Books - देवता हमें क्या दे सकते हैं
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Language: HINDI
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साधना कोई शॉर्टकट नहीं
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साहब! आप शाप क्यों देते हैं। इसलिए देते हैं कि आप उस सिद्धांत को समझते नहीं, जिस सिद्धांत पर चल करके आप वहाँ पहुँच सकते हैं। उस सिद्धांत को स्वीकार भी नहीं करते। बेटे, ये 'नेशनल हाईवे' है, राजमार्ग है। साधना कोई शॉर्टकट नहीं है। किसी भी क्षेत्र में कोई शॉर्टकट रास्ता नहीं है। आप एम० ए० पास होने का शॉर्टकट बताइए। बेटे, हमें तो मालूम नहीं है। हमने तो जिनको देखा है, वे पढ़ते हैं और नंबर बाई नंबर, कक्षा दर कक्षा फीस देते हैं। अच्छा बम्बई जाने का शॉर्टकट बताइए? बम्बई जाने का शॉर्टकट यही है बेटे कि उधर से कोटा से होकर निकल जाए या भोपाल से होकर निकल जाए। कितना किराया लगता है? यही कोई लगता होगा सौ-डेढ़ सौ रुपए का टिकट। नहीं साहब! कोई शॉर्टकट रास्ता बताइए। जिससे कि इतना सफर भी न करना पड़े और पैसा भी खरच नहीं करना पड़े और मैं बम्बई भी पहुँच जाऊँ। नहीं बेटे, ऐसा कोई शॉर्टकट रास्ता नहीं।
मित्रो! आपने अध्यात्म माने शॉर्टकट समझ रखा है। आप चाहते हैं, ''हींग लगे न फिटकरी रंग चोखा आवे।" बेटे तू क्या चाहता है कि बम्बई पहुँच जाऊँ। हाँ गुरुजी! ऐसा चमत्कार दिखाइए, जादू दिखाइए कि हम पाँच मिनट में बम्बई पहुँच जाएँ और पैसा भी न खरच करना पड़े। आँखें बंद करते ही बम्बई आ जाए। बताइए आपको ऐसा चमत्कार आता है। हाँ, हमको आता है। अच्छा तो आप कितनी देर में पहुँचा देंगे? तू कितनी देर में पहुँचना चाहता है। हम तो तुझे पाँच मिनट में पहुँचा देंगे बम्बई। अच्छा पाँच मिनट में, आप इतने बड़े योगी हैं? तू पहले खड़ा तो हो जा, फिर देख पहुँचता हैं कि नहीं पाँच मिनट में। अच्छा एक काम कर आँख पर एक पट्टी बाँध ले। अगर पट्टी नहीं तो आँख पर हाथ रख ले, ताकि रास्ते का सफर तुझे दिखाई न पड़े। और देख जब मैं कहूँ तब एक पैर उठाना, फिर दूसरा पैर उठाना। जब मैं कहूँ एक दो तीन आँख खोल, आ गया बम्बई। गुरुजी! मैं तो यहीं खड़ा हूँ। अरे देख यह लिखा हुआ है बम्बई। गुरुजी आप तो हमारे साथ मजाक करते हैं।
मित्रो! आप भी तो अध्यात्म के साथ क्या करते हैं? मजाक और मखौल करते हैं। कौन सी वाली? जो आप लिए फिरते हैं कि अमुक मंत्र का जप करेंगे और पैसा कमाएँगे। आप भगवान के साथ मखौल करते हैं, सिद्धान्तों, आदर्शों के साथ मखौल करते हैं और प्राचीनकाल की ऋषि परंपरा के साथ मखौल करते हैं। आपको किसने बताया था यह सब? साहब! एक बाबाजी ने बताया था। मारा नहीं उस बाबाजी को? नहीं साहब। अच्छा अबकी बार आए तो उसके कान पकड़ लेना और कहना कि गलत बात बता रहा है। मित्रो! क्या बताना चाहिए था? वह बताना चाहिए था, जिस शानदार अध्यात्म के लिए मैंने आपको बुलाया है। जिसके लिए मैं आपको अनुष्ठान कराना चाहता हूँ। जिसके लिए मैं चाहता हूँ कि आप उन सिद्धांतों के जानकार हो जाएँ। आप सिद्धांतों के जानकार हो जाएँगे तो फिर विधि बताने में मुझे देर नहीं लगेगी। विधि तो बहुत सरल है। जिस तरह आपरेशन करना बहुत सरल है। मोतियाबिंद का आपरेशन कितने मिनट लेता है? मुश्किल से एक मिनट लेता है। एक मिनट में डॉक्टर सुन्न करके खट झिल्ली काट करके अलग कर देता है। क्यों साहब! आप एक मिनट में आपरेशन करना सिखा देंगे? हाँ बेटे, हम सिखा देंगे। लेकिन पहले सात साल तक मेडिकल की पूरी पढ़ाई करने के साथ-साथ तुझे प्रेक्टिस भी करनी होगी। तब हम तुझे बताएँगे।
