Books - गीत माला भाग १५
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सारे जग के जीवन प्राण
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सारे जग के जीवन प्राण
सारे जग के जीवन प्राण, यज्ञ पिता है श्री भगवान।
करें सदा सबका कल्याण, ज्योति स्वरूप यज्ञ भगवान॥
कष्ट निवारण करने वाले, रोग शोक दुःख हरने वाले।
तन- मन निर्मल करने वाले, ज्ञान सुधा बरसाने वाले॥
करते हैं सद्बुद्धि प्रदान, देते सबको उत्तम ज्ञान॥
नित्य प्रकाश करना सिखलाते, अंधकार हरना सिखलाते।
सबका हित करना सिखलाते, नित्य ऊपर उठना सिखलाते॥
करते नव जीवन निर्माण, देते सबको शक्ति महान॥
आओ यज्ञ कर्म अपनायें, यज्ञ पिता को शीश नवायें।
घर- घर में यह ज्योति जलायें, जन- जन में यह बात बतायें॥
यही आज की क्रांति महान, इससे मानव का उत्थान॥
सारे जग के जीवन प्राण, यज्ञ पिता है श्री भगवान।
करें सदा सबका कल्याण, ज्योति स्वरूप यज्ञ भगवान॥
कष्ट निवारण करने वाले, रोग शोक दुःख हरने वाले।
तन- मन निर्मल करने वाले, ज्ञान सुधा बरसाने वाले॥
करते हैं सद्बुद्धि प्रदान, देते सबको उत्तम ज्ञान॥
नित्य प्रकाश करना सिखलाते, अंधकार हरना सिखलाते।
सबका हित करना सिखलाते, नित्य ऊपर उठना सिखलाते॥
करते नव जीवन निर्माण, देते सबको शक्ति महान॥
आओ यज्ञ कर्म अपनायें, यज्ञ पिता को शीश नवायें।
घर- घर में यह ज्योति जलायें, जन- जन में यह बात बतायें॥
यही आज की क्रांति महान, इससे मानव का उत्थान॥