Books - गीत माला भाग १५
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समता मैत्री भाई चारा
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समता मैत्री भाई चारा
समता मैत्री भाई चारा, है जिनका आधार।
प्यार बाँटता है दुनियाँ को, गायत्री परिवार॥
अणुव्रत जलती जिसके दिल में, प्यार की ज्योति।
निस्वार्थ लुटाता माँ की तरह, जो ममता के मोती॥
जिसके लिए है कुटुम्ब समान, ये सारा संसार॥
नित्य आराधना,मौन साधना, जो मनुष्य करता है।
दुनियाँ के दुःख दूर हो बस, यही कामना करता है॥
धर्म ध्वजा को हाथ में, वेदों का करता प्रचार॥
समदर्शी और त्याग तपस्वी ये है इंसा।
दया भाव और परमार्थ ही, जिसकी है पहचान॥
निज स्वार्थ ही कामना है, जिसके लिए बेकार॥
समता मैत्री भाई चारा, है जिनका आधार।
प्यार बाँटता है दुनियाँ को, गायत्री परिवार॥
अणुव्रत जलती जिसके दिल में, प्यार की ज्योति।
निस्वार्थ लुटाता माँ की तरह, जो ममता के मोती॥
जिसके लिए है कुटुम्ब समान, ये सारा संसार॥
नित्य आराधना,मौन साधना, जो मनुष्य करता है।
दुनियाँ के दुःख दूर हो बस, यही कामना करता है॥
धर्म ध्वजा को हाथ में, वेदों का करता प्रचार॥
समदर्शी और त्याग तपस्वी ये है इंसा।
दया भाव और परमार्थ ही, जिसकी है पहचान॥
निज स्वार्थ ही कामना है, जिसके लिए बेकार॥