Books - तप और योग के मार्मिक पक्ष
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Language: HINDI
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योग से सिद्धि
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समाधि का एक वर्णन आता है। पंजाब में एक महात्मा थे, संत हरिदास जी। उस जमाने में पंजाब के शासक महाराजा रणजीत सिंह थे। कोई एक रेजीडेंट आया और उनसे कहा कि मैंने सुना है, आपके यहाँ कोई योगी समाधि ले लेते हैं, मर जाते हैं और फिर जिंदा हो जाते हैं। हाँ साहब! बात तो ठीक है, हम आपको दिखा सकते हैं। उन्होंने महात्मा स्वामी हरिदास जी को बुलाया और कहा कि ये मेरठ से आए हैं, अँगरेज हैं और यह देखना चाहते हैं कि क्या मरा हुआ आदमी जिंदा हो सकता है? स्वामी जी ने कहा कि हम दिखा सकते हैं। अँगरेज ने कहा कि अगर ये चालाकी करते हैं तो हम पकड़ लेंगे। ठीक है, आप चालाकी पकड़ लेना। निश्चित हुआ कि स्वामी हरिदास छह महीने के लिए समाधि लेंगे। जमीन में गड्ढा बना दिया गया। उसमें स्वामी जी को बैठा दिया और ऊपर से बंद कर दिया गया। अँगरेज रेजीडेंट ने कहा कि इसे तो कोई भी खोल लेगा, हवा पहुँचा देगा, पानी पहुँचा देगा, भोजन पहुँचा देगा, चालाकी हो सकती है। उन्होंने दो इंतजाम किए। एक तो पहरा बैठा दिया और दूसरा उसी जगह पर उसी समय गेहूँ बो दिया, ताकि जब गड्ढा खोदा जाएगा तो गेहूँ पहले उखाड़े जाएँगे ।
समाधि के ऊपर मिट्टी बिछाई गई और गेहूँ बो दिया गया। ठीक छह महीने बाद उनको खोला गया। खोलने के बाद में स्वामी जी अचेत पाए गए और जब ठीक टाइम आया तो उन्होंने एक लंबी साँस खींची और फिर जिंदा हो गए ।
समाधि के ऊपर मिट्टी बिछाई गई और गेहूँ बो दिया गया। ठीक छह महीने बाद उनको खोला गया। खोलने के बाद में स्वामी जी अचेत पाए गए और जब ठीक टाइम आया तो उन्होंने एक लंबी साँस खींची और फिर जिंदा हो गए ।