Books - यज्ञ का ज्ञान और विज्ञान
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Language: HINDI
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यज्ञाग्नि हमें समानता की ओर ले जाती है
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मित्रो! यही देवत्व है। मनुष्य के भीतर देवत्व का उदय ही हमारा सपना है। जो हम आपसे कह रहे हैं, वही देवत्व के लक्षण हैं। सक्रियता देवत्व का लक्षण है। आदमी का ज्ञानवान होना देवत्व का लक्षण है। आदमी का सिर और आदमी का दिमाग ऊँचा रहना, ये देवत्व के लक्षण हैं। ज्ञानवान आदमी सबको अपने समान बना ले, यह देवत्व के लक्षण हैं। समानता के सिद्धांतों को ग्रहण करने की बात देवत्व के लक्षण हैं। आप समझते नहीं हैं, जाति के आधार पर, लिंग के आधार पर, धन के आधार पर जो असमानता फैली हुई है, यह कितनी बुराइयों की जड़ है। लिंग के आधार पर असमानता कि यह स्त्री है और यह पुरुष है। मूँछें हैं तो पुरुष है और नहीं हैं तो नारी है, तो बेटे! हम क्या कर सकते हैं। आप में से ढेरों आदमियों के मूँछें नहीं हैं। हम भी औरत हैं, तो बेटे! इससे आपका क्या मतलब है? आदमी-आदमी एक से होते है। अत: उनका अधिकार भी एक-सा होना चाहिए। आदमी-आदमी के हुक्म, आदमी-आदमी की मर्यादा और आदमी-आदमी का पराक्रम एक जैसा होना चाहिए। मित्रो! यह क्या है? अग्नि की, यज्ञ की शिक्षा है। अग्नि बेटे! साम्यवादी-है, और ये सब कम्यूनिस्ट हैं।नहीं साहब! कम्युनिस्ट नहीं हैं, अध्यात्मवादी हैं। चलिए मैंने यह भी मान लिया कि समानता के मामले में अध्यात्मवादी और कम्युनिस्ट में कोई खास फर्क नहीं है। वहाँ भी यह कहता है आत्मवत्सर्वभूतेधु अर्थात सबको अपने समान मानकर चलिए। हर आदमी को अपनी बराबरी का दरजा दीजिए। बेटे! ये समानता के सिद्धांत हैं। समानता चाहे आध्यात्मिक हो, चाहे भौतिक हो, चाहे साम्यवादियों की समानता हो, चाहे अध्यात्मवादियों की समानता हो; दोनों ही समानताएँ हमें वहाँ ले जाती हैं, जहाँ हमारी यज्ञाग्नि ले जाती है। जातिगत भिन्नताएँ लिंगगत भिन्नताएँ धनगत भिन्नताएँ ऊँच-नीच की भावनाएँ जहाँ आ जाती हैं, वहाँ हमारा अध्यात्म मना करता है और हमारा पुरोहित मना करता है। ये मान्यताएँ वास्तविक नहीं हैं, अवास्तविक हैं। अनास्था वाली ये मान्यताएँ आध्यात्मिक नहीं हो सकतीं।