गयी। गोली ठीक उनके कलेजे से एक इंच दूर रह गयी थी। डॉक्टरों ने कहा—‘‘आपको तो गोली लगते ही सीधे यहां आ जाना चाहिए था। भाषण करते समय क्या आप अपने प्राणों को खतरे में महसूस नहीं कर रहे थे?’’
‘‘जब मेरा दिमाग एक लक्ष्य के पीछे लगा हो तो मैं अपने प्राणों के बारे में कैसे सोच सकता था?’’—रूजवेल्ट ने कहा। वस्तुतः एक तो उनका शरीर इतना पुष्ट और बलिष्ट, दूसरे मानसिक एकाग्रता के अभ्यास ने उनका ध्यान उस ओर जाने ही नहीं दिया परिणामस्वरूप उनके प्राणों का संकट टल गया।