Books - देवता हमें क्या दे सकते हैं
Media: TEXT
Language: HINDI
Language: HINDI
देवता हमें क्या दे सकते हैं?
Listen online
View page note
Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
गायत्री मंत्र हमारे साथ-साथ-
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।
यह अध्यात्म सही नहीं
मित्रो! अध्यात्म उस चीज का नाम है जो आदमी के व्यक्तित्व और स्तर को ऊँचा उठा देता है। जो अध्यात्म आदमी के व्यक्तित्व और उसके स्तर को नीचे गिराता हो, मैं उसे अध्यात्म नहीं मानता। उसके पीछे मैं बहुत नाराज हूँ। इसलिए हर क्षेत्र में हम बगावत पैदा करते हैं। हम जहाँ अनैतिकता के विरुद्ध बगावत पैदा करते हैं, जहाँ अवांछनीयता के विरुद्ध बगावत पैदा करते है, वहीं हम इस नकली अध्यात्म के विरुद्ध भी बगावत पैदा करते हैं। फिर तो आप कम्युनिस्ट हैं? कम्युनिस्ट तो नहीं हैं बेटे, पर हम कम्युनिस्टों की आवाज में आवाज लगाकर कह सकते हैं कि यह अवांछनीय अध्यात्म जो आज हर जगह फैल गया है, अगर यह नष्ट होता है, तो मुझे प्रसन्नता है। आपका ये अखण्ड कीर्तन बंद हो जाए तो आपकी नाराजगी है? नहीं, मुझे कोई नाराजगी नहीं है, मुझे बहुत प्रसन्नता है। ये कौन से मन्दिर, भिन्न-भिन्न देवियों के मंदिर गिर पड़ें तो आपको नाराजगी है? नहीं बेटे, मुझे बहुत खुशी है। मनसा देवी, जो आपकी मनसाओं को, आपकी इच्छाओं को बिना कीमत चुकाए देना चाहती हैं, केवल पंद्रह पैसे का प्रसाद खा लीजिए और हमारी मनसा पूरी कर दीजिए। बेटे हम आपकी ऐसी मनसा देवी से बहुत नाराज हैं।
मित्रो! क्या करना चाहिए? मैं यह कह रहा था कि आध्यात्मिकता के मौलिक आधारों का प्रतिपादन होना चाहिए, ताकि उससे हम वास्तविक फायदे उठा सके, जैसे कि हमारे पूर्वजों ने उठाए थे। हमारे पूर्वजों ने आध्यात्मिकता से हर क्षेत्र में शानदार फायदे उठाए थे। उनके व्यक्तित्व बहुत शानदार होने थे। मैं आपको एक वात बताता हूँ कि जिन चीजों को आप चाहते हैं, जिन सुविधाओं को आप चाहते हैं, जो संपदाएँ आप चाहते है, वे अच्छे व्यक्तित्व के पीछे-पीछे चलती हैं। रोशनी के पीछे छाया चलती है। आप रोशनी की तरफ मुँह करके चलिए छाया आपके पीछे चलेगी और आप छाया के पीछे चलिए, छाया की तरफ मुँह करके भागिए तो रोशनी भी हाथ से चली जाएगी और छाया भी पकड़ में नहीं आएगी। आप अपने व्यक्तित्व को ऊँचा उठाइए।
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।
यह अध्यात्म सही नहीं
मित्रो! अध्यात्म उस चीज का नाम है जो आदमी के व्यक्तित्व और स्तर को ऊँचा उठा देता है। जो अध्यात्म आदमी के व्यक्तित्व और उसके स्तर को नीचे गिराता हो, मैं उसे अध्यात्म नहीं मानता। उसके पीछे मैं बहुत नाराज हूँ। इसलिए हर क्षेत्र में हम बगावत पैदा करते हैं। हम जहाँ अनैतिकता के विरुद्ध बगावत पैदा करते हैं, जहाँ अवांछनीयता के विरुद्ध बगावत पैदा करते है, वहीं हम इस नकली अध्यात्म के विरुद्ध भी बगावत पैदा करते हैं। फिर तो आप कम्युनिस्ट हैं? कम्युनिस्ट तो नहीं हैं बेटे, पर हम कम्युनिस्टों की आवाज में आवाज लगाकर कह सकते हैं कि यह अवांछनीय अध्यात्म जो आज हर जगह फैल गया है, अगर यह नष्ट होता है, तो मुझे प्रसन्नता है। आपका ये अखण्ड कीर्तन बंद हो जाए तो आपकी नाराजगी है? नहीं, मुझे कोई नाराजगी नहीं है, मुझे बहुत प्रसन्नता है। ये कौन से मन्दिर, भिन्न-भिन्न देवियों के मंदिर गिर पड़ें तो आपको नाराजगी है? नहीं बेटे, मुझे बहुत खुशी है। मनसा देवी, जो आपकी मनसाओं को, आपकी इच्छाओं को बिना कीमत चुकाए देना चाहती हैं, केवल पंद्रह पैसे का प्रसाद खा लीजिए और हमारी मनसा पूरी कर दीजिए। बेटे हम आपकी ऐसी मनसा देवी से बहुत नाराज हैं।
मित्रो! क्या करना चाहिए? मैं यह कह रहा था कि आध्यात्मिकता के मौलिक आधारों का प्रतिपादन होना चाहिए, ताकि उससे हम वास्तविक फायदे उठा सके, जैसे कि हमारे पूर्वजों ने उठाए थे। हमारे पूर्वजों ने आध्यात्मिकता से हर क्षेत्र में शानदार फायदे उठाए थे। उनके व्यक्तित्व बहुत शानदार होने थे। मैं आपको एक वात बताता हूँ कि जिन चीजों को आप चाहते हैं, जिन सुविधाओं को आप चाहते हैं, जो संपदाएँ आप चाहते है, वे अच्छे व्यक्तित्व के पीछे-पीछे चलती हैं। रोशनी के पीछे छाया चलती है। आप रोशनी की तरफ मुँह करके चलिए छाया आपके पीछे चलेगी और आप छाया के पीछे चलिए, छाया की तरफ मुँह करके भागिए तो रोशनी भी हाथ से चली जाएगी और छाया भी पकड़ में नहीं आएगी। आप अपने व्यक्तित्व को ऊँचा उठाइए।