Books - देवता हमें क्या दे सकते हैं
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Language: HINDI
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ये देवी-देवता हमें क्या देंगे?
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मित्रो! आप देवताओं से भी वो काम कराना चाहते हैं, जो देवता बेचारे नहीं कर सकते, जो उनके काबू में नहीं है, उनके पास भी नहीं है। क्या काबू में नहीं है? हनुमान जी से आप चाहते हैं कि हमारा ब्याह-शादी हो जाए और हमारे लड़के के बाल-बच्चे हो जाएँ। एक बार हनुमान जी से हमने पूछा कि क्यों साहब! ये आपका डिपार्टमेंट है कि जब किसी की ब्याह-शादी नहीं होती तो आप जाकर ब्याह-शादी कराते हैं। फिर हमने दूसरी बात पूछी कि किसी के बच्चा न हो तो उसको बच्चा पैदा कराने का महकमा भी आपके पास है। हनुमान जी ने जवाब दिया कि आचार्य जी! आपको तो समझ है, आप तो पढे-लिखे आदमी हैं और अच्छी तरह जानते हैं कि जिन कामों में हमारा कोई दखल नहीं है, कोई वश नहीं, उन्हें भला हम किस तरीके से कर सकते हैं? अगर ब्याह-शादी करने लायक हमारे अंदर शऊर होता तो हमारा भी ब्याह हो गया होता। हमारा ब्याह किसी ने नहीं कराया। नाई भी आए, पंडित भी आए। उन्होंने कहा, क्यों साहब आप हमारी लड़की के साथ शादी कर लीजिए। नहीं, हम ब्याह नहीं करते।
हनुमान जी ने कहा, "रामकाज कीन्हें बिना मोहि कहाँ विश्राम ।" रामकाज में लगा रहता हूँ। न कोई खेती-बाड़ी है, न नौकरी है, न धंधा, न घर, न स्कूटर, कुछ भी नहीं हैं हमारे पास। अतः सब चले गए। एक ने भी ब्याह नहीं किया। गुरुजी! आपको तो मालूम ही है कि हमारा किसी ने ब्याह नहीं किया। हाँ हमको मालूम है कि आपका किसी ने ब्याह नहीं किया था। तो अब आप ही बताइए कि बिना ब्याह वालों को हम कैसे मदद कर सकते हैं? फिर हमने पूछा कि शादी-ब्याह नहीं हुआ तो बाल बच्चों की ही मदद कीजिए, क्योंकि ये कहता है कि हमारे तीन लड़कियाँ हैं, एक-दो लड़के और हो जाएँ तो अच्छा है। आप उनकी कुछ सहायता कीजिए। हनुमान जी ने कहा कि ये हमारा काम नहीं है, आप हमें बेकार क्यों तंग करते हैं? हम लड़के इनके पास कैसे भेज सकते हैं? जब हमारे ही लड़के नहीं हैं, तो हम इनकी कैसे मदद करें? अगर हम अपने लड़के पैदा कर लेते तो आपके भी कर देते। भगवान शिवजी के मास ट्राई करते हैं और कहते-महादेव जी! हमारा पक्का मकान बना दें। महादेव जी तो वहाँ रहते हैं मरघट में। इनके पास अगर मकान बनाने लायक पैसे होते, तो अपने लिए क्यों नहीं बनवा लिया होता। कपड़े तो पहनने को हैं नहीं, फिर मकान कैसे बनवाएँ।
हनुमान जी ने कहा, "रामकाज कीन्हें बिना मोहि कहाँ विश्राम ।" रामकाज में लगा रहता हूँ। न कोई खेती-बाड़ी है, न नौकरी है, न धंधा, न घर, न स्कूटर, कुछ भी नहीं हैं हमारे पास। अतः सब चले गए। एक ने भी ब्याह नहीं किया। गुरुजी! आपको तो मालूम ही है कि हमारा किसी ने ब्याह नहीं किया। हाँ हमको मालूम है कि आपका किसी ने ब्याह नहीं किया था। तो अब आप ही बताइए कि बिना ब्याह वालों को हम कैसे मदद कर सकते हैं? फिर हमने पूछा कि शादी-ब्याह नहीं हुआ तो बाल बच्चों की ही मदद कीजिए, क्योंकि ये कहता है कि हमारे तीन लड़कियाँ हैं, एक-दो लड़के और हो जाएँ तो अच्छा है। आप उनकी कुछ सहायता कीजिए। हनुमान जी ने कहा कि ये हमारा काम नहीं है, आप हमें बेकार क्यों तंग करते हैं? हम लड़के इनके पास कैसे भेज सकते हैं? जब हमारे ही लड़के नहीं हैं, तो हम इनकी कैसे मदद करें? अगर हम अपने लड़के पैदा कर लेते तो आपके भी कर देते। भगवान शिवजी के मास ट्राई करते हैं और कहते-महादेव जी! हमारा पक्का मकान बना दें। महादेव जी तो वहाँ रहते हैं मरघट में। इनके पास अगर मकान बनाने लायक पैसे होते, तो अपने लिए क्यों नहीं बनवा लिया होता। कपड़े तो पहनने को हैं नहीं, फिर मकान कैसे बनवाएँ।