Books - तप और योग के मार्मिक पक्ष
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Language: HINDI
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मन को काबू करने के उपाय
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महाराज जी! वैराग्य क्या होता है? बेटे! वैराग्य -यह होता है कि जिन चीजों में मन के भागने की बहुत आदत है, उन आदतों से उसको विरक्त कर दिया जाए। आपको हमने ध्यान का पहला लक्षण यह बताया था कि आप कृपा करके जब तक यहाँ हैं, अपने घर की आदतों से छुटकारा पा लीजिए उन आदतों पर विचार करना छोड़ दीजिए। कई योगाभ्यासों में ऐसे भी नियम हैं कि अख़बार पढ़ना बंद कर देते हैं। चिट्ठी? पत्री के लिए मना कर देते हैं और डालना ही है तो गुरुजी के नाम डालिए। कोई बहुत आवश्यक बात होगी तो वे हमें बता देंगे। इससे क्या फायदा होगा? बेटे, यहाँ जो आप ध्यानयोग के लिए आए थे, जो आध्यात्मिक लाभ उठाने के लिए आए थे, उससे आपका ध्यान -बार बार वहाँ जाएगा, बार-बार वहीं बना रहेगा। आपको अपने अंतरंग जीवन में प्रवेश करने का जो अभ्यास हम यहाँ लाना चाहते थे, इससे आपको उसमें सफलता कभी नहीं मिल सकती। हमने आपको उस दिन भी कहा था कि आप अपनी सांसारिक समस्याओं को लिखकर हमारे हवाले कर दें और फिर आप मिशन पर जाएँ। नहीं साहब! हमारी दुकान का बहुत नुकसान हो जाएगा। तो बेटे, फिर दो ही उपाय हैं-या तो तू दुकान पर चला जा या फिर नुकसान उठाना बरदाश्त कर या फिर हमारे ऊपर छोड़ दे। गुरुजी! हम महीने भर यहाँ रहेंगे तो हमारी दुकान का नुकसान होगा। हम सँभाल लेंगे और हमारे ऊपर विश्वास नहीं होता तो नौकर दें। नहीं महाराज जी, इन तीनों में से मैं कोई भी काम नहीं करूँगा। तो फिर क्या करेगा? चिंता करूँगा। बेटे, चिंता करेगा तो यहाँ से भी मारा जाएगा और वहाँ से भी मारा जाएगा ।