Books - देवता हमें क्या दे सकते हैं
Media: TEXT
Language: HINDI
Language: HINDI
चमत्कारों की जन्मस्थली अपना आपा
Listen online
View page note
Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
मित्रो! मंत्रों के चमत्कार कहाँ से आते हैं? मंत्रों के चमत्कार आदमी के भीतर से आते हैं। पेड़ जो आपको बाहर खड़ा दिखाई पड़ता है, कहाँ से आता है? पेड़ पर फल, फूल, पत्ते कहाँ से आते हैं? अच्छा, पहले बताइए कि पत्ते कहाँ से आते हैं? पत्ते, साहब, हवा में से भागते हुए आ जाते हैं और डाली से चिपक जाते हैं। अच्छा फूल कहाँ से आते हैं? फूल रात में तारों से ऊपर से गिरते हैं और पेड़ पर चिपक जाते हैं और ये फल कहाँ से आते हैं? फल, गुरुजी! रात में बादल आते हैं तो बहुत से फल लाते हैं। अच्छा को फल क्या करते हैं? टप-टप टपक पड़ते हैं और पेड़ पकड़ लेते हैं। पेड़ उन सबको चिपका लेते हैं। बेटे, ये तेरा ख्याल गलत है कि फल बाहर से आते हैं। अच्छा, ये फूल भी बाहर से आते हैं और पत्ते भी बाहर से आते हैं? हाँ साहब। नहीं बेटे, तेरा यह ख्याल गलत है। तो गुरुजी! आप ही बताइए कि सही बात क्या है? बेटे, पेड़ की जड़े जमीन में होती हैं, जो दिखाई नहीं पड़तीं। ये जड़े जमीन से रस चूसती हैं और उसे चूसने के बाद खाने की तरह ऊपर तने में फेंक देती हैं, डालियों में फेंक देती है, पत्तों में फेंक देती हैं, फूलों में फेंक देती हैं और फलों में फेंक देती है। यह कहाँ से आता है? बाहर से नहीं भीतर मे आता है। बाहर से मतलब देवताओं से नहीं आता। आप समझते क्यों नहीं? इसी का नाम अध्यात्म है।
अध्यात्म किसे कहते हैं? 'साइंस आफ सोल' को अध्यात्म कहते हैं। सोल की साइंस में-आत्मा के विज्ञान में हर चीज भीतर से निकलती है। आप बाहर से ही माँगते हैं। देवताओं से माँगते हैं। मनुहार उपहार, अनुग्रह-उपहार यही आपकी मान्यता है। मनुहार करेंगे, उपहार पाएँगे, यही ख्याल है न आपका। अच्छा बताइए कि बादलों में पानी किसने पैदा किया? नहीं साहब, मनुहार करेंगे, उपहार पाएँगे, साष्टांग दंडवत करेंगे और उपहार पाएँगे, आशीर्वाद पाएँगे। आपको यह सब किसने कहा था? साहब! वो बाबा कह रहा था। पागल है बाबा।
मित्रो! क्या करना चाहिए? आपको वास्तविकता के नजदीक आना चाहिए। वास्तविकता के फायदे बताने के बाद मैं आपको आध्यात्मिकता के तरीके बताना चाहूँगा कि आपको क्या करना चाहिए? वास्तविकता के फायदे जानने के बाद यदि आपको काफी मालूम पड़ते हों, तो आप अध्यात्म के नजदीक आइए और अगर ये कम मालूम पड़ते हों तो आप न भी आएँ तो कोई हर्ज नहीं है। हमने तो इससे तीन फायदे उठाए है। पहला फायदा यह आता है कि हमारा भीतर वाला हिस्सा जिसको हम '' अंतःकरण' कहते हैं, इतना शुद्ध और पवित्र हो जाता है कि आदमी को हर समय एक वरदान मिलता रहता है, जिसको हम 'संतोष' कहते हैं।
अध्यात्म किसे कहते हैं? 'साइंस आफ सोल' को अध्यात्म कहते हैं। सोल की साइंस में-आत्मा के विज्ञान में हर चीज भीतर से निकलती है। आप बाहर से ही माँगते हैं। देवताओं से माँगते हैं। मनुहार उपहार, अनुग्रह-उपहार यही आपकी मान्यता है। मनुहार करेंगे, उपहार पाएँगे, यही ख्याल है न आपका। अच्छा बताइए कि बादलों में पानी किसने पैदा किया? नहीं साहब, मनुहार करेंगे, उपहार पाएँगे, साष्टांग दंडवत करेंगे और उपहार पाएँगे, आशीर्वाद पाएँगे। आपको यह सब किसने कहा था? साहब! वो बाबा कह रहा था। पागल है बाबा।
मित्रो! क्या करना चाहिए? आपको वास्तविकता के नजदीक आना चाहिए। वास्तविकता के फायदे बताने के बाद मैं आपको आध्यात्मिकता के तरीके बताना चाहूँगा कि आपको क्या करना चाहिए? वास्तविकता के फायदे जानने के बाद यदि आपको काफी मालूम पड़ते हों, तो आप अध्यात्म के नजदीक आइए और अगर ये कम मालूम पड़ते हों तो आप न भी आएँ तो कोई हर्ज नहीं है। हमने तो इससे तीन फायदे उठाए है। पहला फायदा यह आता है कि हमारा भीतर वाला हिस्सा जिसको हम '' अंतःकरण' कहते हैं, इतना शुद्ध और पवित्र हो जाता है कि आदमी को हर समय एक वरदान मिलता रहता है, जिसको हम 'संतोष' कहते हैं।