Books - देवता हमें क्या दे सकते हैं
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Language: HINDI
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अध्यात्म-एक नकद धर्म
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मित्रो! आप जमीन पर चलिए, हवा में तैरना बंद कीजिए। देवलोक जाना बंद कीजिए। सिद्धियों का ख्वाब देखना बंद कीजिए। आप जमीन पर आइए और जमीन पर चलना शुरू कीजिए, ताकि वो अध्यात्म मिल सके जो कि हमारे लिए संभव है, स्वाभाविक है, जो कि हमको मिल सकता है, जिससे आप फायदा उठा सकते हैं। ऐसा अध्यात्म लेने में आपको हर्ज क्या है! हवाई उड़ान आपको क्या दे सकती है! आपको हवा ही मिलनी चाहिए, इससे आपको क्या फायदा! मरने के बाद हमको मुक्ति मिलनी चाहिए स्वर्ग मिलना चाहिए, मरने के बाद क्यों, यदि इसी जीवन में, इसी जन्म में और अभी स्वर्ग और मुक्ति मिल जाए तो क्या हर्ज है आपको! नहीं साहब! कोई हर्ज नहीं। तो फिर आप क्यों कहते हैं कि भगवान मरने के बाद मिले। अभी क्यों नहीं मिले? नहीं साहब! भगवान तो धर्मलोक में रहता है, बैकुंठ लोक में रहता है। चलिए हम आपको दूसरा फायदा करा दें और भगवान से आपको अभी मिला दें तो कोई हर्ज हैं आपको? साहब! वो तो और भी अच्छा है, आप वहीं क्यों नहीं करते?
मित्रो! आप नकद धर्म को ग्रहण कीजिए और उसकी कीमत चुकाइए। नकद धर्म कैसा होता है? जो ध्यान हम आपको सिखाना चाहते हैं, उसमें तीन सिद्धियाँ हैं। चौथी सिद्धि तो उसका ब्याज है। मूलधन वह होता है, जिसे बैंक में जमा कर देते हैं। ब्याज क्या होता है? बेटे, ब्याज वह धन होता है, जो आपके जमा पूँजी पर आठ-दस प्रतिशत के हिसाब से अतिरिक्त रूप में मिलता है। अपना रुपया हमारे बैंक में जमा कर जाइए, हम आपको और भी नफा दे देंगे। क्या नफा दे देंगे? हम आपको ब्याज दे देंगे। ब्याज हमारा रुपया नहीं! हाँ ब्याज आपका तो नहीं है, पर हम आपको दे देंगे। कौन सी वाली ब्याज है, जो आप चाहते हैं, वह मूलधन नहीं है, ध्यान रखें। अध्यात्म नकद धर्मं है, मूलधन है, ऋद्धि-सिद्धियाँ उसकी ब्याज हैं।
साथियो! जिस तरह का अध्यात्म हम आपको सिखाना चाहते है, उसके लिए हम आपको तरीके बताएँगे। उसकी साधना सिखाने का ही हमारा उद्देश्य है। उसके लिए ही आपको बुलाना पड़ता है। आप न सीखें, न समझें को फिर हम क्या कर सकते हैं! आप पर तो गलतफहमियाँ हावी होती जा रहीं हैं। इन गलतफहमियों को जब तक न निकालूँ, तब तक वास्तविकता आपको कैसे बताऊँ? आप पर तो यही गलतफहमियाँ हावी हो रही हैं कि मंत्र जपो, धन आएगा, आपको वहाँ बैठे ही मूलधन चाहिए। अगर आप ऐसे ही उलझे रहेंगे तो मैं आपको सच्चा अध्यात्म कैसे बताऊँगा? नहीं गुरुजी! आप ऐसा मंत्र बताइए जिससे पैसा मिल जाए, बेटा मिल जाए। चलो अभी बता देते है। क्या मंत्र? बस वही है जो बाबा बता गया था और आपसे मोटी दक्षिणा ले गया था। चलो हम भी वही बता देते हैं। क्या है? वही-"ह्लीं श्रीं क्लीं चामुण्डये बिच्चैः" बेटे, इससे तो बहुत रुपया आया होगा? हाँ गुरुजी! हमने जप किया था। अच्छा तो अभी और झक मार और 'चामुण्डये बिच्चैः' जपता रहा दुष्ट लूट का माल मारने के लिए खड़ा है और कहता है कि मंत्र का चमत्कार दिखाइए।
मित्रो! आप नकद धर्म को ग्रहण कीजिए और उसकी कीमत चुकाइए। नकद धर्म कैसा होता है? जो ध्यान हम आपको सिखाना चाहते हैं, उसमें तीन सिद्धियाँ हैं। चौथी सिद्धि तो उसका ब्याज है। मूलधन वह होता है, जिसे बैंक में जमा कर देते हैं। ब्याज क्या होता है? बेटे, ब्याज वह धन होता है, जो आपके जमा पूँजी पर आठ-दस प्रतिशत के हिसाब से अतिरिक्त रूप में मिलता है। अपना रुपया हमारे बैंक में जमा कर जाइए, हम आपको और भी नफा दे देंगे। क्या नफा दे देंगे? हम आपको ब्याज दे देंगे। ब्याज हमारा रुपया नहीं! हाँ ब्याज आपका तो नहीं है, पर हम आपको दे देंगे। कौन सी वाली ब्याज है, जो आप चाहते हैं, वह मूलधन नहीं है, ध्यान रखें। अध्यात्म नकद धर्मं है, मूलधन है, ऋद्धि-सिद्धियाँ उसकी ब्याज हैं।
साथियो! जिस तरह का अध्यात्म हम आपको सिखाना चाहते है, उसके लिए हम आपको तरीके बताएँगे। उसकी साधना सिखाने का ही हमारा उद्देश्य है। उसके लिए ही आपको बुलाना पड़ता है। आप न सीखें, न समझें को फिर हम क्या कर सकते हैं! आप पर तो गलतफहमियाँ हावी होती जा रहीं हैं। इन गलतफहमियों को जब तक न निकालूँ, तब तक वास्तविकता आपको कैसे बताऊँ? आप पर तो यही गलतफहमियाँ हावी हो रही हैं कि मंत्र जपो, धन आएगा, आपको वहाँ बैठे ही मूलधन चाहिए। अगर आप ऐसे ही उलझे रहेंगे तो मैं आपको सच्चा अध्यात्म कैसे बताऊँगा? नहीं गुरुजी! आप ऐसा मंत्र बताइए जिससे पैसा मिल जाए, बेटा मिल जाए। चलो अभी बता देते है। क्या मंत्र? बस वही है जो बाबा बता गया था और आपसे मोटी दक्षिणा ले गया था। चलो हम भी वही बता देते हैं। क्या है? वही-"ह्लीं श्रीं क्लीं चामुण्डये बिच्चैः" बेटे, इससे तो बहुत रुपया आया होगा? हाँ गुरुजी! हमने जप किया था। अच्छा तो अभी और झक मार और 'चामुण्डये बिच्चैः' जपता रहा दुष्ट लूट का माल मारने के लिए खड़ा है और कहता है कि मंत्र का चमत्कार दिखाइए।