Magazine - Year 1973 - Version 2
Media: TEXT
Language: HINDI
Language: HINDI
(कहानी)
Listen online
View page note
Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
वर्षों पूर्व की बात है। अमेरीका में सर विलियम ओसलर नेयेल विश्वविद्यालय के छात्रों को भाषण देते समय चिंता दूर करने का एक अनुभवपूर्ण उपाय बताया— “मेरी प्रसन्नता और उत्तम स्वास्थ्य का रहस्य यह है कि मैं दिन के कमरे में बंद रहा हूँ।” सबने उत्सुकता से पूछा— “दिन के कमरे में बंद रहने से आपका क्या मतलब है?” उन्होंने अपना अभिप्राय स्पष्ट करते हुए उत्तर दिया— “दिन के कमरे में बंद रहने का मतलब स्पष्ट है, प्रत्येक दिन को सुबह से सायंकाल तक अच्छे-से-अच्छे तरीके से व्यतीत करने का प्रयास करना। उसमें उचित श्रम, कर्त्तव्यपालन और मनोरंजन का ध्यान रखना और अधिकाधिक आनंद मनाना। यही एक दिन का कमरा है। मैं अपने आपको इसी में बंद रखता हूँ। एक-एक दिन इस प्रकार सुनियोजित ढंग से व्यतीत होते-होते मेरे जीवन के बहुत से वर्ष बड़े ही सुख-शांतिमय ढंग से गुजरे हैं। मैं चाहता हूँ कि आप भी दिन की परिधि में बंद रहना सीखें। अपने मस्तिष्क के शेष कमरों को बंद रखें, जिनमें आपके जीवन की बहुत-सी पुरानी कटु अनुभूतियाँ, दुःखद बातें और नाना प्रकार की चुभने वाली स्मृतियाँ दबी पड़ी हैं। आप इन अनुभूतियों को किवाड़ों में बंद कर दीजिए। भूतकाल की दुःखभरी संचित पीड़ा, वेदना और हाहाकार की काली परछाई अपने मुस्कराते हुए वर्त्तमान जीवन पर मत जाने दीजिए। इसी प्रकार भविष्य के लिए भय और चिंताओं से भी अपने को मुक्त कीजिए और केवल आज को ही सुंदर बनाने का संकल्प कीजिए।
“वर्त्तमान ही हमारा है। हमें तो पहले आज की परवाह करनी चाहिए। यह सुंदर-सुहावना आज। यह उल्लासपूर्ण आज ही हमारी अमूल्य निधि है। यह आज ही हमारे हाथ में है। यह हमारा साथी है। इस आज की ही प्रतिष्ठा कीजिए। आज के साथ खूब खेलिए, कूदिए, मस्त रहिए और इसे अधिकाधिक उत्साहपूर्ण और उल्लासपूर्ण बनाइए।”
“वर्त्तमान ही हमारा है। हमें तो पहले आज की परवाह करनी चाहिए। यह सुंदर-सुहावना आज। यह उल्लासपूर्ण आज ही हमारी अमूल्य निधि है। यह आज ही हमारे हाथ में है। यह हमारा साथी है। इस आज की ही प्रतिष्ठा कीजिए। आज के साथ खूब खेलिए, कूदिए, मस्त रहिए और इसे अधिकाधिक उत्साहपूर्ण और उल्लासपूर्ण बनाइए।”