मित्रो! मैं आपको उस अध्यात्म को सिखाना चाहता हूँ, जिसे मेरे गुरु ने मुझे सिखाया और जिसे ऋषियों ने अपने शिष्यों को पढ़ाया। हम उसी शानदार सिद्धांत पर विश्वास करते हैं और आपको उसी शानदार अध्यात्म को अपनाने की प्रार्थना करते हैं। इसी के लिए हमने सब इंतजाम रचाया है। अगर आप सीख सकते हों, कर सकते हों, तो कर लें, सीख लें। फायदा उठा सकते हों तो फायदा उठा लें। जो अध्यात्म हम सिखाना चाहते हैं, जिसके लिए हमने आपको इस आध्यात्मिक शिविर में बुलाया है, वह कैसा अध्यात्म है? उसके तीन फायदे हैं। सिद्धियाँ कितनी होती हैं? यह आठ होती हैं, लेकिन ये अष्ट सिद्धियाँ और नौ ऋद्धियाँ मेरी समझ में नहीं आती। मेरी समक्ष में तो तीन सिद्धियाँ आती हैं और ये सुनिश्चित रूप से मिलती है। अष्ट सिद्धियों के बारे में तो मैं नहीं कह सकता कि इससे हवा में तैरना आ जाता है। हाँ गुरुजी! सिद्धियों से चमत्कार आते है। अष्ट सिद्धियाँ, नव निधियाँ होती हैं। अच्छा तो आपका मतलब हवा में तैरने से है।
मित्रो! आपने अध्यात्म माने शॉर्टकट समझ रखा है। आप चाहते हैं, ''हींग लगे न फिटकरी रंग चोखा आवे।" बेटे तू क्या चाहता है कि बम्बई पहुँच जाऊँ। हाँ गुरुजी! ऐसा चमत्कार दिखाइए, जादू दिखाइए कि हम पाँच मिनट में बम्बई पहुँच जाएँ और पैसा भी न खरच करना पड़े। आँखें बंद करते ही बम्बई आ जाए। बताइए आपको ऐसा चमत्कार आता है। हाँ, हमको आता है। अच्छा तो आप कितनी देर में पहुँचा देंगे? तू कितनी देर में पहुँचना चाहता है। हम तो तुझे पाँच मिनट में पहुँचा देंगे बम्बई। अच्छा पाँच मिनट में, आप इतने बड़े योगी हैं? तू पहले खड़ा तो हो जा, फिर देख पहुँचता हैं कि नहीं पाँच मिनट में। अच्छा एक काम कर आँख पर एक पट्टी बाँध ले। अगर पट्टी नहीं तो आँख पर हाथ रख ले, ताकि रास्ते का सफर तुझे दिखाई न पड़े। और देख जब मैं कहूँ तब एक पैर उठाना, फिर दूसरा पैर उठाना। जब मैं कहूँ एक दो तीन आँख खोल, आ गया बम्बई। गुरुजी! मैं तो यहीं खड़ा हूँ। अरे देख यह लिखा हुआ है बम्बई। गुरुजी आप तो हमारे साथ मजाक करते हैं।
मित्रो! आप भी तो अध्यात्म के साथ क्या करते हैं? मजाक और मखौल करते हैं। कौन सी वाली? जो आप लिए फिरते हैं कि अमुक मंत्र का जप करेंगे और पैसा कमाएँगे। आप भगवान के साथ मखौल करते हैं, सिद्धान्तों, आदर्शों के साथ मखौल करते हैं और प्राचीनकाल की ऋषि परंपरा के साथ मखौल करते हैं। आपको किसने बताया था यह सब? साहब! एक बाबाजी ने बताया था। मारा नहीं उस बाबाजी को? नहीं साहब। अच्छा अबकी बार आए तो उसके कान पकड़ लेना और कहना कि गलत बात बता रहा है। मित्रो! क्या बताना चाहिए था? वह बताना चाहिए था, जिस शानदार अध्यात्म के लिए मैंने आपको बुलाया है। जिसके लिए मैं आपको अनुष्ठान कराना चाहता हूँ। जिसके लिए मैं चाहता हूँ कि आप उन सिद्धांतों के जानकार हो जाएँ। आप सिद्धांतों के जानकार हो जाएँगे तो फिर विधि बताने में मुझे देर नहीं लगेगी। विधि तो बहुत सरल है। जिस तरह आपरेशन करना बहुत सरल है। मोतियाबिंद का आपरेशन कितने मिनट लेता है? मुश्किल से एक मिनट लेता है। एक मिनट में डॉक्टर सुन्न करके खट झिल्ली काट करके अलग कर देता है। क्यों साहब! आप एक मिनट में आपरेशन करना सिखा देंगे? हाँ बेटे, हम सिखा देंगे। लेकिन पहले सात साल तक मेडिकल की पूरी पढ़ाई करने के साथ-साथ तुझे प्रेक्टिस भी करनी होगी। तब हम तुझे बताएँगे।
मित्रो! मैं आपको उस अध्यात्म को सिखाना चाहता हूँ, जिसे मेरे गुरु ने मुझे सिखाया और जिसे ऋषियों ने अपने शिष्यों को पढ़ाया। हम उसी शानदार सिद्धांत पर विश्वास करते हैं और आपको उसी शानदार अध्यात्म को अपनाने की प्रार्थना करते हैं। इसी के लिए हमने सब इंतजाम रचाया है। अगर आप सीख सकते हों, कर सकते हों, तो कर लें, सीख लें। फायदा उठा सकते हों तो फायदा उठा लें। जो अध्यात्म हम सिखाना चाहते हैं, जिसके लिए हमने आपको इस आध्यात्मिक शिविर में बुलाया है, वह कैसा अध्यात्म है? उसके तीन फायदे हैं। सिद्धियाँ कितनी होती हैं? यह आठ होती हैं, लेकिन ये अष्ट सिद्धियाँ और नौ ऋद्धियाँ मेरी समझ में नहीं आती। मेरी समक्ष में तो तीन सिद्धियाँ आती हैं और ये सुनिश्चित रूप से मिलती है। अष्ट सिद्धियों के बारे में तो मैं नहीं कह सकता कि इससे हवा में तैरना आ जाता है। हाँ गुरुजी! सिद्धियों से चमत्कार आते है। अष्ट सिद्धियाँ, नव निधियाँ होती हैं। अच्छा तो आपका मतलब हवा में तैरने से है।