Books - यज्ञ का ज्ञान और विज्ञान
Media: TEXT
Language: HINDI
Language: HINDI
भगवान आया कि नहीं आचरण में
Listen online
View page note
Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
मित्रो! यज्ञीय जीवन इस तरह का होना चाहिए यज्ञीय जीवन की यह परंपरा आपके व्यक्तिगत जीवन में हो तो मैं आपको संत कहूँगा और ऋषि कहूँगा। आप भजन कम करते हैं तो करें, कोई खास बात नहीं है। भजन-पूजन नहीं करते, तो बेटे! मैं आपसे भजन-पूजन की बहस नहीं करता। मैं तो यह कहता हूँ कि ''Work is Worship'' अर्थात काम ही पूजा है। आपको याद है कि नहीं है, मैं आदमी की पूजा को माला से नहीं गिनना चाहता, वरन मैं यह देखना चाहता हूँ कि भगवान आपके जीवन में आ गया कि नहीं? आपके आचरण में आ गया कि नहीं? आपके आचरण में अगर भगवान नहीं है, आपके मन में अगर भगवान नहीं है, चिंतन में भगवान, नहीं है, तो आपका माला वाला भगवान, पूजा की कोठरी वाला भगवान और चौकी पर बैठा हुआ भगवान किस काम का हो सकता है! मैं नहीं जानता कि उसका भी कोई उपयोग होगा कि नहीं होगा। ऐसा भगवान शायद मन बहलाने के काम भी आता हो; क्योंकि आदमी की तबीयत बहलाना भी एक बात है। थका हुआ आदमी हैरान आदमी, घर से परेशान आदमी कई बार नशा पी करके भी अपना गम गलत कर लेता है। आपकी आत्मा को भी गम गलत करने के लिए शायद तीन मालाएँ काम दे जाएँ ताकि आप आत्मा की भूख और आत्मा की पुकार को झुठला सकें। इसलिए संभव है कि आपका तीन माला का जप करना गम गलत करने के लिए किसी काम आ सकता हो, पर वास्तव में कुछ काम नहीं आ सकता। माला आपकी तभी काम आएगी, भजन आपका तभी काम आएगा, अग्निहोत्र आपका तभी काम आएगा, जब अग्निहोत्र के सारे के सारे सिद्धांतों को किसी न किसी तरह से पूरा न सही, कम सही, आपके-जीवन में इनका समावेश हो। हमारा पुरोहित यही छह शिक्षण देता है। यदि यज्ञ करने वाले अपने जीवन में इन छह शिक्षाओं को धारण कर लें और यज्ञ कराने वाले, यज्ञ की शिक्षा देने वाले, यज्ञ का प्रकाश देने वाले, यज्ञ का सिद्धांत और उसकी फिलॉसफी का विस्तार करने वाले इन्हीं सिद्धांतों का विस्तार करने लगें तो मैं आपसे कहता हूँ कि दुनिया में वे सारी परिस्थितियाँ पैदा हो जाएँगी, जिनके लिए हम सपने देखते हैं।