Books - यज्ञ का ज्ञान और विज्ञान
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Language: HINDI
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हमारा लक्ष्य ऊँचा चलने का हो
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मित्रो! यज्ञाग्नि की चार शिक्षाएँ और रह जाती हैं। हम इन छह शिक्षाओं को ही दुनिया में फैला दें तो बहुत अच्छा है। उन छह में से तीसरी बात क्या है? तीसरी बात यह है कि यज्ञाग्नि का, आग का सिर हमेशा ऊँचा रहता है। इसका क्या मतलब है? इसका मतलब यह है कि आप चाहे जितना दबाव डाल दीजिए आग का सिर नीचा नहीं होगा। आप दबाव डालकर देख लीजिए। चाहे आप दियासलाई जला लीजिए लकड़ी जला लीजिए चाहे आप दीया जला लीजिए और यह कोशिश कीजिए कि हम इसको पलट देंगे। आप पलट दीजिए दबाव डाल दीजिए लेकिन अग्नि की लौ पलटकर भी ऊपर को उठेगी। नहीं साहब! लौ को नीचे जला देंगे। नहीं बेटे! वेल्डिंग मशीन द्वारा भी बहुत ज्यादा प्रेशर देंगे तो थोड़ी देर तक वह नीचे जा सकती है, लेकिन जैसे ही प्रेशर कम होगा, लौ फिर ऊपर को जलने लगेगी। आग का स्वभाव ऊपर की ओर चलने का है, नीचे की ओर का नहीं। हमारा मस्तिष्क हमारा दिमाग और हमारा जीवन नीचे की तरफ चलने का नहीं होना चाहिए वरन ऊँचे की ओर यज्ञ का ज्ञान और विज्ञान चलने का होना चाहिए। नीचे की तरफ बहना पानी का काम है। नीचे की तरफ गिरना ढेले का काम है। आप ढेले नहीं हैं और आप पानी नहीं हैं।