Books - गीत माला भाग १५
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सावधान युग बदल रहा है
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सावधान युग बदल रहा है
सावधान युग बदल रहा है, गूँजी नई ऋचायें।
स्वयं नया इतिहास लिखेंगी, भारत की ललनायें॥
रमणी भोग्या और कामिनी, रही बहुत दिन नारी।
किन्तु आज फिर दहक उठी है, जौहर की चिनगारी॥
बदलेगी परिवेश विश्व का, जागृत अग्नि शिखायें॥
देख रहे निर्वसन द्रौपदी, मंच गली चौराहे
भटक रहे अनगिनते भक्षक, नर पिशाच अनचाहे॥
निष्प्रभ किन्तु भीम अर्जुन, सब कुंठित हुई भुजायें॥
सोने की कारा में बन्दी, सत्य न्याय की सीता।
असुर राज नर मेध रचाये, धर प्रोक्षणी प्रणीता॥
रामदूत हो गये अगोचर, पीड़ा किसे सुनायें॥
रक्षक जहाँ कन्हैया बनकर, रटते राधे राधे।
वहाँ पद्मिनी किसके कर में, पावन राखी बाँधे॥
मंदिर में भी पेट प्रणय से, पनप रही कुण्ठायें॥
जाग उठी है मातृशक्ति अब, मुद्रा सौम्य सरल है।
किन्तु छिपी उसके खप्पर में,प्रलय कर हलचल है॥
जिसे देख कम्पित हो उठते, त्रिभुवन दशों दिशायें॥
सावधान युग बदल रहा है, गूँजी नई ऋचायें।
स्वयं नया इतिहास लिखेंगी, भारत की ललनायें॥
रमणी भोग्या और कामिनी, रही बहुत दिन नारी।
किन्तु आज फिर दहक उठी है, जौहर की चिनगारी॥
बदलेगी परिवेश विश्व का, जागृत अग्नि शिखायें॥
देख रहे निर्वसन द्रौपदी, मंच गली चौराहे
भटक रहे अनगिनते भक्षक, नर पिशाच अनचाहे॥
निष्प्रभ किन्तु भीम अर्जुन, सब कुंठित हुई भुजायें॥
सोने की कारा में बन्दी, सत्य न्याय की सीता।
असुर राज नर मेध रचाये, धर प्रोक्षणी प्रणीता॥
रामदूत हो गये अगोचर, पीड़ा किसे सुनायें॥
रक्षक जहाँ कन्हैया बनकर, रटते राधे राधे।
वहाँ पद्मिनी किसके कर में, पावन राखी बाँधे॥
मंदिर में भी पेट प्रणय से, पनप रही कुण्ठायें॥
जाग उठी है मातृशक्ति अब, मुद्रा सौम्य सरल है।
किन्तु छिपी उसके खप्पर में,प्रलय कर हलचल है॥
जिसे देख कम्पित हो उठते, त्रिभुवन दशों दिशायें॥