Magazine - Year 1986 - Version 2
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Language: HINDI
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विचारणा की पारसमणि
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सृष्टा ने जन्म के समय ही एक पारसमणि तुम्हें प्रदान की है और वह ऐसी है, जिसके आजीवन छिनने या गुमने का कोई खतरा नहीं है।
इस पारसमणि का नाम है— विचारणा। जो मस्तिष्क की बहुमूल्य पिटारी में इस प्रकार सुरक्षित रखी रहती है, जहाँ किसी चोर की पहुँच न हो सके। इसके रहते तुम्हें किसी पराभव का संकट आने की आशंका नहीं है।
विचार व्यर्थ के मनोरंजन समझे जाते हैं; पर वस्तुतः उनकी सृजनात्मक शक्ति अनंत है। वे एक प्रकार के चुंबक हैं, जो अपने अनुरूप परिस्थितियों को कहीं से भी खींच बुलाते हैं। साधन किसी को उपहार में नहीं मिले और यदि मिले हों, तो टिके नहीं। अपना पेट ही आहार पचाता और जीवित रहने योग्य रस, रक्त का उत्पादन करता है। ठीक इसी प्रकार विचार-प्रवाह ही व्यक्ति का स्तर विनिर्मित करता है। क्षमताएँ उसी के आधार पर उत्पन्न होती हैं। पराक्रम के प्रवाह को दिशाधारा उसी से मिलती है।
विचारणा द्वारा विनिर्मित व्यक्तित्व और पराक्रम ही वह अवसर प्रदान करते हैं, जैसा कि सोचा और चाहा गया था।
विचारों की सृजनात्मक क्षमता समझना और उन्हें सही दिशा में गतिशील करना ही वह सौभाग्य है, जिसे उपलब्ध पारसमणि प्राप्त कराती रहती है।