Books - देवता हमें क्या दे सकते हैं
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Language: HINDI
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पहले साधना तो हो
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माला और मनोकामना का भी सिद्धांत है और सही होता है तो फिर मैं एक चीज और शामिल करना चाहूँगा। क्या चाहेंगे? माला-एक। माला से व्यक्तित्व का विकास। व्यक्तित्व के विकास के फलस्वरूप साधना दो। यों है बेटे इसका चक्र। आप समझ गए यह एक चक्र है। कौन सा? इसमें तीन चीजें शामिल हैं, साधना एक। साधना सफल है, सही है या गलत है, इससे व्यक्तित्व का विकास जुड़ा हुआ है। व्यक्तित्व के विकास के बाद में वो करना, जिसको हम ऋद्धियाँ कहते हैं, सिद्धियाँ कहते हैं, सफलता कहते हैं। नहीं साहब! भजन करने से सिद्धियाँ मिलनी चाहिए। नहीं बेटे, आप गलत बात कहते हैं। भजन करने से सिद्धियाँ नहीं मिल जातीं। नहीं साहब! हम को यही ख्याल करते हैं। आप गलत ख्याल करते हैं। मैं आपसे प्रार्थना करता हूँ कि आप इस गलत ख्याल को निकाल दें। नहीं साहब, हम तो नहीं निकाल सकते। जप करने से पैसा मिलता है। नहीं बेटे, जप करने से पैसा मिलता तो मंदिरों में-जो हिंदुस्तान में एक लाख से ऊपर मंदिर ऐसे हैं, जहाँ पुजारी-नौकर रहते है, वे मालामाल हो गए होते। आप एक लाख पुजारियों पर आयोग बिठा दीजिए। सर्वे कीजिए और रिपोर्ट मँगाइए इसकी। फिर देखिए क्या हाल है? इन पुजारियों में हर आदमी मामूली मजदूर को अपेक्षा, एल० डी० सी० क्लर्क की अपेक्षा, प्राइमरी स्कूल के मास्टर की अपेक्षा गई-बीती हैसियत में है।
मित्रो! जो व्यक्ति सारे दिन पल्लेदारी ढोते हैं और रिक्शा चलाते हैं, उनको एक तराजू में रखिए और पुजारी जी को एक तराजू में रखिए। देखिए साहब, क्या बात है? आप सिनेमा भी देखते हैं, सिगरेट भी पीते हैं, दिन में छह कप चाय भी पी जाते हैं। आप कौन हैं? आप रिक्शे वाले हैं और आप? पुजारी जी हैं। अरे सिनेमा देखते हैं? नहीं साहब सिनेमा हमारे भाग्य में कहाँ से आया? जाने का मन होता है? मन तो होता है, पर हम कैसे जा सकते हैं? आपकी ये बात वो बात सब तराजू में तौलते हैं, तो मालूम पड़ता है न रिक्शे वाला फायदे में है और न ये पुजारी जी। क्या बात है? आप समझते नहीं क्या? गलतफहमी को क्यों दबाए बैठे है। गलतफहमी को आप हटा दीजिए। मैं आपसे प्रार्थना करूँगा कि अगर आपके मन में यह गलतफहमी है कि भजन और माला के फलस्वरूप सिद्धि मिल जाएगी तो आप इसे निकाल दीजिए।
तो क्या करें? इसमें एक चीज आप और शामिल कर लें तो बात सही हो जाएगी। क्या शामिल कर ले? स्कूल में पढ़ाई करें और पढ़ाई के बाद नौकरी करें। नहीं साहब, पढ़ाई के साथ ही नौकरी मिल जाए तो अच्छा है। अच्छा बेटे तू स्कूल जाएगा? हाँ साहब, लेकिन पढ़ाई करनी पड़ेगी। गुरुजी! मुझे यह नहीं पता था। अच्छा तो अब हम बता देते हैं, कलम पकड़ और पी-एच० डी० हो जा। लेकिन एक कमी है। क्या? कलम पकड़ने के साथ साथ पढ़ाई भी करनी पड़ेगी। गुरुजी! हम तो यह जानते थे कि जिसके हाथ में कलम होती है, वही पी-एच० डी० हो जाता है। बेटे, कलम से पी-एच० डी० होती है, तेरी यह बात सही है, पर हमारी भी एक बात क्यों शामिल नहीं करता कि कलम के साथ-साथ में अध्ययन भी करना और लिखना भी चाहिए। थीसिस लिखने की कीमत होती है और होनी भी चाहिए।
मित्रो! जो व्यक्ति सारे दिन पल्लेदारी ढोते हैं और रिक्शा चलाते हैं, उनको एक तराजू में रखिए और पुजारी जी को एक तराजू में रखिए। देखिए साहब, क्या बात है? आप सिनेमा भी देखते हैं, सिगरेट भी पीते हैं, दिन में छह कप चाय भी पी जाते हैं। आप कौन हैं? आप रिक्शे वाले हैं और आप? पुजारी जी हैं। अरे सिनेमा देखते हैं? नहीं साहब सिनेमा हमारे भाग्य में कहाँ से आया? जाने का मन होता है? मन तो होता है, पर हम कैसे जा सकते हैं? आपकी ये बात वो बात सब तराजू में तौलते हैं, तो मालूम पड़ता है न रिक्शे वाला फायदे में है और न ये पुजारी जी। क्या बात है? आप समझते नहीं क्या? गलतफहमी को क्यों दबाए बैठे है। गलतफहमी को आप हटा दीजिए। मैं आपसे प्रार्थना करूँगा कि अगर आपके मन में यह गलतफहमी है कि भजन और माला के फलस्वरूप सिद्धि मिल जाएगी तो आप इसे निकाल दीजिए।
तो क्या करें? इसमें एक चीज आप और शामिल कर लें तो बात सही हो जाएगी। क्या शामिल कर ले? स्कूल में पढ़ाई करें और पढ़ाई के बाद नौकरी करें। नहीं साहब, पढ़ाई के साथ ही नौकरी मिल जाए तो अच्छा है। अच्छा बेटे तू स्कूल जाएगा? हाँ साहब, लेकिन पढ़ाई करनी पड़ेगी। गुरुजी! मुझे यह नहीं पता था। अच्छा तो अब हम बता देते हैं, कलम पकड़ और पी-एच० डी० हो जा। लेकिन एक कमी है। क्या? कलम पकड़ने के साथ साथ पढ़ाई भी करनी पड़ेगी। गुरुजी! हम तो यह जानते थे कि जिसके हाथ में कलम होती है, वही पी-एच० डी० हो जाता है। बेटे, कलम से पी-एच० डी० होती है, तेरी यह बात सही है, पर हमारी भी एक बात क्यों शामिल नहीं करता कि कलम के साथ-साथ में अध्ययन भी करना और लिखना भी चाहिए। थीसिस लिखने की कीमत होती है और होनी भी चाहिए।